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कैंसर पीडि़तों के फर्जी पोस्‍टमार्टम मामले में हिसार के तीन और डॉक्‍टर एसटीएफ के रडार पर

बीमा क्लेम ऐंठने का मामला गैंग पहले खुद करता था खर्चा मरीज की मौत पर मिलने वाले क्लेम का बंदरबांट करने का प्लान होता था तैयार मोटी कमाई का बना रखा था जरिया।

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 12:21 PM (IST)
कैंसर पीडि़तों के फर्जी पोस्‍टमार्टम मामले में हिसार के तीन और डॉक्‍टर एसटीएफ के रडार पर
कैंसर पीडि़तों के फर्जी पोस्‍टमार्टम मामले में हिसार के तीन और डॉक्‍टर एसटीएफ के रडार पर

हिसार, जेएनएन। सोनीपत में कैंसर पीडि़तों की मौत को सड़क हादसा दिखाकर बीमा क्लेम लेने के फ्रॉड में एसटीएफ ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। एसटीएफ अब तक हिसार के डॉ. अमित कुमार, धर्मखेड़ी के पदम और एक पुलिसकर्मी समेत 12 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। पुलिस को जांच में हिसार के तीन और सरकारी डॉक्टरों की भूमिका संदेहास्पद मिली है। एसटीएफ उनको कभी भी राउंड अप कर सकती है। 

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एसटीएफ ने आरोपितों से पूछताछ की तो पता चला कि हिसार में डॉ. अमित कुमार कैंसर मरीजों की मौत होने पर गैंग के सदस्यों से मिलीभगत कर डेढ़ लाख रुपये लेकर फर्जी पोस्टमार्टम करता था।

हिसार और हांसी एरिया में गैंग ने ऐसे पांच पोस्टमार्टम करवाना स्वीकार किया है। गैंग के सदस्‍य मृतकों के परिजनों से सांठ गांठ करते थे, फिर कैंसर पीडि़त मृतकों की मौत किसी हादसे में दिखाते थे और अपना ही खून निकाल कर उनके शरीर पर डालत‍े थे। मृतक जिस जिले का होता था उसकी मौत दूसरे जिले में दिखाते थे, ताकि किसी को शक न हो। डॉक्‍टर चोट के कारण मौत होने की रूका पुलिस को भेजता था।

आठ केस में जारी हो चुका है क्लेम

फ्रॉड की जांच सोनीपत एसटीएफ के डीएसपी शमशेर ङ्क्षसह और इंस्पेक्टर सतीश देशवाल की अगुआई में की जा रही है। टीम को जांच में आठ ऐसे केस मिले हैं, जिनका क्लेम जारी हो चुका था। हालांकि क्लेम मिलने से पहले ही फ्रॉड का खुलासा हो गया। एसटीएफ इन आठ मामलों से जुड़े डॉक्टरों, परिजनों, पुलिस के जांच अधिकारियों और बीमा एजेंट पर शिकंजा कसे हुए है।

अप्रैल में दी गई थी शिकायत

पुलिस के अनुसार पदम और गिरोह के अन्य सदस्य कैंसर मरीजों की पहचान करते थे। वे मरीज की आइटीआर भरकर बीमा कराते थे। वे मरीज का 8-10 बीमा कंपनियों से बीमा कराते थे। इन आठ मामलों में मृतकों का बीमा 1 से 2 करोड़ के बीच किया हुआ मिला है। गिरोह के सदस्य मृतक के परिजनों से हस्ताक्षरित चेक बुक और पासबुक ले लेते थे। उनका प्लान यह था कि कैंसर मरीज की मौत होने पर आश्रितों को करीब 10 लाख रुपये देकर बाकी रकम खुद रखेके। कैंसर मरीज की मौत होने पर पुलिस के जांच अधिकारी और डॉक्टर से मिलकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसे एक्सीडेंटल डेथ दिखाया जाता था। सोनीपत की सिविल लाइन पुलिस ने 19 अप्रैल को एक बीमा कंपनी के मैनेजर अमन बेदी की शिकायत पर केस दर्ज किया था।


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