धरती से 2 किलोमीटर ऊपर छाए लंबे बादलों से गिरे ओले, 5 डिग्री गिरा अधिकतम तापमान, आज भी होगी बूंदाबांदी
पश्चिमी विक्षोभ के कारण धरती से करीब 2 किलोमीटर ऊपर कुमिलोनिंबस (कपासी वर्षी बादल) छाने के कारण
By Edited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 10:12 AM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 05:10 PM (IST)
हिसार, जेएनएन। पश्चिमी विक्षोभ के कारण धरती से करीब 2 किलोमीटर ऊपर कुमिलोनिंबस (कपासी वर्षी बादल) छाने के कारण बुधवार को जिले के कई क्षेत्रों व आसपास के जिलों में तेज बारिश हुई और ओले भी गिरे। ये कुमिलो¨नबस बादल चौड़ाई की बजाय ऊंचाई में अधिक लंबे होते हैं। जिसके कारण तापमान में कमी के कारण ऊपर से गिरने वाला पानी ओलो में परिवर्तित हो जाता है।
कई जगहों पर नुकसान
इसी कारण हांसी के आसपास के गांवों सहित कई जगहों पर भारी मात्रा में ओले गिरे। ओले गिरने के कारण हांसी के कई क्षेत्रों में फसलें खराब हुई हैं। वहीं, करीब तीन माह पहले हुई भारी बारिश के कारण कई गांवों में तो अब तक खेतों का पानी नहीं सूख पाने से बिजाई भी नहीं हुई थी, अब बारिश और ओले गिरने से बिजाई पर एक बार फिर संकट गहरा गया है। मौसम में हुए परिवर्तन के कारण बुधवार को अधिकतम तापमान में करीब 5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई और यह 18.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इससे पूर्व मंगलवार की रात को हुई हल्की बरसात के बाद न्यूनतम तापमान बढ़कर 12.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। बता दें कि जब अधिकतम तापमान में कमी होती है और यह न्यूनतम की ओर जाने लगता है, तब ठंड अधिक बढ़ जाती है। बुधवार को इसी के परिणामस्वरूप जिले में ठंडक बढ़ गई। अचानक बढ़ी ठंड के कारण कई जगहों पर लोग अलाव सैकते नजर आए।
आज भी बूंदाबादी के आसार
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार वीरवार को भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मौसम परिवर्तनशील रहेगा। इस दौरान कहीं-कहीं आंशिक बादल छाने व बूंदाबांदी की संभावना है। इसके बाद शुक्रवार से कहीं-कहीं सुबह-शाम हल्की धुंध छाने की संभावना है। वैज्ञानिकों के अनुसार 16 दिसंबर तक मौसम साफ व खुश्क रहेगा और रात्रि तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाएगी।
22 से 40 दिन की हुई गेहूं की फसल
अभी थी पानी की जरूरत एचएयू के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की समय पर बोई गई फसल 22 दिन की हो गई। वहीं अगेती बोई गई फसल भी अधिकतम 40 दिन की हुई है। ऐसे में फसल को पानी की जरूरत थी। बुधवार को हुई बारिश गेहूं के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे गेहूं की फसल को नमी मिलेगी और सिंचाई के दौरान कम पानी की आवश्यकता होगी और किसानों को फायदा होगा। हालांकि जहां ओले गिरे हैं, वहां नुकसान हुआ है।
सरसों के लिए भी मौसम अनुकूल
वैज्ञानिकों के अनुसार, सरसों की फसल के लिए भी मौसम अनुकूल है। क्योंकि 22 से 24 सितंबर के बीच हुई अच्छी बारिश के बाद ही अधिकांश जगहों पर सरसों की बिजाई हुई थी। इसलिए अब सरसों को भी पानी की आवश्यकता थी। इसलिए यह बारिश सरसों के लिए भी फायदेमंद है। हालांकि जहां ओले गिरे हैं, वहां फसल के पत्ते, टहनी या फल झड़ने से कुछ नुकसान हो सकता है।
गेहूं और सरसों की सिंचाई रोकें
एचएयू, हिसार के मीडिया एडवाइजरडा. संदीप आर्य ने बताया कि हमारे कृषि मौसम विभाग के अनुसार परिवर्तनशील मौसम व हल्की बारिश के आसार को देखते हुए किसान गेहूं और सरसों में सिंचाई को एक-दो दिन रोक लें। सरसों में स्प्रे करनी है तो भी आज और कल तक रुक जाएं। जौ की बिजाई 13 दिसंबर तक न करें।
भाटोल समेत कई गांवों में भारी बरसात के बाद हुई ओलावृष्टि, गेहूं की बिजाई पर पड़ा असर
हांसी : उपमंडल के गांव भाटोल जाटान, भाटोल रांगड़ान, जीतपुरा, गढ़ी व खरकड़ा गांव में बुधवार शाम को तेज बरसात के साथ भारी ओलावृष्टि हुई। तेज बरसात के कारण गेहूं की बुवाई को लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। इतना ही नहीं, जिन किसानों ने गेहूं की फसल की बिजाई कर ली है, उन फसलों के भी खराब होने की आशंका जताई जा रही है।
कई जगहों पर नुकसान
इसी कारण हांसी के आसपास के गांवों सहित कई जगहों पर भारी मात्रा में ओले गिरे। ओले गिरने के कारण हांसी के कई क्षेत्रों में फसलें खराब हुई हैं। वहीं, करीब तीन माह पहले हुई भारी बारिश के कारण कई गांवों में तो अब तक खेतों का पानी नहीं सूख पाने से बिजाई भी नहीं हुई थी, अब बारिश और ओले गिरने से बिजाई पर एक बार फिर संकट गहरा गया है। मौसम में हुए परिवर्तन के कारण बुधवार को अधिकतम तापमान में करीब 5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई और यह 18.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इससे पूर्व मंगलवार की रात को हुई हल्की बरसात के बाद न्यूनतम तापमान बढ़कर 12.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। बता दें कि जब अधिकतम तापमान में कमी होती है और यह न्यूनतम की ओर जाने लगता है, तब ठंड अधिक बढ़ जाती है। बुधवार को इसी के परिणामस्वरूप जिले में ठंडक बढ़ गई। अचानक बढ़ी ठंड के कारण कई जगहों पर लोग अलाव सैकते नजर आए।
आज भी बूंदाबादी के आसार
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार वीरवार को भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मौसम परिवर्तनशील रहेगा। इस दौरान कहीं-कहीं आंशिक बादल छाने व बूंदाबांदी की संभावना है। इसके बाद शुक्रवार से कहीं-कहीं सुबह-शाम हल्की धुंध छाने की संभावना है। वैज्ञानिकों के अनुसार 16 दिसंबर तक मौसम साफ व खुश्क रहेगा और रात्रि तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाएगी।
22 से 40 दिन की हुई गेहूं की फसल
अभी थी पानी की जरूरत एचएयू के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की समय पर बोई गई फसल 22 दिन की हो गई। वहीं अगेती बोई गई फसल भी अधिकतम 40 दिन की हुई है। ऐसे में फसल को पानी की जरूरत थी। बुधवार को हुई बारिश गेहूं के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे गेहूं की फसल को नमी मिलेगी और सिंचाई के दौरान कम पानी की आवश्यकता होगी और किसानों को फायदा होगा। हालांकि जहां ओले गिरे हैं, वहां नुकसान हुआ है।
सरसों के लिए भी मौसम अनुकूल
वैज्ञानिकों के अनुसार, सरसों की फसल के लिए भी मौसम अनुकूल है। क्योंकि 22 से 24 सितंबर के बीच हुई अच्छी बारिश के बाद ही अधिकांश जगहों पर सरसों की बिजाई हुई थी। इसलिए अब सरसों को भी पानी की आवश्यकता थी। इसलिए यह बारिश सरसों के लिए भी फायदेमंद है। हालांकि जहां ओले गिरे हैं, वहां फसल के पत्ते, टहनी या फल झड़ने से कुछ नुकसान हो सकता है।
गेहूं और सरसों की सिंचाई रोकें
एचएयू, हिसार के मीडिया एडवाइजरडा. संदीप आर्य ने बताया कि हमारे कृषि मौसम विभाग के अनुसार परिवर्तनशील मौसम व हल्की बारिश के आसार को देखते हुए किसान गेहूं और सरसों में सिंचाई को एक-दो दिन रोक लें। सरसों में स्प्रे करनी है तो भी आज और कल तक रुक जाएं। जौ की बिजाई 13 दिसंबर तक न करें।
भाटोल समेत कई गांवों में भारी बरसात के बाद हुई ओलावृष्टि, गेहूं की बिजाई पर पड़ा असर
हांसी : उपमंडल के गांव भाटोल जाटान, भाटोल रांगड़ान, जीतपुरा, गढ़ी व खरकड़ा गांव में बुधवार शाम को तेज बरसात के साथ भारी ओलावृष्टि हुई। तेज बरसात के कारण गेहूं की बुवाई को लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। इतना ही नहीं, जिन किसानों ने गेहूं की फसल की बिजाई कर ली है, उन फसलों के भी खराब होने की आशंका जताई जा रही है।
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