लोकसभा में हिसार सांसद बृजेंद्र सिंह ने पानी की कमी का उठाया मुद्दा, स्पीकर बोले- पूरा बोलो Hisar news
जब बृजेंद्र सिंह स्पीकर का धन्यवाद कर रहे थे तभी सदन में बैठे अन्य सांसदाें ने उनके 21 साल की IAS पद पर नौकरी करने की बात कही।तभी स्पीकर ओम बिरला ने इसे सदन को अनुभव मिलना बताया
हिसार, जेएनएन। लोकसभा सत्र में अपने पहले सम्बोधन में बीजेपी की ओर से विजेता बने हिसार सांसद बृजेंद्र सिंह ने हिसार लोकसभा क्षेत्र के एक अहम मुद्दे- पानी की कमी को उठाया। सांसद ने जल शक्ति मंत्री से हिसार लोकसभा के आदमपुर व नलवा विधानसभा क्षेत्र के 20 सबसे सूखे गांवों को संशोधन के द्वारा राष्ट्रीय कृषि सिंचाई योजना में जोड़ने की अपील की।
जब बृजेंद्र सिंह स्पीकर का धन्यवाद कर रहे थे, तभी सदन में बैठे अन्य सांसदाें ने उनके 21 साल की IAS पद पर नौकरी करने की बात स्पीकर को बताई। तभी स्पीकर ओम बिरला ने इसे सदन को अनुभव मिलना बताया। इसके बाद सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने को मिली। गौरतलब है कि सांसद बनने से पहले बृजेंद्र सिंह सीनियर आईएएस पद पर नियुक्त थे, उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से त्यागपत्र दिया था।
स्पीकर ओम बिरला ने सांसद बृजेंद्र सिंह से कहा कि आप पूरा बोलो, यानि उन्होंने अपनी बात रखने का उन्हें पूरा मौका दिया। वहीं बृजेंद्र सिंह ने पानी के मुद्दे को अहम बताते हुए कुछ मिनट अपनी बात रखी और फिर धन्यवाद करते हुए अपनी सीट पर बैठ गए।
वहीं पहली बार संसद में बोलते हुए सांसद बृजेंद्र कुछ नर्वस भी दिखे। बावजूद इसके उन्होंने अपनी अच्छे तरीके से सदन में रखी। पहली बार बोलते हुए उन्होंने हिसार में पानी की कमी का अहम मुद्दा सदन में उठाया, अब इस मसले को लेकर देखना होगा कि क्या रहेगा।
बता दें कि हिसार जिले में करीब 309 पंचायतें है और गांव करीब 400 से भी ज्यादा हैं। इनमें से कई गांव ऐसे हैं जहां पीने और सिचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है। नलवा और आदमपुर हलके में करीब 20 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जो सूखाग्रस्त श्रेणी में आते हैं। इन्हें योजना में शामिल करने की बात रखी गई है। पानी की कमी को लेकर इन दो विधानसभा क्षेत्रों को लेकर किसान धरना प्रदर्शन भी करते रहे हैं।
किसानों ने बीते ही साल कई दिनों तक धरना दिया था, इस पर सीएम की ओर से नहर में दो सप्ताह पानी देने के बाद किसान धरने से उठे थे। अब अगर पानी की समस्या का निदान नहीं होता है तो एक बार फिर से किसान आंदोलन का रुख अपना सकते हैं। पानी की ज्यादा समस्या टेल से लगते गांव में है, जहां लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं होता।