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जिम्‍मा 9वीं से 12वीं तक का, प्राइमरी कक्षाओं को भी पढ़ा रही शिक्षिका, जानें कैसे बदलेे स्‍कूल के हालात

सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने का उठा रखा है बीड़ा, खाली पीरियड में प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने का करती हैं काम, ड्राप आउट भी जोड़ रही है शिक्षा से दोबारा

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 03:32 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 03:32 PM (IST)
जिम्‍मा 9वीं से 12वीं तक का, प्राइमरी कक्षाओं को भी पढ़ा रही शिक्षिका, जानें कैसे बदलेे स्‍कूल के हालात
जिम्‍मा 9वीं से 12वीं तक का, प्राइमरी कक्षाओं को भी पढ़ा रही शिक्षिका, जानें कैसे बदलेे स्‍कूल के हालात

झज्जर [तपस्वी शर्मा] : सरकारी स्कूल शिक्षक या शिक्षिका की पोस्‍ट के बारे में सुनते ही आप एक आरामदायक जॉब की बात के बारे मेें सोचतेे हों। मगर हरेक शिक्षक इस  बात सेे इत्‍‍‍‍‍‍फाक नहीं रखता। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शेरिया की राजनीति शास्त्र की प्राध्यापिका निशा देवी भविष्य की पौध तैयार करने में जुटी हुई हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ जहां नौवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवा रही हैं। वहीं खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी विद्यार्थियों को निखारने का प्रयास कर रही हैं। प्रात: कालीन सत्र में विद्यार्थियों को देश-दुनिया की ताजा घटनाओं से अवगत करवाना उनकी दिनचर्या में शामिल है। इसके अलावा खाली समय के दौरान प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य भी करती है। राजकीय स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने और गांव में डोर टू डोर जाकर ड्राप आउट विद्यार्थियों के बारे में सर्वे कर ऐसे विद्यार्थियों को दोबारा शिक्षा के साथ जोडऩे का कार्य भी कर रही है। जिसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे है और सभी उनके इस कार्य की प्रशंसा भी कर रहे है।

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 डोर टू डोर चलाया अभियान

निशा जब उसने स्कूल में ज्वाईन किया तब स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा नहीं थी। गांव में निजी स्कूलों की संख्या अधिक होने के कारण अभिभावक निजी स्कूलों में ही अपने बच्चों को भेजते थे। तब उन्होंने स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने का निश्चय किया और दाखिला समय के दौरान गांव में डोर टू डोर प्रचार भी किया। अभिभावकों को अपने बच्चों को राजकीय स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित किया और राजकीय स्कूलों के फायदे बताए। जिसके सुखद परिणाम भी सामने आए और पहले की अपेक्षा विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि भी हुई। इसी दौरान उन्होंने गांव में ड्राप आउट हुए विद्यार्थियों के बारे में भी पता लगाते हुए दोबारा शिक्षा के साथ जोडऩे का प्रयास भी किया।

विद्यार्थियों में वितरित करतीं है किताबें

नौंवी कक्षा को विद्यार्थियों के करियर की पहली सीढ़ी माना जाता है। इसी कक्षा से ही विद्यार्थी अगर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते है तो आगामी परीक्षाओं की तैयारियां करने में भी मदद मिलती है। इसी के चलते उन्होंने पहले घर पर नोटस तैयार किए और फिर विद्यार्थियों को  नोटस के अलावा प्रतियोगिता परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध करवाई। जिसके चलते विद्यार्थियों की पुस्तकें पढऩे में भी रूचि उत्पन्न हुई। राजकीय स्कूल में एक समस्या यह भी आती है कि विद्यार्थी पास होकर भले ही बड़ी कक्षाओं में प्रवेश कर लेते है। लेकिन उन्हें वो ज्ञान नहीं होता जो कि कक्षा के स्तर का होना चाहिए। ऐसे में उनका प्रयास यह रहता है कि जब प्राइमरी ङ्क्षवग के बच्चों का शुरू से ही इस तरीके से अध्यापन किया जाए ताकि जब वो बड़ी कक्षाओं में प्रवेश ले तो उन्हें परेशानी ना हो। निशा कहती है कि उनका कार्य बच्चों को पढ़ाना है। चाहे वो छोटी कक्षाओं के हो या बड़ी कक्षाओं के इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों को करतीं हैं प्रेरित

सारा दिन विद्यार्थी पढ़ते- पढ़ते बोरियत महसूस करने लगते है। जब उन्हें लगता है कि बच्चे पढ़ाई में कम रूचि ले रहे है तो वह उनको योग और अन्य खेलों के माध्यम से तरों-ताजा करने का प्रयास करती है ताकि विद्यार्थी दोबारा पढ़ाई मन लगाकर कर सके। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित कर रही है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हरियाणवी संस्कृति को आगे बढ़ाने पर फोकस रखती है ताकि हरियाणवी संस्कृति का और अधिक प्रगति कर सके।

इसी कड़ी में स्वच्छता पखवाड़े के दौरान जब स्कूल परिसर में विद्यार्थियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए श्रमदान करने के लिए प्रेरित किया तब शुरूआती समय में विद्यार्थियों में साफ-सफाई करने में थोड़ी सी हिचकिचाहट दिखाई दी। प्रयास हुआ तो  विद्यार्थी भी अभियान में जुड़ गए। वहीं गांव में जागरूकता रैली निकालकर और डोर टू डोर जाकर भी अपने आसपास सफाई रखने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया। 

---वर्ष 2003 से निजी स्कूल से अध्यापन कार्य की शुरूआत की थी। वर्ष 2012 में सरकारी नौकरी लग गई और राजकीय स्कूल में पढ़ाने का अवसर मिला। निजी स्कूलों में जो देखा उसे राजकीय स्कूलों में करने का प्रयास किया। मेरा मानना है कि शिक्षा के माध्यम से ही विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। इसी सोच के चलते विद्यार्थियों के हितों को देखते हुए बेहतर करने का प्रयास कर रही हूं। 

- निशा देवी, प्राध्यापिका, राजनीति शास्त्र, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शेरिया।


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