गांवों में नजर नहीं आएंगे कूड़े के ढेर, हर खंड में स्थापित होगा गोबर गैस प्लांट
एडीसी एएस मान ने सराहनीय कार्य करने वाले 54 सरपंचों को एक-एक लाख रुपये देकर सम्मानित किया। गांवों में विकास के लिए शिक्षा विभाग, महिला-बाल विकास विभाग व सरपंच मिलकर करेंगे काम
हिसार, जेएनएन। अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने कहा कि जिला के प्रत्येक खंड के एक-एक गांव में गोबरधन योजना के तहत गोबर गैस प्लांट लगाया जाएगा। गांवों को स्वच्छता के पैमानों पर खरा उतारने के लिए गोबर व कूड़े का प्रभावी निपटान किया जाएगा। गांव के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा सरपंच मिलकर करेंगे, जिसके लिए प्रशासन द्वारा एक प्रभावी योजना बनाई गई है।
एडीसी मान ने यह बात आज जिला सभागार में विश्व शौचालय दिवस पर महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग व सरपंचों के संयुक्त सेमिनार को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने उल्लेखनीय सुधार कार्य करने वाले जिला के 54 सरपंचों को एक-एक लाख रुपये तथा योजनाओं को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। सेमिनार को विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा मनोवैज्ञानिक, प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।
अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने कहा कि गोबरधन योजना के प्रारंभिक चरण में प्रत्येक खंड के एक-एक गांव में गोबर गैस प्लांट लगाया जाएगा। इसके तहत गांव के कूड़े व गोबर से गैस व खाद बनाई जाएगी और गांवों में कुरडिय़ों को भी खत्म किया जाएगा। इससे न तो गांव में गंदगी रहेगी और न ही बीमारियां फैलेगी। इस कार्य को सफल बनाने के लिए उन्होंने सरपंचों से सहयोग मांगा। उन्होंने पूछा कि जब हम हर साल बीमारियों के इलाज पर हजारों-करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं तो इस पैसे को बचाने के लिए स्वच्छता को क्यों नहीं अपना सकते।
एडीसी मान ने कहा कि वर्षों पहले जब महिलाएं सिर पर मटका लेकर कई-कई किलोमीटर दूर से पानी लाती थीं तब घर के सभी सदस्यों को उस पानी की कीमत का पता था लेकिन आज जब सरकार ने घर-घर तक नलों के जरिए पानी पहुंचा दिया तो हमें पानी की कद्र नहीं है। गलियों में बिना टैप लगे नलों से सारा दिन पानी बेकार बहता रहता है जिससे पानी की बर्बादी तो होती ही है, गांव में गंदगी और बीमारियां भी फैलती हैं। इतना ही नहीं, गंदगी और बीमारियों के लिए हम सरपंच, प्रशासन व सरकार को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं। यदि हम खुले बहते नल पर 10 रुपये की प्लास्टिक की टैप न लगा सकें तो यह हमारे लिए शर्म की बात है।
उन्होंने कहा कि सरपंच गांव रूपी ट्रेन के वह इंजन हैं जो चाहें तो इसे दिल्ली से भी दूर ले जा सकते हैं। सरपंच की इच्छाशक्ति, नई सोच व ऊर्जा से गांव में इतने सुधार हो सकते हैं जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। उन्होंने दाहिमा के सरपंच की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मानित किया जिन्होंने गांव में 9 लाख लीटर पानी की बचत की। इसी प्रकार उन्होंने विभिन्न गांवों के ऊर्जावान सरपंचों द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों के बारे में बताते हुए दूसरे सरपंचों से इन कार्यों से प्रेरणा लेने को कहा।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि हम सभी को अपने कार्यों के प्रभावी परिणाम प्राप्त करने के लिए तकनीक को अपनाना होगा। महिला-बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर यदि आंगनवाड़ी का निरीक्षण करने जाती है तो उसे मोबाइल एप पर मौके का फोटो अपलोड करना होगा। इसके बिना उसका निरीक्षण नहीं माना जाएगा। उन्होंने सरपंचों, आंगनवाड़ी वर्कर्स को कहा कि वे गांव में ऐसे स्थानों की पहचान करें जहां सडक़ दुर्घटनाएं होने की आशंका हो। उन्होंने कहा कि हमें जिला को दुर्घटना में मृत्यु का आंकड़ा न्यूनतम करना है, क्योंकि दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के परिवार पर क्या गुजरती है, इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
डीईईओ देवेंद्र सिंह ने बताया कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर मिलना बहुत जरूरी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि विपरीत परिस्थितियों में रहने वाले बच्चे किस प्रकार शिक्षा के बल पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि हर अभिभावक को अपने बच्चे की पीटीएम में जरूर जाना चाहिए, क्योंकि बच्चों से बड़ी कोई जिम्मेदारी नहीं होती। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में पुस्तकों की कमी हो, वे विभाग को जानकारी दें, उन्हें पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएंगी। जिला परियोजना अधिकारी डॉ. राजकुमार नरवाल ने कहा कि हम सबको अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी। जब हम सब मिलकर आपसी समन्वय से काम करेंगे तो निश्चित ही गांव की दिशा व दशा को बदल देंगे। उन्होंने कहा कि परिवर्तन में हर व्यक्ति को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुनीता यादव ने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, उनके अधिकारों, पोक्सो एक्ट के प्रावधानों, गुड टच-बैड टच सहित अनेक पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी उपस्थितगण को दी। मनोविज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एकता ने कहा कि हम सबको अपने काम में गौरव ढूंढना चाहिए, तब हम उसके साथ सच्चा न्याय कर पाएंगे और उसे करने में मजा आएगा। प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी की प्रतिनिधि ने बच्चों को संस्कार देने पर बल देते हुए कहा कि विज्ञान और अभिभावकों ने उन्हें हर सुविधा दी है लेकिन संस्कारों के बिना ये सब अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे की कमियां निकालने की आदत छोडक़र एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढऩे की मानसिकता पैदा करनी चाहिए।
इस अवसर पर विभिन्न गांवों के सरपंच, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला परियोजना अधिकारी डॉ. पूनम रमन, डीपीएम पिंकी यादव, सीडीपीओ, सुपरवाइजर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स व विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।