जीवनसंगिनी रही नहीं, सरकार भी निकली बेवफा, यहां बच्चों की मां बने पिता
करीब दस माह पहले घोषित विधुर पेंशन योजना सरकार के ठंडे बस्ते में है। आलम ये है कि पत्नी का साथ भ्ाी नहीं और पैसे के अभाव में विधुरों का जीवन कष्टकारी हो चला है। जानें क्या है मामला
फतेहाबाद [मणिकांत मयंक] तकरीबन दस माह पहले की बात है। विधानसभा का बजट सत्र था। प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक अनूठी घोषणा की थी। अनूठी इसलिए कि देश के कई राज्यों में बुढ़ापा अथवा विधवा पेंशन जैसी योजनाएं चल रही हैं मगर हरियाणा सरकार ने विधुरों के लिए पेंशन की घोषणा की। काश कि यह घोषणा अमल की जमीन पर उतर पाती। सरकार ने इसे फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ऐसा तब है जबकि हजारों विधुरों की आशा भरी निगाहें सरकार की अधिसूचना की बाट जोह रही हैं। उनके मुख से यही बातें निकलती हैं कि जिंदगी के अहम मोड़ पर जीवनसंगिनी साथ छोड़ गई...। अब सरकार भी बेवफा निकली...। उफ नियति व नीयत की यह कैसी विडंबना?
नीयत सरकार की। इस पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि करीब डेढ़-दो साल पहले समालखा से निर्दलीय विधायक रविंद्र मच्छरौली ने लगातार कई मंचों पर सवाल उठाए थे। इस पर विधानसभा के बजट सत्र में सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण बेदी ने विधुरों के लिए पेंशन की घोषणा की थी। 10 माह बाद भी यह घोषणा धरातल से इतनी दूर है कि अब तक सर्वे ही नहीं हो सका है। नोटिफिकेशन तो बाद की बात है। सरकार की विभागीय प्रधान सचिव नीरजा शेखर बताती हैं कि सरकार के पास योजना विचाराधीन है। उधर, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी इस संबंध में फाइल वित्त विभाग में भेजे जाने की दलील देते हैं।
विधुर पेंशन योजना के दो केसों से जानिए वस्तु-स्थिति
केस वन : शहर में शक्ति नगर निवासी सोहनलाल। उम्र करीब 50 साल। निर्धन परिवार के सोहनलाल की पत्नी ने लगातार छह बच्चियों के बाद सातवें बच्चे के रूप में बेटा पैदा किया। एक और बेटे की चाह में पुन: गर्भवती हुई, लेकिन इस बार डिलीवरी के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। करीब दस साल पहले सोहनलाल विधुर हो गया। एक बच्ची ननिहाल वाले तो दूसरी को मौसी ले गई पालने। दिन-रात दिहाड़ी कर रहा सोहनलाल बच्चों के लिए खुद ही खाना पकाता है। उनकी परवरिश की सारी दिनचर्या पूरी करता है।
केस टू : गांव कुम्हारिया का मंगतूराम। उम्र करीब 49 साल। बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। भूमिहीन कहा जा सकता है। दो लड़के और एक लड़की है। पत्नी अक्सर बीमार रहती थीं। गरीबी में भी गिरधारी लाल ने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। मगर करीब पांच साल पहले आंत की बीमारी से पत्नी की मौत हो गई। तीनों बच्चों की परवरिश सिर पर आ गई। हालांकि एक लड़की को उसकी बुआ ले गई। बाकी दोनों बच्चों को खुशहाल जीवन देना अब उसके लिए पहाड़-सा है।
यह थी विधुर पेंशन की शर्तें
- कम से कम 45 साल की उम्र हो
- जिनके दो बच्चे हों
- दोबारा शादी करने पर पेंशन बंद कर दी जाएगी
- 1800 रुपये मिलने थे पेंशन
विधायक बोले- मंत्री जी से बात हुई है दिया है आश्वासन
समालखा विधायक रविंद्र मछरौली ने कहा कि मंत्री जी से मेरी बात हुई थी। उन्होंने आश्वासन दिया था। मैंने उनसे यह भी कहा था कि अगर नहीं लागू करोगे तो विधानसभा में फिर सवाल उठाऊंगा। पिछले सेशन में भी सवाल उठाया था। मेरा तो जनहित में सवाल उठाना फर्ज है। मैं फिर उठाऊंगा।
मंत्री बोले- अभी बजट की जांच होनी है
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि फाइल वित्त विभाग में भेजी गई थी। अभी बजट की जांच होनी है। यह भी पता लगाना है कि प्रदेश में कितने लोग विधुर लोग इस योजना में लाभार्थी हो सकते हैं। सर्वे आदि तमाम पहलुओं के बाद विधुर पेंशन योजना लागू कर दी जाएगी।