हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं देने के सुधारीकरण में अव्वल, ओवरऑल पंजाब-हिमाचल से पिछड़ा
22 फीसद मेडिकल ऑफिसर व 21 फीसद स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग। 2017 की हेल्थ रिपोर्ट में 12वें स्थान से लुढ़का था प्रदेश दो सालों बाद फिर 12वें स्थान पर।
हांसी (हिसार) [मनप्रीत सिंह] स्वस्थ जीवन प्रत्येक नागरिक का बुनियादी अधिकार है व नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना सरकार की प्रथम जिम्मेदारी है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी की गई हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट में प्रदेश ने एक रैंक का सुधार करते हुए 12वां पायदान हासिल किया है। पब्लिक को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मामले में प्रदेश ने बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन डाक्टरों व नर्सों के खाली पदों के चलते प्रदेश हेल्थ रैंकिंग में पड़ोसी राज्यों (पंजाब व हिमाचल) से पिछड़ गया व उम्मीद के अनुरूप रैंक हासिल नहीं कर पाया है।
हालांकि कई मामलों में प्रदेश ने सीमित संसाधनों के बलबूते सराहनीय काम किया है जिसकी बदौलत तरक्की (इंक्रीमेंटल) की रैंकिंग में नंबर 1 पर काबिज हुआ है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में अभी भी काफी सुधार की दरकार है। रिपोर्ट बताती है कि 1 हजार नवजात बच्चों में से 22 बच्चे जन्म लेने के 28 दिनों के अंदर दम तोड़ देते हैं व 8.5 फीसद बच्चे अंडर वेट जन्म लेते हैं।
बता दें कि हरियाणा राज्य इससे पहले वर्ष 2015-16 के हेल्थ इंडेक्स में 12वीं रैंक हासिल कर चुके है जो पिछली रिपोर्ट में गिरकर 13वीं हो गई थी। हेल्थ इंडेक्स में उम्मीद के अनुरूप सुधार ना होने की प्रमुख वजह प्रदेश में डाक्टरों व नर्सों के खाली पड़े पद हैं। रिपोर्ट में भी रिक्त पदों के मामले में प्रदेश को रेड जोन में रखा गया है। हालांकि महिलाओं की स्वस्थ डिलीवरी व बच्चों मे टीकाकरण के मामले में प्रदेश ने रिकार्ड प्रदर्शन किया है जिसकी वजह से रैंकिग में एक पायदान का सुधार हो पाया है।
2014-15 के मुकाबले स्वास्थ्य खर्च में अव्वल सरकार
स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में लगी सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष (2019-20) में प्रदेश का स्वास्थ्य बजट 5016 करोड़ रखा है, जोकि हरियाणा के कुल बजट का 4.7 फीसद है। वित्तीय वर्ष में सरकार ने स्वास्थ्य बजट में बीते साल के मुकाबले 12 फीसद का इजाफा किया है। 2014-15 के सालों में हालात ये थे कि प्रदेश का करीब 55-60 फीसद स्वास्थ्य बजट ही खर्च हो पाता था। लेकिन वर्तमान सरकार ने इस दिशा में ठोस निर्णयों की बदौलत 2017-18 में तस्वीर बदल गई व बीते वित्त वर्ष में 85 फीसद स्वास्थ्य बजट खर्च हुई। आयुष्मान भारत के अंतर्गत भी प्रदेश के 15 लाख परिवार 5 लाख तक का मुफ्त इलाज करवा रहे हैं।
स्टाफ की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग (आंकड़े फीसद में)
पद 2015-16 2017-18
एएनएम 15.2 15.2
स्टाफ नर्स 43.2 35.4
मेडिकल ऑफिसर 25.5 22.4
स्पेशलिस्ट चिकित्सक - 21.1
प्रदेश पहले भी प्राप्त कर चुका है 12वां रैक
नीति आयोग की रिपोर्ट में प्रदेश को 12वां रैंक दिया गया है। जबकि इससे 3 वर्ष पूर्व 2014-15 की हेल्थ रिपोर्ट में प्रदेश स्वास्थ्य रैंकिंग में 12वें स्थान पर था। लेकिन वर्ष 2015-16 की रैंकिंग में एक स्थान नीचे लुढ़कते हुए प्रदेश 13वें रैंक पर आ गया था। 12वां रैक प्रदेश का अब तक का रिकार्ड प्रदर्शन है व अंडर-10 राज्यों की सूची में प्रदेश अभी शामिल नहीं हो पाया है।
चार सालों में यूं बढ़ा स्वास्थ्य बजट
वित्त वर्ष बजट राशि
2019-20 - 5016 करोड़ रुपये
2018-19 - 4769
2017-18 - 3815
2016-17 - 3044
प्रदेश में 52.9 एफआरयू यूनिट
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 59 सरकारी अस्पताल, 119 सीएचसी व 486 पीएचसी हैं। लेकिन अधिकतर अस्पताल डाक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं व मरीजों को समूचित इलाज देने में सक्षम नहीं हैं। हेल्थ रिपोर्ट के बताती है कि प्रदेश में केवल 52.9 एफआरयू(फस्र्ट रेफरल यूनिट) हैं जहां तमाम तरह की चिकित्सकिय सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं।
महिलाओं में फर्टिलिटी रेट बढ़ा, लेकिन अंडर वेट बच्चों की स्थिति में हुआ सुधार
स्वास्थ्य रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं में फर्टिलिटी रेट भी 2.2 से बढ़कर 2.3 हो गया है जो महिलाओं के स्वास्थ्य व जनसंख्या की दृष्टि से एक चिंताजनक स्थिति है। वहीं, पिछले रिपोर्ट में अंडर वेट बच्चों के मामले में हरियाणा की बुरी स्थिति थी। 14.19 फीसद नवजात अंडर वेट थे जबकि वर्तमान रिपोर्ट में ये आंकड़ा 8.5 फीसद पर आ गया है।
पिछली दो हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की स्थिति
2018 हेल्थ इंडेक्स 2019 हेल्थ इंडेक्ट
अंडर वेट बच्चे - 14.19 फीसद 8.5 फीसद
5 वर्ष तक मृत्यू-दर- 43(1 हजार बच्चों पर) 37(1 हजार बच्चों पर)
बच्चों में टीकाकरण - 83.5 फीसद 88.9 फीसद
फीमेल फर्टिलिटी रेट - 2.2 2.3
अस्पताल में डिलीवरी- 80.2 फीसद 84.2 फीसद
आबादी के लिहाज से हिमाचल का स्वास्थ्य बजट हरियाणा से अधिक
हेल्दी स्टेट्स प्रोग्रेसिव इंडिया शीर्षक से नीति आयोग द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में पंजाब व हिमाचल प्रदेश क्रमश: पांचवे व छठे नंबर पर हैं। जबकि हरियाणा प्रदेश 12 वें नंबर पर है। प्रदेश का वर्तमान स्वास्थ्य बजट 5016 करोड़ व आबादी करीब 3 करोड़ है। पंजाब का स्वास्थ्य बजट 4156 करोड़ व आबादी भी करीब 3 करोड़ के आसपास है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश की महज 68.6 लाख आबादी का स्वास्थ्य बजट 2751 है।