चुनौतियों से भरी दिव्यांगों की डगर को समानता की उड़ान देगा जीजेयू
जन्म से दिव्यांगता के साथ जिदगी जीने की चुनौती किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं हैं। फिर समाज में समानता न मिलना भी एक अभिशाप ही है।
जागरण संवाददाता, हिसार:
जन्म से दिव्यांगता के साथ जिदगी जीने की चुनौती किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं हैं। फिर समाज में समानता न मिलना भी एक अभिशाप ही है। दिव्यांगजनों को किसी की सहानुभूति की नहीं बल्कि समानता और समान मौकों की दरकार है। ऐसे ही लोगों को उड़ान देने का काम गुरु जंभेश्वर तकनीकि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय में शनिवार को डिसेबिल्टी रीसोर्स सेंटर कर रही है। शनिवार को इस सेंटर का पहला वेबिनार आयोजित हुआ, जिसमें हिसार ही नहीं बल्कि देशभर के कई स्थानों से संस्थाओं ने भाग लिया। जिसमें कुलपति प्रो टंकेश्वर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर ने कहा कि हमें पैरा सपोर्ट्स अचीवर्स की सराहना और सहयोग करना चाहिए क्योंकि वे अपनी क्षमता से ऊपर काम करते है। खेल जीवन को जीवंत बनाता है। खेल भावना हमें मानसिक रूप से सशक्त बनाती है। वेबिनार का विषय खेल जीवन में प्रगति, उपलब्धि और स्वतंत्रता के मार्ग का अवसर रहा। जिसमें पैरा एथलीटों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए दूसरों को प्रेरित किया। आयोजकों की मानें तो डिसेबिल्टी रीसोर्स सेंटर के जरिए दिव्यांग विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में हर संभव मदद की जाएगी। यहां तक कि उन्हें समानता का वातावरण देना एक बड़ी चुनौती होगी।
इन एक्सपर्ट से जानें -- जिन्होंने दिव्यांगता को हराया फिर मैदान जीता
1- व्हील चेयर वाले व्यक्ति के प्रति बनें संवेदनशील
देश विदेश में कई पदक जीतने वाली पैरा एथलीट एकता भ्याण बताती हैं कि मैं क्या नही कर सकता के स्थान पर मैं क्या कर सकता हूं जैसी सकरात्मक सोच हमें अपने हौसलों पर अटल रख सकती है। व्हील चेयर वाले व्यक्ति के प्रति समाज को संवेदनशील होना चाहिए। शिक्षा स्वतंत्रता की कुंजी है और खेल उन्हें समाज में स्वीकार्यता दिलाता है। सही अवसर और सही समर्थन उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकती है।
2- पैरा स्पोर्ट्स ने हमें दिया हौसला
कॉमनवेल्थ खेलों में पैरा वेटलिफ्टिग से सचिन चौधरी ने विपक्षी खिलाड़ियों को मात दी थी। उन्होंने देश के लिए कांस्य पदक भी जीता। वह बताते हैं पैरा स्पोर्ट्स भविष्य में किसी भी खेल के समकक्ष होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक पदक लाकर देश को गौरवान्वित करेगा। यह समाज में दिव्यांग लोगों के लिए स्वीकार्यता को बढ़ाता है। पैरा स्पोर्ट्स हमें हौसला देता है तो आप भी अपने-अपने क्षेत्र में कुछ ऐसी ही खोजें। वेबिनार का वह हिस्सा जो हमें सकारात्मक रखता है
विवि में स्पोर्ट्स मेडिसिल विषयों पर ही शुरू हो सकते हैं कोर्स विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डा. अवनेश वर्मा ने कहा कि पैरा स्पोर्ट्स को स्वीकार्य बनाने के लिए मीडिया को अधिक जागरूक और संवेदनशील होने की आवश्यकता है। पैरा स्पोर्ट्स इंडस्ट्री एंड सर्विस में अपार संभावनाएं हैं। इसके प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। विश्वविद्यालय में स्पोर्ट्स मेडिसिन विषयों पर भी कोर्स शुरू किए जा सकते हैं। इस तरह के वेबिनार के माध्यम से सभी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए टीम डिसेबिलिटी रेसोर्स सेल सराहना की हकदार है। हमारा स्वयं से मुकाबला
एक निजि समाचार चैनल के खेल संपादक विमल मोहन ने कहा कि हमारा स्वयं से ही मुकाबला है। प्लानिग और माइंड मैपिग से हमें फोक्सड रह सकते हैं। दिव्यांगों ने स्पोर्टस में अभूतपूर्व सफलता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों द्वारा प्राप्त की हैं देश को गौरान्वित किया है।
दिव्यांग फ्रेंडल समाज के मापदंडों का करें पालन
डिसेबिल्टी रिसोर्स सेंटर के कोआर्डिनेट और सीएमटी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर विक्रम कौशिक ने कहा कि कोई भी पूर्णतया कुशल नहीं होता है। सभी में ईश्वर प्रदत्त अंतर है, जीवन अनमोल है और इसे निरंतर बनाये रखने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है। विश्वविद्यालयों को सुगम और दिव्यांग लोगों के बीच का ब्रिजिग ग्राउंड होना चाहिए। जीजेयू ने इस दिशा में पहल भी की है। विश्व में आबादी के 15 फीसद लोगों में कुछ दिव्यांगता है। हमें दिव्यांग फ्रेंडली समाज के सभी अनिवार्य मापदंडों के लिए हमें अपनी भूमिका पहचानना और बखूबी निभाना होगा। संस्थानों की भूमिका समाज की ऐसी आवश्यकताओं के लिए अनुसंधान और नए आचरण रूपी बनाना भी है। इस दौरान इसीई विभाग से कुलदीप सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया तो सीएसई विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज के लिए शुक्रियादा किया। वहीं संचालन जनसंचार विभाग से छात्रा प्रिया शर्मा ने किया।