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हिसार होगा भारत का पहला ऐसा जिला, जो विदेश एक्‍सपोर्ट करेगा भैंसे और सांड का सीमन

श्रीलंका ने सीमन इम्पोर्ट करने के लिए हिासर के गांव चौधरीवास के बोवाइन स्पर्म रिसर्च सेंटर से संपर्क साधा है। सेंटर देसी नस्ल की गायों की दूध क्षमता बढ़ाने के लिए शोध कर रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 03:25 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 03:25 PM (IST)
हिसार होगा भारत का पहला ऐसा जिला, जो विदेश एक्‍सपोर्ट करेगा भैंसे और सांड का सीमन
हिसार होगा भारत का पहला ऐसा जिला, जो विदेश एक्‍सपोर्ट करेगा भैंसे और सांड का सीमन

हिसार, जेएनएन। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट किसानों की आय दोगुना और लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में हिसार (हरियाणा) के गांव चौधरीवास का बोवाइन स्पर्म रिसर्च सेंटर अहम भूमिका निभा रहा है। इस सेंटर में अच्छी नस्ल के करीब 250 भैंसे और सांड हैं। इनसे सालाना 45 से 50 लाख सीमन की स्ट्रा तैयार की जाती हैं। किसानों को यह बहुत ही कम कीमत में उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं यहां से निकलने वाले गोबर से खाद तैयार कर बहुत कम पैसे में किसानों को दी जाती है।

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इससे किसान आर्गेनिक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। रिसर्च सेंटर की खूबियों के चलते भारत सरकार के पशु पालन, डेयरिंग एवं मछली पालन मंत्रालय द्वारा लगातार इसे दूसरी बार 'ए' ग्रेड से नवाजा गया है। यह निजी सेंटर का पहला स्पर्म सेंटर है, जिसे ग्रेड मिला है। गुणवत्ता का पता इसी से लगाया जा सकता है कि श्रीलंका सरकार ने सीमन इम्पोर्ट करने के लिए यहां संपर्क साधा है। कुछ औपचारिकता के बाद यह भारत से सीमन एक्सपोर्ट करने वाला पहला रिसर्च सेंटर बन जाएगा।

किसी भी दुधारू पशु की नस्ल उसके दूध की क्षमता से आंकी जाती है। बोवाइन में इसी पर लगातार शोध जारी है। एकाएक बाजार में देसी गाय के दूध की मांग बढ़ी है। देसी नस्ल की गाय अधिक दूध दें, इसके लिए प्रयास हुआ। इसमें सफलता भी मिली। यदि एक-दो दशक पहले की स्थिति देखी जाए, तो देसी गाय मात्र पांच से दस किलो दूध देती थी। शोध के बाद देसी गाय दस से 25 किलो दूध देने लगी हैं। इससे किसान की आय बढऩे के साथ लोगों में आत्म निर्भरता भी बढ़ी है। एक बार फिर किसानों का रुझान डेयरी की ओर बढ़ा है।

इन नस्लों पर हो रहा शोध

यहां भैंसों की दो नस्ल मुर्रा व नीली रावी और गाय की देसी नस्ल में साहीवाल, थारपारकर, गिर, विदेशी एचएफ व जर्सी नस्ल का वीर्य संगृहित कर अत्याधुनिक उपकरणों से जीवाणु रहित प्रयोगशाला में सुशिक्षित व अनुभवी चिकित्सकों तथा तकनीकी स्टाफ की देख-रेख में हिमकृत किया जाता है।

यहां के सांड व भैंसे भी हैं कुछ खास

रूस्तम-ए-हिन्द: इस भैंसे ने मुर्रा भैंसों में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। इसकी मां का एक ब्यात का दूध 5881 किलोग्राम है। यह दूध का रिकार्ड भारत सरकार की योजना के तहत हरियाणा सरकार द्वारा अभिलिखित है।

साहीवाल नूर: देसी साहीवाल सांड नूर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश ङ्क्षसह बादल की डेयरी से लिया गया था। इस सांड की मां जिसका नाम नूरी है, उसे प्रकाश ङ्क्षसह बादल ने पाकिस्तान से मंगाया था। इस गाय की सुंदरता और दूध की बात की जाए, तो इससे नूर टपकता था। शायद इसीलिए इस गाय का नाम पाकिस्तान में नूरी रखा गया होगा। इसका रिकार्ड 5020 लीटर दूध का है।

साहीवाल मुलतान: यह सांड भी देखने में अति सुन्दर व तगड़ा है जो कि नामधारी साहीवाल फार्म, संतनगर (हरियाणा) से लिया हुआ है। यह सांड लगातार दो बार पीडीएफए द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में ब्रिड चैम्पियन रह चुका है और इसकी मां के दूध का रिकार्ड 4195 लीटर है।

एम-29 से हुए 7 क्लोन तैयार

मुर्राह नस्ल के दो झोटे, जिन्हें टैग नंबर एम 29 के नाम से जाना जाता है। एम 29 झोटे की गुणवत्ता व सुंदरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार (हरियाणा) के वैज्ञानिकों ने एम 29 से प्रभावित होकर अत्याधुनिक क्लोनिंग तकनीक से इसके 7 क्लोन भी तैयार किए हैं।

भारत सरकार द्वारा प्रमाणित सीमन सेंटर से उपलब्ध सीमन प्रयोग करें किसान: आशीष जिंदल

हिसार बोवाइन के निदेशक आशीष ङ्क्षजदल बताते हैं कि आजकल कुछ अप्रमाणित झोटों का वीर्य सामाजिक मीडिया के प्रचार से महंगे दामों में किसानों को बेचा जा रहा है। यह अपराध तो है ही, साथ ही किसानों के साथ धोखा भी है। जरूरी है कि किसान केवल भारत सरकार द्वारा प्रमाणित सीमन स्टेशन का सीमन प्रयोग करें। तभी प्रधानमंत्री का किसानों की आय को दोगुना और आत्मनिर्भर बनाने का सपना पूरा हो पाएगा।

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