Move to Jagran APP

रिसर्च करने गए एचएयू के दो वैज्ञानिक और छह छात्र न्यूजीलैंड में फंसे, ऑनलाइन करवा रहे पढ़ाई

यह वैज्ञानिक न्यूजीलैंड से ही क्वारंटाइन में रहने के दौरान हिसार स्थित एचएयू के विद्यार्थियों को असाइनमेंट व दूसरे कार्य दे रहे हैं। ताकि घर पर ही छात्र पढ़ सकें।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 09:00 AM (IST)
रिसर्च करने गए एचएयू के दो वैज्ञानिक और छह छात्र न्यूजीलैंड में फंसे, ऑनलाइन करवा रहे पढ़ाई
रिसर्च करने गए एचएयू के दो वैज्ञानिक और छह छात्र न्यूजीलैंड में फंसे, ऑनलाइन करवा रहे पढ़ाई

हिसार [वैभव शर्मा] स्पार्क योजना के तहत रिसर्च करने न्यूजीलैंड गए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के दो वैज्ञानिक और छह छात्र वहां पर लॉकडाउन में फंस गए हैं। हालांकि वहां पर लॉकडाउन में लोगों को उचित दूरी बनाकर टहलने की अनुमति है, मगर वहां भी कोरोना वायरस अपने जोर पर है।

loksabha election banner

ऐसे में यह वैज्ञानिक न्यूजीलैंड से ही क्वारंटाइन में रहने के दौरान हिसार स्थित एचएयू के विद्यार्थियों को असाइनमेंट व दूसरे कार्य दे रहे हैं। ताकि घर पर ही छात्र पढ़ सकें। इन वैज्ञानिकों को छह अप्रैल को वापस हिसार आना था, मगर न्यूजीलैंड में भी लॉकडाउन हो गया और भारत में ही लॉकडाउन होने के कारण इंटरनेशनल फ्लाइट बंद कर दी गई। हालांकि न्यूजीलैंड के स्थानीय प्रशासन ने अब उनका वीजा 20 सितंबर तक बढ़ा दिया है।

ये है पूरा मामला

एचएयू के सीड साइंस टेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अक्षय भुक्कर और डा वीरेंद्र मोर न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर मानव संसाधन मंत्रालय के प्रोजेक्ट स्पार्क के तहत रिसर्च कर रहे हैं। इसके लिए वह 14 मार्च को दिल्ली से न्यूजीलैंड को रवाना हुए थे। तो इसी विभाग के छह विद्यार्थी समय मलिक, कनौज, साहिल, प्रतीक, अमन व विनीत आइडीपी प्रोग्राम के तहत रिसर्च करने न्यूजीलैंड 13 मार्च को रवाना हुए। वैज्ञानिक और छात्र 15 मार्च को न्यूजीलैंड में एक साथ मिले। इसके बाद वह अपने-अपने काम में जुट गए। छात्र शहर में रह रहे हैं और वैज्ञानिक इस समय यूनिवर्सिटी कैंपस के पास रुके हुए हैं। छात्रों को वहां मई तक रहना था, मगर लॉकडाउन के कारण स्थिति बदल गई।

ऐसे गुजार रहे हैं समय

दोनों वैज्ञानिकों ने खुद और छात्रों को भी क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी है। वह बताते हैं घर पर वीडियोकॉल से बात करते हैं। खाना भी खुद बनाते हैं, दो मीटर की दूरी का सख्ती से पालन करते हैं। इसके साथ ही छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत न आए, इसलिए ऑनलाइन असाइनमेंट भी दे रहे हैं। इस दौरान उन्हें वहां यूं तो कोई समस्या नहीं आ रही मगर जिस रिसर्च वर्क के लिए वह गए थे, वह नहीं हो पा रही, उसका दुख है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.