Move to Jagran APP

हरियाणा की कमलेश 62 की उम्र में साइक्लिंग से हुई निरोग, युवाओं सा जोश, मेडलों से भरी झोली

हरियाणा की कमलेश राणा ने साइकिल को बनाया साथी तो उन्हेें बीपी और शुगर से छुटकारा मिल गया। वह हरियाणा से यूपी तक साइकिल पर सवार होकर जाती हैं। वह 30 से अधिक मेडल व ट्राफी जीत चुकी हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 02:36 PM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 02:45 PM (IST)
हरियाणा की कमलेश 62 की उम्र में साइक्लिंग से हुई निरोग, युवाओं सा जोश, मेडलों से भरी झोली
अपना सर्टिफिकेट व मेडल दिखातीं कमलेश राणा।

रोहतक [रतन चंदेल]। जो महिलाएं शुगर-बीपी की दवाएं लेकर भी ठीक नहीं हो पाती। उनके लिए रोहतक की कमलेश राणा मिसाल बनी हुई हैंं। कमलेश ने बिना दवा लिए ही न केवल शुगर को कंट्रोल किया, बल्कि उनको बीपी कोलेस्ट्रोल जैसी भी अब कोई समस्या नहीं है। यह सब हुआ सिर्फ साइक्लिंग से।

loksabha election banner

कमलेश का दावा है कि केवल साइकिल चलाने से ही उनको इन तमाम बीमारियों से छुटकारा मिल गया है। जिसके बाद वे दूसरों को भी साइकिल चलाकर बीमारी भगाने और पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाए हुए हैं। 62 की उम्र में भी कमलेश में युवाओं सा जोश देखा जा सकता है। वे तमाम बुजुर्गाें व युवाओं के लिए मिसाल पेश कर रही है।

रोहतक के सेक्टर-4 निवासी कमलेश अब तक विभिन्न प्रतियोगिताओं में 30 से अधिक मेडल व ट्राफी भी जीत चुकी हैं। हरियाणा से यूपी तक भी वे साइकिल पर सवार होकर ही जाती हैं। कमलेश के मुताबिक अच्छे स्वास्थ्य के लिए साइकिल को ही साथी बना लिया है और गांवों में जाकर भी लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उनसे प्रेरित होकर अनेक युवा भी रोजाना साइकिल चलाने लगे हैं।

पति के निधन से हुआ था डिप्रेशन

दरअसल, तीन साल पहले उनके पति ओमबीर सिंह राणा का बीमारी के कारण निधन हो गया था। इसके बाद डिप्रेशन के चलते उनका शुगर 440 जबकि कोलेस्ट्रोल 250 तक पहुंच गया था। ये देख बेटी पुष्पा ने उनको साथ में साइकिल चलाने को कहा और दाेनों साथ-साथ साइकिल चलाने लगी। कमलेश को यह अच्छा लगा तो वह रोजाना साइकिल चलाने लगी और कुछ समय बाद उनको साइकिल चलाने का जुनून हो गया। उनका दावा है कि छह माह में शुगर, कोलेस्टोल व बीपी ठीक हो गया। उसके बाद अब तक डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी है।

यूपी व दिल्ली तक साइकिल पर गई 

कमलेश मूल रूप से यूपी के मुजफ्फरनगर के गांव सौरम की बेटी है। 1980 में शादी के बाद से वह पति के साथ रोहतक में ही रहने लगी। कमलेश अब यूपी में अपने मायके भी साइकिल पर जाती हैं। इसके अलावा वे बागपत, दिल्ली व चंडीगढ़ भी अकसर साइकिल पर ही चली जाती हैं। युवा भी उनसे प्रेरित होकर उनके साथ ही साइकिल पर निकल पड़ते हैं। उनसे प्रेरित होकर कुछ लाेग महिलाओं के लिए साइकिल प्रतियोगिताएं भी कराने लगे हैं, ताकि साइकिल चलाकर महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त रख सकें और पर्यावरण संरक्षण भी हो सके। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.