Haryana weather : मौसम ने बदली करवट, 21 से 26 मार्च तक बारिश के बने रहेंगे आसार
Haryana weather 2123 मार्च व 25-26 मार्च को भी बीच -बीच मे आंशिक बादल हवाएं चलने परन्तु कहीं कहीं गरज चमक के छिटपुट बूंदाबांदी या हल्की बारिश होने की संभावना है।
हिसार, जेएनएन। इस माह पश्चिमी विक्षोभ ने एक बार फिर से प्रदेश में मौसम की चाल को बिगाड़ दिया है। जहां पिछले दो दिनों से दिन के समय गर्मी हो रही थी तो शुक्रवार को देर रात्रि अचानक से आंधी चलने लगी। इसके बाद बालसमंद क्षेत्र में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई। वहीं हिसार में तेज हवा के साथ बिजली चमकती रही मगर बारिश ज्यादा नहीं हुई। झज्जर में भी मौसम बदला तो यमुनानगर में भी बारिश हुई। इसके साथ अन्य जिलों में भी देर रात मौसम का मिजाज बदलता नजर आया।
यह मौसम परिवर्तन पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण हुआ है। मौसम विभाग की मानें तो 21 से 23 मार्च व 25-26 मार्च को बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही 25 मार्च को भी मौसम में परिवर्तन होगा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की मौसम वेधशाला के अनुसार शुक्रवार को हिसार में 28.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापामन 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
मौसम विभाग ने ये जताया अनुमान
एचएयू के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि प्रदेश में दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी व उत्तर व उत्तरपश्चिमी हवाये चलने की संभावना से रात्रि तापमान में गिरावट परन्तु पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से 20 मार्च से मौसम में बदलाव हुआ है। 21,23 मार्च व 25-26 मार्च को भी बीच -बीच मे आंशिक बादल, हवाएं चलने परन्तु कहीं कहीं गरज चमक के छिटपुट बूंदाबांदी या हल्की बारिश होने की संभावना है।
प्रदेश में 11 बार पश्चिमी विक्षोभ दे चुका है दस्तक
प्रदेश में 11 बार पश्चिमी विक्षोभ ने पिछले तीन महीनों में दस्तक दे चुका है। जिसमें से 7 बार पश्चिमी विक्षोभ इतना सक्रिय रहा कि प्रदेश के कई जिलों में बारिश भी की। सिर्फ यह नहीं बल्कि हवाओं का सर्कुलेशन ऐसा बना कि पहाड़ों में हो रही बर्फबारी और तेज हवाओं ने मिलकर ओलावृष्टि से किसानों के हलक सुखा दिये हैं। वहीं सरसों की फसल अंतिम पड़ाव में है ऐसे में बारिश का होना किसानों को काफी नुकसान करेगा।
पकाव के अंतिम पड़ाव पर सरसों की फसलें
सरसों की फसलें पकाव के अंतिम पड़ाव पर हैं। वहीं गेहूं की फसलों में वर्तमान में पानी की आवश्यकता है। एक सप्ताह पहले भी प्रदेश में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को बर्बाद किया था, ऐसे में एक बार फिर से किसान चिंतिंत है। इतना ही नहीं मौसम के डर से कुछ किसानों ने तो अपनी अधपकी फसलों को पहले ही काट लिया ताकि ओलावृष्टि से फसलें बिल्कुल तबाह न हो। वहीं एक बार फिर से मौसम के मिजाज बदलने से किसान चिंतित है। क्योंकि जिन किसानों ने अपनी सरसों की फसल काट ली है, वह भीगने से पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है।