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हिसार के विज्ञानियों का कमाल, पशुओं में गर्भ जांच के लिए बनाई टेस्ट किट, खर्च मात्र 10 रुपये

सीआइआरबी हिसार के विज्ञानियों ने अनोखी खोज की है। पशुओं में गर्भ की जांच के लिए टेस्ट किट तैयार की है। यह इंसानी प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह ही काम करेगी। इस किट से एक टेस्ट पर मात्र 10 रुपये खर्च आएगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 06:51 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 06:51 AM (IST)
हिसार के विज्ञानियों का कमाल, पशुओं में गर्भ जांच के लिए बनाई टेस्ट किट, खर्च मात्र 10 रुपये
वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह टेस्ट किट लॉन्च की।

हिसार, जेएनएन। हिसार स्थित केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआइआरबी) ने एक और बड़ी खोज की है। विज्ञानियों ने पशुओं में गर्भ जांच किट तैयार कर ली है। इस किट को केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने वर्चुअल कार्यक्रम में लॉच किया।

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यह किट ठीक इंसानों की प्रेग्नेंसी किट की तर्ज पर ही काम करेगी। अभी तक पशुओं में प्रेग्नेंसी जांचने की कोई भी किट नहीं थी। आमतौर पर देखा गया है कि पशु पालक पशुओं की प्रेग्नेंसी को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं क्योंकि गांव में गर्भ जांच लगभग 3-4 महीने पर की जाती है जोकि पशु पालकों के लिए बहुत ही नुकसानदायी रहता है।

अगर यही प्रेग्नेंसी 20 दिन पर चेक हो जाए तो इसका उन्हें बहुत लाभ मिल सकता है क्योंकि अगर पशु गर्भित नहीं है तो समय पर उपचार करवाया जा सकता है। यह टेस्ट किट पशुपालकों को यही मौका देगी। कृषि मंत्री ने सीआइआरबी के निदेशक, टेस्ट किट की खोज करने वाले डॉ. अशोक बल्हारा और उनकी टीम की सराहना की है। किट तैयार करने वाली टीम के सदस्य डॉ. अशोक बल्हारा, डॉ. सुशील फुलिया, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. सुमन व डॉ. अशोक मोहंती हैं।

विज्ञानियों ने ऐसे समझी किसानों की समस्या, फिर बनाई किट

डेयरी पशुओं से उनके जीवन काल में ज्यादा दूध उत्पादन लेने के लिए उनका जल्दी गाभिन होना व गर्भ जांच बहुत जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि डेयरी पशु का एक ताव चक्र बगैर गाभिन रहे छूट जाए तो किसान को लगभग रूपये 5000-9000 तक का नुकसान हो जाता है। खाली पशु किसान पर एक बोझ की तरह है और ऐसे पशुओं की जल्दी पहचान कर उन्हें गाभिन कराना बेहद जरूरी है। अगर कोई पशु खाली रह जाए तो पशु पालकों को बहुत नुकसान होता है।

13-14 महीने पर दोबारा गर्भवती होना फायदेमंद

भैंस पालन से पशु पालकों को तभी लाभ मिल सकता है जब भैंस 13-14 महीने के अन्तराल में दोबारा बच्चा दे दे। अगर यह अन्तराल किसी वजह से ज्यादा हो जाता है तो पशु पालकों को आर्थिक नुकसान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गर्भ जांच किट बनाने का निर्णय लिया। जो कि 2-3 साल की अथक प्रयास ओर मेहनत के बाद विज्ञानियों ने इसमें सफलता प्राप्त की जो कि किसानों के लिए बहुत ही लाभदायी होने वाली है। 

10 रुपये का आता है खर्चा

इस किट के प्रयोग से 20 दिन की गर्भ का आसानी से पता चल जाता है। इसमें केवल पशु के थोडे़ से मूत्र की जरूरत होती है जोकि पशु पालक घर पर आसानी से ले सकता है और गर्भ जांच कर सकता है। इस किट से सिर्फ 10 रुपये में पशुपालन प्रेग्नेंसी का पता लगा सकते हैं।

क्या है यह गर्भ जांच किट

टीम के लीडर डॉ. अशोक बल्हारा ने बताया कि मूत्र से गर्भजांच की किट एक जैवरासायनिक प्रक्रिया पर आधारित टेस्ट है जिसमें मूत्र का रंग कुछ रासायनिक पदार्थ डालने और गर्म करने पर बदल जाता है जिसे एक आम आदमी आसानी से घर पर कर सकता है। इस टेस्ट में किसी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है और रिजल्ट को आंखों द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। मूत्र द्वारा टेस्ट करने की यह विशिष्ट एकमात्र, सस्ती (प्रति टेस्ट मात्र दस रूपये लगभग) व वैकल्पिक विधि है जिससे गर्भजांच आसानी से की जा सकती है।

संस्थान के लिए गर्व की बात

सीआइआरबी हिसार के निदेशक डा. टीके दत्ता ने कहा कि यह हमारे संस्थान के लिए गर्व की बात है कि यह संस्थान पशुपालाकों की सहायता के लिए हमेशा तत्तपर रहता है और पशु पालकों की भलाई के लिए नई-नई खोज करता रहता है। गर्भ जांच किट इसी का उदाहरण है।

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