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Haryana Weather News: हरियाणा में छह अक्‍टूबर के बाद मानसून की विदाई के आसार, अब कम होगी बारिश

एंटीसाइक्लोनिक सिस्टम बनने की पूरी-पूरी संभावना बन रही है। अरब सागर से आ रही हवा प्रदेश में एक कम दबाव का क्षेत्र यानि डिप्रेशन अक्टूबर के पहले सप्ताह में बना सकती है। जिससे उमस बढ़ने और बारिश न होने की संभावना जताई जा रही है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 12:57 PM (IST)
Haryana Weather News: हरियाणा में छह अक्‍टूबर के बाद मानसून की विदाई के आसार, अब कम होगी बारिश
एंटीसाइक्लोनिक सिस्टम बनने से हरियाण में पांच अक्टूबर तक बारिश के कम हैं आसार

जागरण संवाददाता, हिसार। प्रदेश में एंटीसाइक्लोनिक सिस्टम बनने की पूरी-पूरी संभावना बन रही है। अरब सागर से आ रही हवा प्रदेश में एक कम दबाव का क्षेत्र यानि डिप्रेशन अक्टूबर के पहले सप्ताह में बना सकती है। जिससे उमस बढ़ने और बारिश न होने की संभावना जताई जा रही है। अगर बारिश हुई तो एक दो स्थानों पर ही हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना है। गौरतलब है कि छह अक्टूबर के बाद मानसून की वापसी का सिस्टम तैयार होने की संभावना मौसम विज्ञानियों ने जता दी है। इससे पहले सितंबर माह में सर्वाधिक हरियाणा में बारिश दर्ज की गई है। बारिश को लेकर प्रदेश में किसान काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही मंडियों में धान की खरीद भी शुरू हो रही है ऐसे में अब अगर बारिश आई तो किसानों का काफी नुकसान हो सकती है। हलांकि पांच अक्टूबर तक हर जगह बारिश आने के कम ही आसार हैं।

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मानसून आने की स्थिति

दक्षिण पश्चिम मानसून ने सबसे पहले 13 जून को दक्षिण हरियाणा में दस्तक दी थी। इसके बाद मानसून का कुछ भाग 18 जून को प्रदेश में आया। इससे पहले मानसून 13 जून 2008 में यानि 13 वर्ष पहले निश्चित समय से पहले आया था। वहीं मानसून की सबसे अधिक देरी 27 जुलाई 1987 में दर्ज की गई थी। मानसून सीजन के दौरान (एक जून से 30 सितंबर) प्रदेश में 571.3 एमएम बारिश दर्ज की गई जो कि औसत बारिश से 30 फीसद अधिक है। जबकि हरियाणा में औसत बारिश 438.6 एमएम थी। हालांकि यह वर्षा अधिक सीमा (20 से 59 फीसद) के भीतर है।

सबसे कम बारिश 1918 में की गई थी दर्ज

हरियाणा में 1901-2020 के दौरान सबसे अधिक मानसूनी बारिश वर्ष 1988 में हुई थी। जब राज्य में 1108.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। सामान्य वर्षा 603 मिलीमीटर की तुलना में 1995 और 1933 में राज्य में 939 एमएम और 826 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। इसके साथ ही सबसे कम बारिश 1901 से 2020 तक के बीच में 1918 में दर्ज की गई। तब 196.2 एमएम बारिश दर्ज की गई थी।

पिछले 10 वर्षों में बारिश

पिछले 10 वर्षों में देखें तो 2011 में 374.4 एमएम सामान्य बारिश हुई थी। जाे 19 फीसद कम थी। वहीं वर्ष 2018 में बारिश 10 फीसद कम होकर 415.2 एमएम और 2020 में 14 फीसद कम रहकर 376 एमएम बारिश दर्ज की गई। वहीं लगातार पांच वर्ष तक 2012 से 2017 तक मानसून की बारिश औसत से भी कम हुई थी।

दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी की स्थिति:

चंडीगढ़ स्थित भारत मौसम विज्ञान विभाग के विज्ञानियों की मानें तो छह अक्टूबर से उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी की शुरुआत के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनने की संभावना लग रही है। इससे पहले पांच अक्टूबर तक भारतीय तट से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर एक डिप्रेशन के पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है। जिससे उत्तर पश्चिमी भारत में निचले और मध्य क्षेत्रों में निचले स्तर के एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन का विकास हो सकता है। इसके प्रभाव में, भारत के अत्यधिक उत्तर-पश्चिमी भागों में नमी में भारी कमी और वर्षा की अनुपस्थिति की बहुत संभावना है।


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