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हिसार डीसी प्रियंका सोनी बोली- बीमार व्यक्ति से भेदभाव करना विकृत मानसिकता का प्रतीक है

डीसी प्रियंका सोनी ने कहा कि बीमारी होने से किसी के भी व्यक्तित्व में बदलाव नहीं आता। बीमारी केवल बीमारी है जिसका दवाओं व आधुनिक तकनीकों से इलाज किया जा सकता है इसलिए बीमार व्यक्ति से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 05:52 PM (IST)
हिसार डीसी प्रियंका सोनी बोली- बीमार व्यक्ति से भेदभाव करना विकृत मानसिकता का प्रतीक है
उपायुक्त ने कहा कि एचआईवी पीडि़त व्यक्तियों को उपचार के अतिरिक्त केयर व स्पोर्ट की आवश्यक्ता होती है

हिसार, जेएनएन। उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कहा कि बीमारी होने से किसी के भी व्यक्तित्व में बदलाव नहीं आता। बीमारी केवल बीमारी है, जिसका दवाओं व आधुनिक तकनीकों से इलाज किया जा सकता है, इसलिए बीमार व्यक्ति से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। वे मंगलवार को जिले के पीएलएचआईवी परिवार पीपल लीविंग विद एचआईवी के संबंध में बुलाई गई एक समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि स्वास्थ्य व अन्य विभागों की योजनाओं का लाभ पीएलएचआईवी परिवार को दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए, ताकि पीडि़त परिवार को संबल मिल सके। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग डाटा बेस तैयार करके सभी विभागों के साथ उसे सांझा करे।

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उपायुक्त ने कहा कि एचआईवी पीडि़त व्यक्तियों को उपचार के अतिरिक्त केयर व स्पोर्ट की आवश्यक्ता होती है। कई बार उन्हें योजनाओं की जानकारी नहीं होती जिस कारण उन्हें दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है। यदि किसी एचआईवी पीडि़त का श्रम व अन्य संबंधित विभागों में पंजीकरण करवा दिया जाए तो अनेक योजनाओं का लाभ उसे व उसके परिवार को मिल सकता है।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसी दवाएं व सुविधाएं हैं जिनकी मदद से एचआईवी पीडि़त व्यक्ति एड्स की स्टेज तक पहुंचने में लगभग दो दशक का समय निकाल सकते हैं। इस दौरान वे किसी दिक्कत के बिना सामाजिक रूप से सक्रिय जीवन जी सकते हैं। इसके लिए रोग की शुरुआती दौर में ही पहचान होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिनके संपर्क में एचआईवी पीडि़तों की जानकारी है वे उनका पंजीकरण स्वास्थ्य विभाग में जरूर करवाएं।

बैठक में बताया गया कि प्रीवेंशन ऑफ पेरेंट्स टू चाइल्ड ट्रांसमिशन कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसी दवाएं भी आ चुकी हैं, जिनकी मदद से एड्स पीडि़त गर्भवती महिला के बच्चे को एचआईवी मुक्त स्थिति में जन्म दिया जा सकता है। जिला में ऐसी डिलीवरी करवाई जा चुकी हैं, जिनमें पैदा होने वाले बच्चे एचआईवी से मुक्त हैं। एड्स के मरीजों को रोजगार व स्वरोजगार प्रदान करने के लिए भी विभागों व संस्थाओं की मदद ली जाएगी। इन व्यक्तियों को किसी न किसी कौशल में निपुण बनाकर इन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

इस दौरान उपायुक्त ने एड्स पीडि़त लोगों की मदद करने की दिशा में बेहतरीन कार्य करने वाले काऊंसलर व संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया गया। बैठक में डिप्टी सीएमओ डॉ. जया गोयल, डॉ. सुभाष खतरेजा, डॉ. कुलदीप, आईएमए अध्यक्ष जेपीएस नलवा, डॉ. अजय महाजन, डॉ. एमडी छाबड़ा सहित अन्य विभागों के अधिकारी व संस्थाओं के पदाधिकारी भी मौजूद थे।


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