रावण दहन के बाद मातम में बदल गई रणसिंह की रौनक, एक चिता पर जले दो शव
दशहरा देख लौट रहे थे वापस घर, सड़क दुर्घटना में दोनों की हुई थी मौत, एक ही चिता पर हुआ दादा पोते का हुआ अंतिम संस्कार
जेएनएन, झज्जर : दशहरा मेला से वापस लौटने के दौरान डायवर्जन के नजदीक एक निजी बस की चपेट में आने से काल का ग्रास बने दादा-पोते का अंतिम संस्कार भी एक साथ एक ही चिता पर किया गया। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में मौजूद रहे लोग गमगीन दिखाई दिए। यहां हर आंख नम थी और रह-रह कर इस बात का जिक्र हो रहा था कि रणसिंह के जीवन में उसके पोते रौनक से ही रौनक थी। कुदरत ने भी परिवार पर ऐसा कहर ढहाया कि दोनों की दुनिया से अंतिम विदाई भी एक साथ ही हुई। हालांकि, घर से तो दोनों को परिजन अलग-अलग ही लेकर गए थे। लेकिन राम बाग में अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ।
गौरतलब है कि शुक्रवार सांय झज्जर- बहादुरगढ़ मार्ग पर पडऩे वाले डायवर्जन के नजदीक साईकिल पर सवार होकर दशहरा मेला देखने आ रहे दादा-पोता को एक निजी बस ने अपनी चपेट में ले लिया था। बस के रफ्तार में होने के कारण दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इधर, शनिवार दिन के समय में कागजी प्रक्रिया पूरा करने के बाद शव परिवार को सौंप दिए गए। जिसके बाद उन्हें घर से श्री राम बाग तक ले जाया गया। उल्लेखनीय है कि तीन वर्षीय रौनक पुत्र सज्जन पाल अपने दादा के भाई रणबीर ङ्क्षसह पुत्र मांगे राम निवासी माता गेट, नीम आली के साथ साईकिल पर सवार होकर डायवर्जन मार्ग से होते हुए दशहरा मेला से वापिस जा रहे थे।
इसी बीच बहादुरगढ़ मार्ग पर डायवर्जन के नजदीक बहादुरगढ़ की ओर से आ रही एक निजी बस ने साईकिल को अपनी चपेट में ले लिया। जिसके चलते मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। दुर्घटना की सूचना जब परिजनों को मिली तो बड़ी संख्या में परिजनों के साथ शहर के लोग भी मौजूद थे। किसी को यह तक नहीं पता था कि हादसा हुआ किस तरह है। बस वे बेहाल थे। शनिवार सुबह दोनों का पोस्टमार्टम किए जाने के बाद शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए।
मुहल्ले में छाया मातम
रफ्तार की चपेट में आई इन दो जिंदगियों के चले जाने का गम जहां परिवार के लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई दिया। वहीं शुक्रवार रात अस्पताल की बात हो या शनिवार दिन के समय में परिवार के आस-पास का माहौल। हर जगह सभी चिंतित और व्यथित दिखाई दिए। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। रात को भी परिवार के सदस्यों महिला सदस्यों को बड़ी मुश्किल संभाला। पड़ोसियों का कहना था कि बच्चा पूरे मौहल्ले का लाडला था। सभी के घरों में जाकर खेलता था। विश्वास भी नहीं हो रहा कि यह हादसा हो गया है। इधर, इस बात भी जिक्र हो रहा था कि दोनों के बीच आपस में अच्छा स्नेह था। रण सिंह सदैव उसे अपने साथ ही रखते थे। मृतक रण सिंह जो कि रौनक के दादा के सगे भाई है, की शादी भी नहीं हो रखी थी। संयुक्त परिवार में रहने वाले रणबीर सिंह का रौनक के साथ बड़ा स्नेह था। जिसके कारण वह प्राय: उनके साथ ही रहता था।