बरसाती माैसम में मुनाफे का सौदा बनी घीया की खेती, इस विधि से लगाई थी फसल
बारिश के मौसम में जलभराव के कारण फसलों के खराब होने को डर बना हुआ है। लेकिन रोहतक का प्रगतिशीन किसान बांस-तार विधि से घीया की फसल लगाता है और फसल अच्छी होने के साथ ही मंडी में भाव भी अच्छा मिलता है।
रोहतक, जागरण संवाददाता। बरसात का मौसम सब्जियों के लिए संवेदनशील होता है। अधिक बरसात होने से सब्जियों की फसल खराब भी हो जाती है। लेकिन रोहतक के किसान जयबीर के लिए बरसाती माैसम में भी घीया की खेती मुनाफे का सौदा बनी है। इस किसान ने सुनारिया गांव में ही बांस-तार विधि से दो एकड़ में घीया की फसल लगाई है। जो इन दिनों उनके लिए मुनाफे का सौदा बनी हुई है।
अधिकारी के अनुसार
आगवानी विभाग के अधिकारियों की मानें को जयबीर ने अधिकारियों की सलाह पर बांस-तार विधि से घीया की फसल लगाई थी। जिसके चलते उनकी घीया बेल बांस-तार पर अच्छी तरह बढौतरी कर रहे हैं और फसल को उत्पादन भी ठीक बना हुआ है। बांस-तार विधि से लगाई गई फसल में सामान्य बरसात होने से नुकसान नहीं होता है और फसल बची रहती है। इसी कारण किसान अब इसी विधि को अपना रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं।
किसान के अनुसार
किसान जयबीर की मानें तो अगर किसान बांस-तार विधि से घीया की फसल लगाता है और फसल अच्छी होने के साथ ही मंडी में भाव भी अच्छा मिलता है तो प्रति एकड़ दो लाख तक की आमदनी किसान को हो सकता है। वहीं, बागवानी विभाग के अधिकारी भी जयबीर की सराहना कर रहे हैं। किसान जयबीर के बेटे दीपक ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में गांव में ही मई महीने में घीया की फसल लगाई थी। जिस पर अब अच्छा उत्पादन हो रहा है।
इस विधि से लगाई फसल
बांस-तार विधि की फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। जिसके चलते उनको मंडी में फसल ले जाते ही अच्छे दाम भी मिल जाते हैं। मंडी में जाते ही उनकी फसल की बिक्री हो जाती है। ऐसे में उनको फसल बिक्री की भी कोई चिंता नहीं है। 12वीं पास किसान जयबीर बताते हैं कि उन्होंने मई महीने में घीया की फसल लगाई थी और अक्तूबर तक घीया का उत्पादन होने की संभावना है। उनका कहना है कि इस विधि से घीया की फसल लगाने वाले किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और अपनी आमदनी बढ़ाई चाहिए।
--- डा. कमल सैनी, जिला बागवानी अधिकरी, रोहतक।