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दांव पर थी प्रतिष्‍ठा, लाेकसभा मैदान में थे तीनों लालों के वंशज, ये मार ले गए थे बाजी

बात 15 वर्ष पूर्व 2004 के लोकसभा चुनाव की की है। जब तीन पूर्व मुख्‍यमंत्री भजनलाल बंसीलाल समेत देवीलाल के उत्तराधिकारी बेटे चुनाव लड़ रहे थे। भिवानी लाेकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला था

By manoj kumarEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 02:26 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 03:32 PM (IST)
दांव पर थी प्रतिष्‍ठा, लाेकसभा मैदान में थे तीनों लालों के वंशज, ये मार ले गए थे बाजी
दांव पर थी प्रतिष्‍ठा, लाेकसभा मैदान में थे तीनों लालों के वंशज, ये मार ले गए थे बाजी

चरखी दादरी [सुरेश गर्ग] हरियाणा का चुनाव हर बार बेहद चर्चित रहता है। कई राजनीति के धुरंधर हरियाणा से ही रहे। वहीं हरियाणा के तीनों लालों की राजन‍ीति के चर्चे देशभर में सुनने को मिल जाते हैं। एक चुनाव ऐसा था जो आज भी सबकी जुबान पर रहता है। बता दें कि परिसीमन होने से पूर्व भिवानी संसदीय क्षेत्र का एक चुनाव ऐसा  भी रहा है जिस पर उस समय न केवल पूरे प्रदेश के निगाहें थी बल्कि देशभर के लिए वह खासी दिलचस्पियों का केन्द्र बना रहा।

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इस चुनाव में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के उत्तराधिकारी बेटे चुनाव लड़ रहे थे इसलिए प्रत्याशियों से अधिक उनकी पारिवारिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। यहां यह भी कहा जा सकता है अप्रत्यक्ष  रूप से यह चुनाव उस समय अगले कुछ माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज की जंग के रूप में बदल चुका था। आज भी यहां के लोगों के जेहन में उस संघर्षमय, प्रतिष्ठा के चुनाव की  यादें रह रहकर उभर जाती है। बात अधिक पुरानी नहीं आज से 15 वर्ष पूर्व सन 2004 के लोकसभा चुनाव की की है। इनमें सात जिला भिवानी लोकसभा में क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा क्षेत्र थे। 

इनमें सात जिला भिवानी के दादरी, बाढड़ा, लोहारू, मुढ़ाल, भिवानी, बवानीखेड़ा, तोशाम तथा दो जिला हिसार के आदमपुर, हांसी पड़ते थे। उससे पूर्व सन् 2000 चुनाव में  प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लहर के चलते इनेलो-भाजपा प्रत्याशी के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र अजय सिंह चौटाला भिवानी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। केन्द्र में इनेलो के एनडीएम से अलग होने के बाद 2004 के चुनाव में इनेलो, भाजपा की राहें जुदा हो चुकी थी।

अजय चौटाला ने पुन: 2004 के संसदीय चुनाव में अपनी दावेदारी जताई तथा जोर शोर से प्रचार मुहिम शुरू की थी। उनके मुकाबले में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. बंसीलाल के उत्तराधिकारी सुरेन्द्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजन लाल के कुलदीप बिश्नोई मैदान में उतरे। सुरेन्द्र सिंह हरियाणा विकास पार्टी व कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस के प्रत्याशी अजय चौटाला को टक्कर देने सामने आए।

रही सही कसर भाजपा ने पूरी कर दी। यहां से इस पार्टी ने प्रदेश के अपने दिग्गज नेता रामबिलास शर्मा को टिकट देकर अखाड़े में उतार दिया था। चुनाव तो लोकसभा का था लेकिन जिस कद के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला था उसके चलते ऐसा लगता था मानो प्रदेश में किसकी हुकुमत बनेगी लड़ाई इसे लेकर है। तब के मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश  चौटाला, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों चौ. बंसीलाल व भजनलाल ने प्रचार में सारी ताकत लगा दी थी। प्रदेश भर के इन तीनों दिग्गजों के समर्थकों के अलावा भाजपा के भी समर्थकों ने लगातार तीन सप्ताहों तक क्षेत्र में डेरा डाले रखा।

हजारों की संख्या में सियासी पार्टियों के स्थानीय व बाहरी समर्थकों, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव को पंचायत चुनाव की तरह बदल दिया था। एक एक घर में जाकर मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए सभी तरीके इस्तेमाल किए जा रहे थे। हर गली, चौराहें, नुक्कड़ पर प्रचारक नजर आते थे। इसी के चलते वह चुनाव पूरे प्रदेश के लिए जिज्ञासाओं तथा देशभर की हॉट सीटों में शुमार किया जाने लगा था।

दिन और रात चला था प्रचार

प्रतिष्ठा, सियासी वर्चस्व के रूप में तबदील होने  के कारण भिवानी लोकसभा क्षेत्र के 2004 के चुनाव में प्रमुख प्रत्याशियों व उनके समर्थकों ने दिन रात एक कर दिया था। हालांकि प्रचार के लिए कुछ नियम निर्धारित थे  लेकिन ऐसा लगता था जैसे प्रचार का सूरज तीन सप्ताहों से यहां डूबा ही नहीं। सुबह से रात तक कालोनियों में प्रचार मुहिम से जुड़ी आवाजें गूंजती रही थी तथा ऐसा लगता था सारा क्षेत्र चुनावी रंग से पूरी तरह सरोबार हो चुका है।

कुलदीप बिश्नोई चुने गए सांसद

सन 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर कड़े मुकाबले में कुलदीप बिश्नोई चुने गए। इस चुनाव में लोकसभा क्षेत्र के कुल 11 लाख 92 हजार 271 मतदाताओं में से 8 लाख 71 हजार 144 मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। कुलदीप बिश्नोई को 2 लाख 90 हजार 936, जो कुल मतो का 33.40 फीसदी थे हासिल हुए। दूसरे स्थान पर हविपा के सुरेन्द्र सिंह रहे। उन्हें 2 लाख 66 हजार 532 मत 30.60 फीसदी मिले जबकि इनेलो के अजय चौटाला को 2 लाख 41 हजार 958 मत 27.67 फीसदी मिले। भाजपा के रामबिलास शर्मा को महज 24 हजार 467 व बसपा के रामानंद जांगड़ा को 17 हजार 216 मत ही हासिल हुए। कुलदीप, सुरेन्द्र व अजय को छोड़कर सभी प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गई थी।

इसलिए  भिवानी बनी थी हॉट सीट

जिला भिवानी पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल का गृह जिला था। यहां उनका प्रभाव प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा सर्वाधिक माना जाता था। अजय सिंह चौटाला यहां के सांसद होने के साथ साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के राजनैतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखे जाते थे। संसदीय क्षेत्र के तहत आदमपुर, हांसी विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री भजन के सर्वाधिक सियासी वजूद के विधानसभा क्षेत्र थे। उनका गृह निर्वाचन क्षेत्र आदमपुर ही रहा था। कांग्रेस की सत्ता आने पर भजन लाल को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता था। इसलिए उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी।


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