हरियाणा लॉकडाउन : अंतिम संस्कार में 11 लोगों को जाने की छूट, झज्जर में नहीं कोई शव वाहन
अंतिम संस्कार में कुल 11 लोगों को जाने की छूट दी गई है। उन लोगों को विशेष दिक्कत हो रही है। जो कि अंतिम यात्रा में शामिल हो रहे हैं या फिर जिनके यहां पर अनहोनी हुई हो। शहर में ऐसे किसी भी शव वाहन की सेवा नहीं है।
झज्जर, जेएनएन। कोविड संक्रमितों की मौत के अलावा मौजूदा समय में एकाएक संदिग्ध मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। सरकार के स्तर पर अंतिम संस्कार में कुल 11 लोगों को जाने की छूट दी गई है।ऐसी स्थिति में उन लोगों को विशेष दिक्कत हो रही है। जो कि अंतिम यात्रा में शामिल हो रहे हैं या फिर जिनके यहां पर अनहोनी हुई हो। कारण कि फिलहाल, शहर में ऐसे किसी भी शव वाहन की सेवा नहीं है। जो कि शव को घर से श्मशान घाट तक पहुंचाने का कार्य करें। ऐसे में सीमित लोगों की हाजिरी में चार कंधों पर शव को श्मशान तक पहुंचाने की प्रक्रिया परेशानी दायक साबित हो रही है। हालांकि, पिछले दिनों में एक संस्था के स्तर पर शव वाहन खरीदने की प्रक्रिया को लेकर प्रयास किया गया था। लेकिन, अभी तक वह सिरे नहीं चढ़ पाया। जिसकी वजह से अब लोगों को मजबूरन किराए पर वाहन लेकर जाना पड़ता है।
भीड़ ज्यादा होने पर भेजा जा रहा वापस
फिलहाल, जिस तरह का समय आन बना है, को देखते हुए लोग पहले ही श्मशान घाट पर होने वाली प्रक्रियाओं में कम शामिल हो रहे हैं। दूसरा, चौक-चौराहों से गुजरने वाली शव यात्रा में अगर भीड़ ज्यादा हो तो पुलिस के स्तर पर भी जागरूक करते हुए यह समझाया जा रहा है कि नियमों के तहत प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
ऐसी स्थिति में अब नए नियमों के अनुसार 11 से ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते। जिसकी वजह से यह भी देखा जा रहा है कि शव को घर से श्मशान तक ले जाने वाले चार लोगों का स्वास्थ्य कम से कम ऐसा हो। जो कि आसानी से इस कार्य को कर पाए। क्योंकि, जिला मुख्यालय की बात करें तो शहर के बाहरी क्षेत्रों में ही श्मशान घाट मौजूद है। जो कि काफी दूर भी है। ऐसे में प्राय: शहर के किसी भी हिस्से से श्मशान तक पहुंचने में काफी समय लग रहा है।
---शहर में कोई शव वाहन नहीं है। जिसकी मौजूदा समय में सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है। प्रशासन को बेशक ही इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए। क्योंकि, मौजूदा समय में 11 से ज्यादा लोगों को जाने की छूट नहीं है।
--राकेश अरोड़ा, प्रधान, व्यापार मंडल
-----शव वाहन नहीं होना चिंता का विषय है। मजबूरी की स्थिति में वाहन को किराए पर करते हुए व्यवस्था बनाने का प्रयास हो रहा है। प्रशासन एवं सामाजिक संस्थाओं को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए।
संजय भाटिया, प्रधान, मुल्तान सभा सेवा समिति