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जीजेयू कैंपस में मकान आवंटन को लेकर खींचतान

गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी में प्राध्यापकों को मकान आवंटन मामला एक बार फिर चर्चा में है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 05:51 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 05:51 AM (IST)
जीजेयू कैंपस में मकान आवंटन को लेकर खींचतान
जीजेयू कैंपस में मकान आवंटन को लेकर खींचतान

जागरण संवाददाता, हिसार

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गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी में प्राध्यापकों को मकान आवंटन मामला एक बार फिर गर्म हो गया है। मकान खाली होने से पहले ही विवाद शुरू हो गए हैं। टीचर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आवंटन के अंतिम फैसला से पहले ही आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया है।

यूनिवर्सिटी में काम कर रहे प्राध्यापकों के लिए कैंपस में ही रिहायश की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। सीनियरटी के हिसाब से प्राध्यापकों को मकान आवंटन का नियम है। इसके लिए बाकायदा सीनियरटी लिस्ट भी होती है और मकान आवंटन का फैसला अलाटमेंट कमेटी ही करती है। लेकिन इसके बावजूद वीसी की पावर होती है कि 10 प्रतिशत मकान वह अपने हिसाब से जरूरतमंद को आपातकाल की स्थिति में डिस्क्रीशनरी कोटा तथा एसेंशियल सर्विसेज कोटा के तहत आवंटन किया जा सकता है। लेकिन एक प्राध्यापक को मकान आवंटन होने से पहले ही विवाद शुरू हो गए हैं। यूनिवर्सिटी की टीचर एसोसिएशन के पदाधिकारी भी दो गुटों में बंटे हैं। एक गुट मकान आवंटन के पक्ष में है जबकि दूसरा पक्ष विरोध कर रहा है।

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गजुटा की प्रधान बोली: दबाव में प्रशासन ले रहा फैसला

यूनिवर्सिटी की टीचर एसोसिएशन की प्रधान प्रो. सुमित्रा सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके आरोप लगाया है कि गुरु जंभेश्वर अभियंत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन भारी बाहरी दबाव में एफ टाइप तथा डी टाइप मकान डिस्क्रीशनरी कोटा तथा एसेंशियल सर्विसेज कोटा के तहत देने की कोशिश कर रहा है। यह काफी गलत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय काफी लंबे समय से ई-टाइप तथा एफ-टाइप तथा डी-टाइप मकान नहीं बने हैं। कई प्राध्यापक हैं जो कि छोटे मकानों में रह रहे हैं या फिर कैंपस से बाहर रह रहे हैं। ऐसे में प्रशासन अगर यह करता है तो यह गलत होगा। ऐसी खबरों से अध्यापकों में काफी रोष उत्पन्न होता है। उन्होंने मांग की कि मकान आवंटन सीनियरटी के हिसाब से अलाट होने चाहिए तथा इसके लिए हाउस अलाटमेंट कमेटी बनी हुई है। उन्होंने चेतावनी दी कि गजुटा ऐसे प्रयासों की भ‌र्त्सना करती है तथा विश्वविद्यालय प्रशासन को आगाह करती है कि अगर ऐसा होता है तो गजुटा हर तरीके से तथा हर स्तर पर इसका विरोध करेगी।

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दूसरे पक्ष भी आया सामने, बोले: जो आरोप लगा रहे, वे खुद डी-कोटा में मकान लेकर बैठे

गजुटा के महासचिव प्रो. विनोद गोयल ने भी मकान आवंटन को लेकर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि गजुटा प्रधान सुमित्रा सिंह जो इस मकान आवंटन में भेदभाव या नियमों को तोड़ने के आरोप लगा रही हैं, वे स्वयं डी-कोटा में मकान लेकर बैठी हैं। इतना ही नहीं गजुटा के अन्य कई पदाधिकारी भी इसी प्रकार डी-कोटा में मकान लेकर बैठे हैं, और अब इसका विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा कई प्राध्यापक ऐसे भी हैं जो रिटायरमेंट के बावजूद भी अपना मकान खाली नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में प्रधान चुप हैं। प्रो. विनोद गोयल ने कहा कि गजुटा प्रधान केवल राजनीतिक षड़यंत्र कर रही हैं इसके अलावा कुछ नहीं।

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मेरी जानकारी में नहीं है मामला : वीसी

किसी भी प्रकार का मकान खाली होने, आवंटन होने या डी-कोटा के तहत वितरित होने की मुझे जानकारी नहीं है। अभी तक न तो फाइल मेरे पास आई है और ना ही मैंने किसी को मकान दिया है।

- प्रो. टंकेश्वर कुमार, वीसी, जीजेयू, हिसार।


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