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Historical Building: 12वीं शताब्दी के इतिहास को समेटे है ऐतिहासिक बारहदरी, हरियाणा के प्राचीन धरोहरों में है शामिल

तोशाम पहाड़ के एक छौर पर स्थित छोटी सी पहाड़ी पर स्थित बारहदरी भवन निर्माण व वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की कचहरी के रूप में विख्यात इस इमारत के बारह दरवाजे है। चारों दिशाओं में तीन-तीन दरवाजे बनाए गए है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 02:37 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 02:37 PM (IST)
Historical Building: 12वीं शताब्दी के इतिहास को समेटे है ऐतिहासिक बारहदरी, हरियाणा के प्राचीन धरोहरों में है शामिल
बाबा मुंगीपा की नगरी की बारहदरी प्रदेश की अति प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल।

प्रवीण सांगवान, तोशाम। बाबा मुंगीपा नगरी तोशाम विस्तृत इतिहास को समेटे हुए है। यहां पर 12वीं शताब्दी के समय बनी हुई ऐतिहासिक इमारतें आज भी अपने अस्तित्व को बनाए हुए हैं। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान के समय पहाड़ी पर बनी बारहदरी नामक इमारत तोशाम के ऐतिहासिक नगरी होने का पुख्ता प्रमाण है। बाबा मुंगीपा की नगरी के नाम से मशहूर तोशाम स्थित यह बारहदरी प्रदेश की अति प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण यह इमारत अस्तित्व खोते जा रही है।

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12वीं सदी के राजा पृथ्वीराज चौहान के शासन क्षेत्र में तोशाम भी आता था। भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हुए उन्होंने यहां पर अपना सामरिक अड्डा बनाया हुआ था। इसे उनकी सेना की छावनी के रूप में भी जाना जाता है तथा यहां उनका बारूद खाना भी था। यहां स्थित पहाड़ के एक छोर पर उन्होंने बारहदरी का निर्माण करवाया था। बारह दरवाजों से निर्मित इस बारहदरी के मध्य में बैठकर वे लोगों की समस्या सुनते थे तथा अपनी सेना व बारूद खाने पर नजर रखते थे। इस इमारत को इस तरह से बनाया गया है कि युद्ध में दुश्मन पर दूर तक नजर रखी जा सके। इसके अंदर बैठा व्यक्ति चारों तरफ की वस्तुओं को देख सकता है।

समय-समय पर इतिहासकार व शोधकर्ता यहां का दौरा करते हैं

लगभग 800 साल पहले पहाड़ी पर बनी यह इमारत पत्थरों और चूने से निर्मित की गई है। इत्तिहासकारों की मानें तो इस ऐतिहासिक इमारत का प्रयोग पृथ्वीराज चौहान सैन्य ठिकाने के रूप में करता था। पुराने समय में पहाडिय़ों पर बने सैन्य ठिकानों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समझा जाता था। राजस्थान में पहाड़ों पर बने किलों ने भी लड़ाइयों के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पुराने समय में पहाड़ों पर बनाई गई इस प्रकार की इमारतों में युद्ध के समय राजा अपने मंत्रियों से विचार-विमर्श भी करता था। पहाड़ी पर बने सैन्य ठिकानों से दुश्मन पर दूर तक नजर रखी जा सकती थी और ऊंचे स्थान से दुश्मन पर आक्रामक ढंग से हमला भी किया जा सकता है। इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान ने बारहदरी पर स्थित सैन्य ठिकाने से दुश्मनों से लोहा लिया था। ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए कई फिल्मकार अपनी फिल्म व गानों को यहां पर सूट कर चुके है तथा समय-समय पर इतिहासकार व शोधकर्ता यहां का दौरा करते रहते है।

कला का बेजोड़ नमूना है बारहदरी

तोशाम पहाड़ के एक छौर पर स्थित छोटी सी पहाड़ी पर स्थित बारहदरी भवन निर्माण व वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की कचहरी के रूप में विख्यात इस इमारत के बारह दरवाजे है। चारों दिशाओं में तीन-तीन दरवाजे बनाए गए है। चुना व पत्थर से निर्मित इस इमारत की भव्यता व मजबूती की कहानी 800 साल बाद भी बयां कर रही है। इसके मध्य में बैठा व्यक्ति चारों दिशाओं में आराम से देख सकता है।

अस्तित्व खो रही यह प्राचीन धरोहर

तोशाम की यह अति प्राचीन धरोहर समाप्ति के कगार पर है। प्रशासनिक एवं पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण यह इमारत बिना देखभाल के नष्ट होती जा रही है। देखभाल के अभाव में इस इमारत के गुंबद को क्षतिग्रस्त किया जा चुका है। दीवारों व फर्श की हालात भी दयनीय बनी हुई है। संरक्षण के अभाव के कारण पहाड़ी की चोटी पर खड़ी इस इमारत के नीचे से पत्थर निकलने शुरू हो गए हैं। प्रशासनिक लापरवाही से कला का बेजोड़ नमूना बारहदरी कब गिरकर अपना अस्तित्व खत्म कर दे, कहा नहीं जा सकता।

पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करेंगे

तोशाम के सरंपच देवराज गोयल के अनुसार तोशाम की शान व ऐतिहासिक धरोहर बारहदरी को बचाने के लिए तोशाम की पंचायत ने पर्यटन विभाग को लिखकर भेजेगें। बारहदरी तोशाम की ऐतिहासिक धरोहर है तथा इसके रखरखाव व नवीनीकरण के लिए ग्राम पंचायत अपने सतर पर पूरा प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि इस धरोहर को बचाने के लिए पंचायत ने बीड़ा उठाया है। इस संबंध में पंचायत ने प्रस्ताव पास कर सरकार को भिजवाया हुआ है। बारहदरी को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

ऐतिहासिक धरोहर को बचाना जरूरी

तोशाम के बाबा मुंगीपा गौशाल के प्रधान सतपाल दूहन के अनुसार ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार के साथ-साथ लोगों का साथ होना भी जरूरी है। यही धरोहर हमें अपने इतिहास से रूबरू करवाती है। उचित देखभाल के अभाव में ये इमारत समाप्त हो जाती है तो हमारा इतिहास एक ग्रंथ बन कर रह जाएगा। हमारी आने वाली पीढिय़ों को अपने इतिहास से परिचित करवाने के लिए इन इमारतों का संरक्षण जरूरी है। तोशाम के लोगों के साथ मिलकर सरकार से इन इमारतों के रखरखाव की मांग की जाएगी तथा गांव के लोगों के साथ मिलकर अपने स्तर पर इस ठीक करने के प्रयास करेंगे।

पर्यटन विकास मंच उठा रहा मांग

पर्यटन विकास मंच बार-बार तोशाम क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग उठा रहा है। तोशाम धार्मिक एवं ऐतिहासिक क्षेत्र है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और तोशाम को पर्यटन क्षेत्र से विकसित करने के बाद प्रत्येक वर्ग को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। सरकार व पर्यटन विभाग को इस तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि ऐतिहासिक धरोहर बची रह सकें।

दैनिक जागरण की पहल सराहनीय

रिटायर्ड हेडमास्टर दिलीप सिंह बागनवाला के बताया कि ऐतिहासिक इमारतों को बचाने के लिए दैनिक जागरण द्वारा शुरू की गई पहल सराहनीय है तथा इसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे। बारहदरी तोशाम के ऐतिहासिक होने का पुख्ता सबूत प्रदान करती है तथा इसके खत्म हो जाने से प्रदेश के लोगों को इस संबंध में इतिहास केवल किताबों के माध्यम से ही मिल पाएगा। यह आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा। हमारा कर्तव्य बनता है कि इस तरह की धरोहरों को बचाने में अपना योगदान दें ताकि आने वाली पीढिय़ां हमें दोष न दे सकें। सरकार को भी चाहिए कि इस तरह की धरोहरों को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर इनका रखरखाव करे।

लोगों को इतिहास से अवगत करवाया जाए

ऐतिहासकि इमारतों को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर इनके इतिहास को लोगों को बताया जाना चाहिए। इससे लोगों की इतिहास के प्रति रुचि बढ़ेगी तथा वे इन इमारतों के महत्व को समझेंगे तथा इन्हें क्षति पहुंचाने से पहले कई बार सोचेंगे। बारहदरी की पहाड़ी के आस-पास के क्षेत्र को सरकार सरंक्षित क्षेत्र घोषित करे तथा इसके चारों तरफ से बाड़ लगाकर इसे एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करे। यहां के इतिहास से जुड़ी चीजों को धरोहर के रूप में संजोकर लोगों को इनकी जानकारी दी जानी चाहिए।


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