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Haryana budget 2021: हड़प्पाकालीन सभ्यता को संजोये तिगड़ाना खेड़ा का संरक्षण करेगी सरकार

भिवानी का तिगड़ाना खेड़ा हड़प्पाकालीन और महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा रहा है। पुरातत्व विभाग की खोदाई में यह साबित हो चुका है। पिछले साल 25 जनवरी से 16 मार्च तक तिगड़ाना के खेड़े में पुरातत्व विभाग ने खोदाई की थी। यहां पर म्यूजियम बनाया जाएगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 07:04 AM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 07:04 AM (IST)
Haryana budget 2021: हड़प्पाकालीन सभ्यता को संजोये तिगड़ाना खेड़ा का संरक्षण करेगी सरकार
भिवानी का तिगड़ाना खेड़ा हड़प्पाकालीन और महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा रहा है।

भिवानी [सुरेश मेहरा]। हड़प्पाकालीन सभ्यता के इतिहास को संजोये तिगड़ना खेड़े का संरक्षण अब खुद प्रदेश सरकार करेगी। सरकार के संरक्षण में आने के बाद हड़प्पाकालीन सभ्यता और इससे भी पुरानी सभ्यता हुई तो उसके अवशेष मिलने में भी आसानी रहेगी। इतना ही नहीं यहां पर म्यूजियम बनाने के रास्ते खुलेंगे। इसके लिए बवानीखेड़ा के विधायक बिशंबर वाल्मीकि पहले ही प्रयासरत हैं।

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अपने संरक्षण में लेने की घोषणा बजट भाषण के दौरान की गई। भिवानी का तिगड़ाना खेड़ा हड़प्पाकालीन और महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा रहा है। पुरातत्व विभाग की खोदाई में यह साबित हो चुका है। पिछले साल 25 जनवरी से 16 मार्च तक तिगड़ाना के खेड़े में पुरातत्व विभाग ने खोदाई की थी। इसमें हड़प्पाकालीन सभ्यता से जुड़े पांच हजार साल पुराना मटका, हड़प्पाकालीन मकान का ढांचा आदि के अलावा उस काल की मिट्टी की चुड़ियां व खिलौने मिले थे। महेंद्रगढ़ में मौजूद केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली के पुरातत्व विभाग अध्यक्ष एवं पुरातात्विक शोध परियोजना तिगड़ाना के निदेशक रहे डा. नरेंद्र परमार की अगवाई में खोदाई कार्य किया गया था।

खानक में बनारस हिंदू विवि और तिगड़ाना में केंद्रीय विवि जांट पाली की टीम करेगी खोदाई

इस बार भिवानी में गांव खानक और गांव तिगड़ाना में पुरातत्व विभाग की टीम खोदाई कार्य करेगी। पुरातत्व विभाग की टीम खानक में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े पुरातत्वविद डा. वशंत शिंदे और गांव तिगड़ाना में केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली के पुरातत्व विभाग अध्यक्ष डा. नरेंद्र परमार की अगवाई में खोदाई कार्य करेगी। इस खोदाई के दौरान पहले की गई खोदाई कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा।

खेड़े में पहले भी हो चुकी खोदाई

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार भिवानी के गांव तिगड़ाना में 2020 के अलावा 2016 में भी खोदाई कार्य हो चुका है। इसके अलावा गांव मिताथल में 1968 के अलावा वर्ष 2012 में भी खोदाई कार्य हुआ था। यहां खोदाई के दौरान हड़प्पाकालीन सभ्यता के मकान और रसोई मिली थे। इस दौरान मकान और रसोई के अलावा सिलबट्टा, हारा और चूल्हा भी मिले थे। जिले के ही गांव नौरंगाबाद में वर्ष 2001 मेंं खोदाई कार्य हुआ था। नौरंगाबाद में खोदाई के दौरान कुषाण व योद्धा कालीन गणराज्य के सिक्के मिले थे।

यहां म्यूजियम बन सकेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे : परमार

--- प्रदेश सरकार ने इसे अब अपने संरक्षण में लेने की घोषणा की है तो यहां म्यूजियम बन सकेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। विधायक बिशंबर वाल्मीकि तो म्यूजियम के लिए पहले ही प्रयास कर रहे हैं।

- डा. नरेंद्र परमार, अध्यक्ष, पुरातत्व विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय जांट पाली।

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