सोलर ग्रीन हाउस प्रकरण में कंपनी पर एफआइआर दर्ज कराएगा एचएयू प्रशासन
एचएयू में देश का पहला सोलर आधारित ग्रीन हाउस प्लांट बनना था। इसको लेकर टेंडर निकाले गए। एस्ट्रोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यह टेंडर लिया। करीब 20 फीसद काम कराने के बाद से कंपनी लापता है। यह प्रोजेक्ट पांच जुलाई तक पूरा हो जाना चाहिए था मगर अभी तक सिर्फ ढांचा ही खड़ा हुआ है। विवि के नए कुलपति प्रो. समर सिंह जब निरीक्षण के लिए गए तो वह प्रोजेक्ट की प्रगति देखकर हैरान रह गए। इसके बाद इस मामले की फाइलों को मंगाकर जांच शुरू करा दी गई।
जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में एशिया के पहले सोलर आधारित ग्रीन हाउस प्रोजेक्ट की जांच जारी है। जल्द ही विश्वविद्यालय प्रशासन एस्ट्रोन इंडिया लिमिटेड कंपनी पर एफआइआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कुलपति प्रो. समर सिंह ने यह फैसला लिया है। संभवत: अगले सप्ताह में एचएयू कैंपस चौकी में विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से तहरीर दे दी जाएगी।
बता दें कि कंपनी पर आरोप है कि उसने बिना काम किए ही विश्वविद्यालय से छह करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ली है, जबकि प्रोजेक्ट काफी कम काम हुआ है। एफआइआर कराने का सबसे बड़ा कारण है कि कंपनी किसी भी प्रकार से पत्राचार का जवाब ही नहीं दे रही है। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट को ग्लोबल टेंडर के जरिए कंपनी को दिया गया था। समिति ने मांगा समय
इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कुलपति ने समिति को 15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे, मगर तय समय पर जांच पूरी नहीं हो सकी। लिहाजा समिति से जुड़े अधिकारियों ने जांच के लिए कुछ दिन का समय और मांगा है। कुलपति ने इस पर सहमति दे दी है। क्या है सोलर ग्रीन हाउस प्रकरण
एचएयू में देश का पहला सोलर आधारित ग्रीन हाउस प्लांट बनना था। इसको लेकर टेंडर निकाले गए। एस्ट्रोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यह टेंडर लिया। करीब 20 फीसद काम कराने के बाद से कंपनी लापता है। यह प्रोजेक्ट पांच जुलाई तक पूरा हो जाना चाहिए था, मगर अभी तक सिर्फ ढांचा ही खड़ा हुआ है। विवि के नए कुलपति प्रो. समर सिंह जब निरीक्षण के लिए गए तो वह प्रोजेक्ट की प्रगति देखकर हैरान रह गए। इसके बाद इस मामले की फाइलों को मंगाकर जांच शुरू करा दी गई। इस मामले में सबसे रोचक पहलू यह है कि कंपनी की परफार्मेस खराब होने पर भी छह करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया गया।
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जांच के लिए समिति ने अभी और समय मांगा है। जिस पर सहमति दे दी है। अगले सप्ताह तक फर्म पर एफआइआर दर्ज करा रहे हैं।
प्रो. समर सिंह, कुलपति, एचएयू