गजुटा ने मांगें पूरी न होने पर काम स्थगित कर दो घंटे रखा धरना, अनिश्चिकालीन रहेगा जारी
गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने शुक्रवार को सभी काम स्थगित कर वीसी कार्यालय के बाहर धरना शुरू दिया।
जागरण संवाददाता, हिसार: गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने शुक्रवार को सभी काम स्थगित कर वीसी कार्यालय के बाहर धरना शुरू दिया। गजुटा संघ का कहना है कि जब तक लिखित में आदेश जारी नहीं होते है, तब तक धरने को सुचारू रखा जाएगा। उनकी मांगों को पूरी करने का झूठी आश्वासन दिया गया है। इसका गजुटा पुरजोर विरोध किया।
शिक्षक संघ के प्रधान प्रो. ऋषिपाल सिंह ने बताया कि विवि प्रशासन द्वारा शिक्षकों की मांगों को पूरा करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद एक पत्र फैकल्टी ब्रांच के माध्यम से लीक किया। यह पत्र शिक्षक संघ के प्रधान को चिह्नित था, पर उनको देने के बजाय सीधा अधिकारियों के वाट्सएप ग्रुप में डाला। इस तरह की हरकत बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है और शिक्षकों में भ्रम फैलाने का षड्यंत्र नजर आता है। इस पत्र में कुछ मुद्दों पर एक तरफा फैसले लिए गए हैं, जो कि शिक्षकों को पूर्णत नामंजूर हैं। इस मौके पर विश्वविद्यालय के लगभग 100 शिक्षकों ने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक अपने सभी काम स्थगित करके धरना दिया।
ये हैं मांगे
- शिक्षकों को मध्य जून माह से एक महीने का ग्रीष्मकालीन अवकाश दिया जाए।
- कोरोना काल में ग्रीष्मकालीन अवकाश न दिए जाने के एवज में अन्य विश्वविद्यालयों की तरह अर्न्ड लीव दी जाए।
- प्रशासन द्वारा छुट्टी लेने से पहले अप्रूवल लेने को बाध्य करने वाला पत्र वापस लिया जाए, क्योंकि शिक्षकों के कई ऐसे कार्य होते हैं, जिसमें वह पूर्व में अप्रूवल नहीं ले सकते।
- कुलपति ने अपने स्तर पर पीएचडी थीसिस जांचने के लिए एक्सपर्ट्स नियुक्त करने का जो फरमान जारी किया है, उसे तुरंत वापस लिया जाए।
- कुलपति हरियाणा आडिट की टिप्पणी की आड़ में शिक्षकों की पदोन्नति न करने का बहाना कर रहे हैं, जबकि उन्होंने अपने फैसले से उनकी पदोन्नति पहले से रोक रखी है। एचफक्टो के प्रधान पहुंचे सर्मथन देने
शुक्रवार को धरने पर बैठे शिक्षकों का एचफक्टो के प्रधान प्रो. विकास सिवाच समर्थन देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुलपति को जीजेयू के अतिरिक्त कार्यभार से तुरंत हटाया जाए और जीजेयू में स्थायी कुलपति की नियुक्ति की जाए। तब तक एक वरिष्ठ प्रोफेसर को यह कार्यभार दिया जाए। कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय की सर्वोच्च शैक्षणिक समिति की अवहेलना करना विवि के एक्ट और स्टेच्यू की धज्जियां उड़ना है और एचफक्टो इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।