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अब आर्थिक रूप से कमजोर किसान भी कर सकेंगे स्‍ट्राबेरी की खेती, एचएयू ऐसे करेगा मदद

प्रदेश के किसानों को सस्ती दर पर मिलेगी गन्ने और औषधीय फसलों की पौध, एचएयू स्थित सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी द्वारा किसानों की मांग पर बड़े पैमाने पर होगा पौध उत्पादन

By manoj kumarEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 04:19 PM (IST)
अब आर्थिक रूप से कमजोर किसान भी कर सकेंगे स्‍ट्राबेरी की खेती, एचएयू ऐसे करेगा मदद
अब आर्थिक रूप से कमजोर किसान भी कर सकेंगे स्‍ट्राबेरी की खेती, एचएयू ऐसे करेगा मदद

जेएनएन, हिसार : प्रदेश के किसानों को गन्ने और विभिन्न औषधीय फसलों की टिशू कल्चर विधि द्वारा तैयार पौध बड़े पैमाने पर मिल सकेगी। सभी फसलों की पौध उच्च गुणवत्ता की और रोग रहित होगी। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय कैंपस में स्थित सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी द्वारा किसानों को पौधे देने के लिए कई फसलों की पौध तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर काम शुरू किया गया है। किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार पहले बताकर यहां से उच्च गुणवत्ता की पौध सस्ते दामों में हासिल कर सकेंगे।

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केंद्र के तकनीकी निदेशक डा. एके भाटिया के अनुसार प्रदेश भर में बड़ी संख्या में किसान गन्ने और स्ट्रॉबेरी सहित अन्य औषधीय फसलें लगाते हैं, लेकिन रोग रहित पौध लोने के लिए किसानों को दूसरे राज्यों या निजी संस्थाओं का रुख करना पड़ता है, जहां इन फसलों की पौध महंगी पड़ती हैं। जिसके कारण गन्ने की फसल पर अभी इसलिए हमने विभिन्न फसलों की पौध का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है।

इन फसलों की पौध का बड़ी संख्या में होगा उत्पादन

डा. भाटिया के अनुसार केंद्र में एलोवेरा, सर्पगंंधा, मीठी तुलसी, ब्राहमी, बांस, सफेद मुसली, डहलिया, आलू, जोजोबा, स्ट्रॉबेरी, मेहंदी, गन्ना और अन्य पौधों का टीशू कल्चर के माध्यम से गुणन किया जाएगा। केंद्र इससे पहले अन्य भी कई फसलों की पौध और पौध तैयार करने का प्रशिक्षण किसानों को देता रहा है।

6 महीने पहले जमा करवानी होगी 25 फीसद राशि

प्रो. भाटिया के अनुसार किसानों को गन्ना, स्ट्राबेरी, एलोवेरा, ब्राहमी, स्टीविया के पौधे प्राप्त करने के लिए पहले से बुङ्क्षकग करवानी होगी। किसानों को इसके लिए 6 महीने पहले कुल कीमत का 25 फीसद जमा करवाना होगा। इसके बाद केंद्र द्वारा उच्च गुणवत्ता के रोग रहित पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे।

ये रहेगी पौध की कीमत

केला, पोपलर, बांस, गुलदाउदी और मेहंदी की पौध 5 रुपये, एलोवेरा, स्टिविया ब्राहमी, स्ट्रॉबेरी, आलू, सर्पगंधा, शतावर, मुलेठी, कालमेघ की पौध 2 रुपये प्रति पौध के अनुसार किसानों को दी जाएगी। जोजोबा और हल्दी की पौध की कीमत 50 पैसे प्रति पौध होगी। वहीं गन्ने, सफेद मुसली 3 रुपये प्रति पौध के अनुसार किसानों को दी जाएगी। इसके अलावा युकलिप्टुस की पौध 6 रुपये में और अमरूद की पौध 15 रुपये प्रति पौध दी जाएगी। केंद्र द्वारा नींबू और जोजोबा की कीमत 10 रुपये, जबकि जटरोहा की पौध की कीमत 8 रुपये प्रति पौध रखी गई है। इसके अलावा किसानों को वर्मी कंपोस्ट 4 रुपये किलो, वर्मी कंपोस्ट 5 रुपये किलो और औषधिय अर्क 200 रुपये किलो के अनुसार दिया जाएगा।

 गन्ने की पौध का बीज 3-4 साल तक हो सकता है प्रयोग

डा. भाटिया के अनुसार आमतौर पर किसाना गन्ने का बीज बोते हैं, जो पूर्व में किसी गन्ने की फसल से ही लिया गया होता है। उस फसल में अगर कोई बीमारी है तो वह बीज में भी आ जाती है, जिससे अगली फसल में भी रोग आ जाता है। यही नहीं मिट्टी की बीमारियां भी इन पौधों में आ जाती है। उन्होंने बताया कि हमारे केंद्र द्वारा दी गई पौध में कोई बीमारी नहीं होती। इसे मिट्टी की बजाए लैब में टिशू कल्चर विधि से तैयार किया जाता है। इसलिए मिट्टी की बीमारियों का असर भी इसमें नहीं होता है। एक बार लगाई गई पौध से तैयार फसल से बीज (गन्ने की आंख) लेकर अगले वर्ष नई फसल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। किसान इससे 3 से 4 साल तक रोग रहित गन्ने की फसल ले सकता है। अन्य फसलों के लिए भी ऐसा ही है।

किसान गन्‍ने की फसल को लेकर नहीं है जागरुक

सीपीबी निदेशक डा एके भाटिया ने कहा कि हमने किसानों के लिए बड़े स्केल पर उत्पादन शुरू किया है। खासकर गन्ने की फसल पर हमारा सबसे अधिक फोकस है। किसान गन्ने की पौध लगाने को लेकर जागरूक नहीं है। इसलिए हमने सरकार की मदद से गन्ने और एलोवेरा की पौध को बड़ी संख्या में सस्ती दरों पर देने का निर्णय लिया है।


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