भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषित हरियाणा का हिसार, AQI 855 पर पहुंचा
पंजाब के 80 प्रतिशत खेतों में जल रही पराली वहां से 3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रहीं हवाएं। हिसार प्रशासन ने मेडिकल आपातकाल जैसी स्थिति भांपते हुए अधिकारियों की डयूटी लगाई
हिसार [वैभव शर्मा] देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में हिसार शनिवार को पहले स्थान पर रहा। यहां पूर्वाह्न 11 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 855 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा, जो सर्वाधिक था। यदि औसत आंकड़े को देखा जाए तो हिसार में एक्यूआइ 495 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा। दूसरे स्थान पर फतेहाबाद में 497 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर का प्रदूषण दर्ज किया गया।
प्रदेश के दोनों ही शहरों को में इस स्तर के प्रदूषण के कारण शहर में 60 मीटर तक की ही दृश्यता रही। दृश्यता कम होने के कारण पिछले 11 दिनों से हिसार से चंडीगढ़ जाने वाली फ्लाइट भी रद हैं। हरियाणा में दिल्ली से भी अधिक प्रदूषण का कारण पंजाब की तरफ से तीन किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आ रही हवाएं हैं।
दरअसल, पंजाब में 80 फीसद खेतों में फसल जलाई जा रही है। इसकी जानकारी फायर बर्निंग मॉनिटङ्क्षरग सिस्टम के आंकड़े आने के बाद हो रही है। पंजाब के साथ लगते हरियाणा के कुछ हिस्सों में भी फसलों को जलाया जा रहा है।
प्रदेश में यह है प्रदूषण का स्तर
अंबाला- 376 (पीएम 2.5)
बहादुरगढ़- 264 (पीएम 2.5)
बल्लभगढ़- 395 (पीएम 10)
भिवानी- 378 (पीएम 2.5)
फरीदाबाद- 404 (पीएम 2.5)
फतेहाबाद- 493 (पीएम 10)
गुरुग्राम- 364 (पीएम 2.5)
हिसार- 495 (पीएम 2.5)
जींद- 459 (पीएम 2.5)
कैथल- 408 (पीएम 10)
करनाल- 361 (पीएम 2.5)
नारनौल- 229 (पीएम 2.5)
पलवल- 369 (पीएम 2.5)
पानीपत- 389 (पीएम 2.5)
रोहतक- 367 (पीएम 2.5)
सोनीपत- 216 (पीएम 10)
यमुनागर- 345 (पीएम 2.5)
(आंकड़े एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार व माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में, इसमें 400 से अधिक का होना मेडिकल अलर्ट को दर्शाता है।)
कब मिलेगी राहत
हरियाणा में मौसम 3 नवम्बर तक परिवर्तनशील रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण 3 नवंबर तक बूंदाबांदी की संभावना एचएयू के कृषि मौसम विज्ञान विभाग जता रहा है। जब तक बारिश नहीं होती तब तक स्मॉग का बैठना मुश्किल है।
क्या है पीएम 2.5 व पीएम 10
पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम-10 : वो कण हैं, जिनका व्यास 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। ये कण हवा में आक्सीजन को प्रभावित करते हैं। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है, तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन इत्यादि समस्याएं होने लगती है। पीएम-10 के स्तर का बढऩे का कारण आंधी के अलावा आगजनी, फैक्टरियों से निकलने वाला धुआं इत्यादि भी होता है।
- पीएम 2.5 : वे छोटे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में तुलना
- 2018 की तुलना में 2019 में अक्टूबर के अंत व नवंबर की शुरुआत में ही सबसे अधिक पराली जलाने के मामले हरियाणा पंजाब में सामने आए।
- 2018 में पंजाब व हरियाणा के किसानों ने 5 नवंबर के दौरान सबसे अधिक पराली जलाई थी।
- 2018 में हरियाणा के कई स्थानों पर पराली के मामले सामने आए थे। मगर 2019 में हरियाणा के पंजाब से सटे क्षेत्रों में ही सिर्फ पराली जलाई जा रही है।
प्रदेश में 52 स्थानों पर जली पराली
अंबाला- 8
फतेहाबाद- 5
जींद- 3
कैथल- 5
करनाल- 17
कुरुक्षेत्र- 5
पलवल- 7
यमुनानगर- 2
कुल- 52
पानी का कराया छिड़काव
हिसार में सर्वाधिक प्रदूषण रहने की दशा में प्रशासन ने तत्काल सख्त कदम उठाए हैं। खेतों में पराली जलाने वाले गांवों में अधिकारियों की 24 घंटे की ड्यूटी लगा दी गई है। इसके साथ ही शहर में पानी से छिड़काव कराया जा रहा है। अस्पताल को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। मगर अभी तक मेडिकल आपातकाल नहीं घोषित किया, बल्कि रविवार तक स्थिति देखने के लिए प्रशासन रुक गया है।