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विदेशी संस्थानों में एचएयू के वैज्ञानिकों और छात्रों को रिसर्च का मिलेगा मौका

सम्मेलन में पहुंचे विदेशी सहयोगियों ने रिसर्च से लेकर छात्र एक्सचेंज प्रोग्राम तक के लिए एचएयू से मिलाया हाथ।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 04:22 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 04:22 PM (IST)
विदेशी संस्थानों में एचएयू के वैज्ञानिकों और छात्रों को रिसर्च का मिलेगा मौका
विदेशी संस्थानों में एचएयू के वैज्ञानिकों और छात्रों को रिसर्च का मिलेगा मौका

जेएनएन, हिसार :  हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे स्वर्ण जयंती अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (गोल्डन जुबली इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) न्यू मिलेनिया एग्रीकल्चर नॉवल ट्रेंडस एंड फ्यूचर सिनेरियो का शुक्रवार को समापन हुआ। इस कार्यक्रम में सबसे बड़ी बात यह रही कि अब एचएयू के वैज्ञानिकों व छात्रों को विदेशी संस्थानों में काम करने का मौका मिलेगा। तीन दिन के सम्मेलन में विदेशी मेहमान काफी प्रभावित हुए। उन्होंने अपने जाते-जाते एचएयू से एक साथ रिसर्च, स्टूडेंट एक्सचेंज व डुअल डिग्री कोर्स चलाने पर सहमति भी दी है। इसके साथ ही गैप फिलिंग प्रोग्राम के तहत वित्तीय सहायता का भी प्रयोग कर सकते हैं। सिर्फ यह नहीं बल्कि विश्व स्तर पर रिसर्च के लिए कुलपति प्रो केपी सिंह को कुछ समितियों में शामिल किया जा रहा है। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। इस समापन अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह मुख्य अतिथि रहे। इस सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। 

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सम्मेलन में इन विषयों पर एक्सपर्ट ने रखे विचार

प्रो. स‍िंह ने बताया कि सम्मेलन में कृषि क्षेत्र की उन्नति के लिए भविष्य में नए आयाम जैसे कि नैनो तकनीक आधारित मॉनिटरिंग, नैनो फर्टिलाइजर, नैनो पेस्टीसाइड, डाटा माइनिंग, मार्केट आधारित कृषि उत्पादन, अधिक उर्जा वाली फसलों संबंधी शोध, कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन, अन्न भंडारण की नई तकनीक, कृषि ज्ञान के प्रचार प्रसार की आधुनिक तकनीकों व समेकित कृषि प्रणाली की महत्ता पर बल दिया।

सम्मेलन पर विदेशीय पार्टनर्स की राय

पोलैंड के तकनीकी एवं जीव विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. हबिंज जैक ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत हुए शोध पत्रों की तारीफ की व बताया कि भविष्य में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए व कृषि वैज्ञानिकों में अभिनव सोच बनाने के लिए यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।

साऊथ कोरिया के प्रो. डू-सुन किम ने भी कुछ इसी प्रकार अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि बदलती जलवायु व किसानों की वर्तमान तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय अपनी शोध योजना तैयार ककें। उन्होंने कृषि को एक टिकाऊ व्यवसाय बनाने, भविष्य के शोध कार्यों को कृषि आधारित व मार्केट की जरूरत अनुसार करने पर प्रेरित किया। इस समारोह के सह-आयोजक भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी मंत्रालय, भारत सरकार थे। समापन समारोह में हुए प्लेनरी सेशन के दौरान विभिन्न प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों व भविष्य की शोध पर मंथन किया गया।


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