फतेहाबाद में नगर परिषद अधिकारियों की बढ़ी परेशानियां, सीएम ने मांगा सफाई से संबंधित पूरा रिकार्ड
फतेहाबाद नगरपरिषद ने शहर से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का टेंडर ओपन किया। लेकिन सरकार ने इस मंजूरी तक नहीं दी। फिर नाइट स्वीपिंग के लिए टेंडर लगाया गया लेकिन नगर निकाय ने इसे भी रद कर दिया और करीब 50 लाख रुपये की लागत की स्वीपिंग मशीन भेज दी।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में इस बार स्थानीय निकाय चुनाव में सीधे चेयरमैन चुने गए है। ऐसे में अब सरकार इन चेयरमैनों की पावर भी कम करने जा रही है। अगले कुछ दिनों में चेक पावर खत्म होने का डर सता रहा है। ऐसे में अब सीएम ने प्रदेश के सभी नगरपरिषद व नगरपालिका में सफाई से संबंधित डाटा मांग लिया है। जिससे नगरपरिषद के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। दो दिन पहले यह डाटा नगरपरिषद फतेहाबाद से यह डाटा लिया गया है। यह डाटा क्यों मांगा जा रहा है इसका अभी कुछ पता नहीं है, लेकिन इसकी जांच भी हो सकती है।
स्वीपिंग मशीन की जानकारी भी ली है, नप हर महीने करीब साढ़े चार लाख रुपये कर रही खर्च
फतेहाबाद नगरपरिषद की बात करे तो शहर में सफाई व्यवस्था अच्छी नहीं है। दरअसल शहर में छह कालोनियां और शामिल हो गई है। करीब छह महीने पहले इन कालोनियों को शामिल किया गया था, लेकिन आज तक यहां पर सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई है। ऐसे में किसी ने सीएम के पास शिकायत भी भेजी हुई है। ऐसे में सीएम ने सफाई से संबंधित डाटा मांगा है।
नगरपरिषद से इन कामों का लिया गया है डाटा
कितने कर्मचारी कार्यरत है।
तीन सालों में कितने कर्मचारी लगाए गए है।
सफाई के लिए कितने संसाधन है।
तीन साल में सफाई को लेकर कितने टेंडर लगाए गए है।
नाइट स्वीपिंग के लिए क्या व्यवस्था है।
डंपिंग प्वाइंट से कूड़ा उठाने के लिए कितने रुपये की राशि खर्च की गई।
स्वीपिंग मशीन पर कितने रुपये प्रति महीना किया जा रहा खर्च
स्वीपिंग मशीन भी नहीं साबित हो रही कारगर
एक समय था जब फतेहाबाद नगरपरिषद ने शहर से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का टेंडर ओपन किया। लेकिन सरकार ने इस मंजूरी तक नहीं दी। फिर नाइट स्वीपिंग के लिए टेंडर लगाया गया, लेकिन नगर निकाय ने इसे भी रद कर दिया और करीब 50 लाख रुपये की लागत की स्वीपिंग मशीन भेज दी। नप अब इस मशीन पर प्रति महीना साढ़े चार लाख रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन इसका परिणाम जीरो है। यह मशीन केवल सड़कों पर सफाई कर रही है। सड़कों पर वाहन चलने के कारण वैसे ही मिट्टी नहीं रहती है। ऐसे में सफाई कर्मचारियों को साइडों में सफाई करने के लिए झाड़ू उठाना पड़ रहा है। इस मशीन पर केवल रुपये खर्च किए जा रहे है लाभ नहीं मिला। दो महीने पहले इस मशीन को वापस भेजना था जो आज तक वापस हीं गई है।
शहर में शामिल हुई सात कालोनियों में नहीं हो रही सफाई
पिछले साल शहर की नए सिरे से वार्डबंदी की गई थी। यही कारण है कि जो सात कालोनियां गांव में शामिल थीं उन्हें शहर में शामिल कर लिया गया हैं। शहर में शामिल हुई कालोनी स्वामी नगर, हरनाम सिंह कालोनी, कालीदास कालोनी, एकता कसलोनी, आदर्श कालोनी, हंस कालोनी शामिल हैं। लेकिन आज तक इन कालोनियों में सफाई करने के लिए कर्मचारी नहीं गए है।
न कर्मचारी और न ही संसाधन
शहर की सफाई करने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। लेकिन नप के पास तो वो भी नहीं है। नियम के अनुसार 400 लोगों पर एक कर्मचारी होना चाहिए। शहर की जनसंख्या करीब एक लाख है। वहीं सफाई करने वाले कर्मचारियों की संख्या 165 है। इनमें से 30 कर्मचारी अधिकारियों की कोठियों में काम कर रहे है। ऐसे में अब एक हजार लोगों के पीछे एक कर्मचारी है। ऐसे में पूरे शहर में कैसे सफाई होगी।
ये है सफाई व्यवस्था
संसाधन चाहिए मौजूद
कर्मचारी 300 165
साइकिल रेहड़ी 100 50
ट्रैक्टर ट्राली 5 02
टाटा एस 25 12