अजब-गजब : पढ़ाई क,ख,ग से ज्यादा नहीं, फिर भी मिनटों में बना देते हैं कार्ड के क्लोन
पढ़ाई-लिखाई के मामले में क ख ग से ज्यादा नहीं पता लेकिन शातिर इतने की अत्याधुनिक उपकरणों से लैस पुलिस भी इनके सामने गच्चा खा जाए। पढ़ें इनकी पूरी कहानी।
रोहतक [विनीत तोमर] पढ़ाई-लिखाई के मामले में क, ख, ग से ज्यादा नहीं पता, लेकिन शातिर इतने की अत्याधुनिक उपकरणों से लैस पुलिस भी इनके सामने गच्चा खा जाए। ना कोई नौकरी ना कोई कारोबार, इनका धंधा तो कार्ड के क्लोन बनाकर लोगों के खातों से रकम उड़ाना है। पढ़ाई-लिखाई में नाममात्र होने के बाद भी वह अपने काम में माहिर है। कुछ समय से डेबिट कार्ड से फ्रॉड और ओएलएक्स के नाम पर धोखाधड़ी कर खातों से रकम निकालने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आप भी जानकार हैरान होंगे कि इन मामलों को लेकर अभी तक जिन आरोपितों को पकड़ा है उन्हें पढ़ाई-लिखाई का कोई ज्यादा ज्ञान नहीं है। इनमें कोई पांचवीं पास है तो कोई आठवीं पास। फिर भी ठगी के इस खेल में शातिर खिलाड़ी बने हुए थे।
गिरोह : 1 :
बाप-बेटा और जीजा बना लेते थे कार्ड का क्लोन
हाल ही में सीआइए-1 की टीम ने अंतरराज्यीय गिरोह के तीन बदमाशों को पकड़ा था। आरोपितों की पहचान करतारपुरा निवासी सन्नी, हिसार के खांडा खेड़ी निवासी मुकेश, जो फिलहाल दिल्ली के सुल्तानपुरी में रहता था। इसके अलावा मुकेश के बाप सुरेश को भी गिरफ्तार किया गया था। सन्नी रिश्ते में मुकेश का साला लगता है। आरोपितों ने हरियाणा, यूपी, दिल्ली समेत कई प्रदेशों में लोगों को शिकार बना रखा था। आरोपितों के पास से 17 डेबिट कार्ड और स्कैनर मशीन भी बरामद की गई थी। हैरानी की बात यह थी कि तीनों आरोपितों में से एक भी आरोपित आठवीं से ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है। लेकिन फिर भी धोखे से किसी व्यक्ति का एटीएम कार्ड मशीन में स्कैन करते और फिर उसका क्लोन बना लेते थे।
गिरोह : 2
5वीं पास ससुरालियों से सीखा था तरीका, फिर ठगे थे 16 लाख
पिछले साल भी सीआइए-1 की टीम ने अंतराज्यीय गिरोह का खुलासा किया था। जो ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर लोगों को अपना शिकार बनाता था। पुलिस ने फरीदाबाद निवासी मुबारिक को गिरफ्तार किया था। आरोपित मुबारिक की ससुराल भरतपुर जिले के पाड़ला गांव में है। जहां पर कम पढ़े-लिखे लोगों की संख्या ज्यादा है और इसी तरह ठगी के धंधे में लगे रहते हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े 5वीं पास आरोपित ने भी अपनी ससुराल में रूककर कई दिनों तक पूरा नेटवर्क समझा था और कुछ ही दिनों में करीब 16 लाख की ठगी कर डाली थी।
कार्ड क्लोनिंग का तरीका :
आरोपित अपने पास कोई भी पुराना एटीएम कार्ड रखते हैं। इसके बाद एटीएम में रुपये निकालने में मदद के बहाने से किसी का भी एटीएम कार्ड धोखे से स्कैनर मशीन में स्वाइप कर लेते हैं। मशीन में डाटा सेव हो जाता है। इसके बाद आरोपित मशीन में सेव हुए डाटा को कंप्यूटर की मदद से उसकी कोडिंग पुराने एटीएम कार्ड में फीड कर देते हैं। फिर कार्ड का क्लोन तैयार कर दिया जाता है।
ओएलएक्स पर ठगी का खेल :
आरोपित मोबाइल, बाइक या फिर अन्य सामान का फोटो ओएलएक्स पर अपलोड करते हैं। फोन करने पर पीडि़त को झांसा देते हैं कि वह सेना का जवान या फिर अधिकारी और तबादला होने के कारण सामान बेच रहा है। इसके लिए पहले पेटीएम में कुछ रुपये डालने होंगे और यहां से सामान डिलीवर कर दिया जाएगा। रुपये डालने के बाद दूसरा व्यक्ति कोरियर वाला बनकर बात करता है। इसके बाद तीसरा व्यक्ति खुद को कोरियर का बड़ा अधिकारी बताकर शर्त लगा देता है कि पहले पूरी रकम जमा करनी होगी, तभी यह डिलीवर हो पाएगा। रकम मिलते ही उनके मोबाइल नंबर बंद हो जाते हैं।
----पकड़े गए गिरोह के सदस्य ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन फिर भी ठगी के खेल में पूरे माहिर थे। किस व्यक्ति से कैसे बात करनी है और कैसे उसका कार्ड मशीन में स्वाइप करना है इन्हें सब जानकारी होती थी।
- इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार, प्रभारी सीआइए-1।