हिसार नगर निगम में भर्ती का खेल : चहेतों को नियम ताक पर रखकर दी नौकरी, कार्रवाई की मांग
हिसार नगर निगम में कमिश्नर के पीए सहित तीन कर्मचारी को नियम ताक पर रखकर नौकरी दी। एक इंजीनियर करीब दो साल से निगम में काम कर रहा है मगर निगम के पास उसका रिकार्ड तक नहीं है।
हिसार, जेएनएन। हिसार नगर निगम में नियुक्ति के मामले में बड़ा घालमेल सामने आया है। उम्र की तय सीमा को नजर अंदाज कर कम उम्र के अपने चहेतों की नियुक्ति कर दी गई। और तो और एक इंजीनियर पिछले करीब दो साल से निगम में नौकरी कर रहे हैं। मगर निगम के पास उनका रिकार्ड ही नहीं है। न्यू ऋषि नगर निवासी जिले सिंह यादव की ओर से लगाई गई आरटीआइ में यह सब सामने आया है। असल में हुआ कि जिले सिंह ने एक अवैध निर्माण को लेकर निगम को शिकायत की हुई थी, लेकिन आरोपित पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को देखते हुए उनकी नौकरी से संबंधित दस्तावेज मांगे जिसमें गोलमाल उजागर हुआ है। गोलमाल में कमिश्नर के पीए का कार्यभार संभाल रहे निजी सहायक से लेकर नगर सुधार मंडल में कार्यरत निगम इंजीनियर का कार्य कर रहे अधिकारी का नाम शामिल है।
ये है मामला
20 अगस्त 2018 को निगम कमिश्नर की ओर से प्रधान सचिव शहरी स्थानीय निकाय विभाग हरियाणा (यूएलबी) को पत्र भेजा। जिसमें आउट सोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-2 के तहत 62 साल से अधिक उम्र के सेवानिवृत कर्मचारी को पुन:रोजगार देने के लिए पद की स्वीकृति मांगी गई। जबकि कमिश्नर के पीए सहित दो कर्मचारी 62 साल से अधिक उम्र के नहीं थे। यानी जिन उम्र के सीनियर सिटीजन को पद पर नौकरी देने की अनुमति मांगी उनके स्थान पर अपनी मर्जी से चहेतों को नौकरी दे दी।
करीब ड़ेढ साल से इंजीनियर कर रहा नौकरी, निगम के पास नहीं है रिकार्ड
नगर निगम में एमई के पद से सेवानिवृत हुए इंजीनियर को नगर निगम ने फिर से नौकरी पर रखा। प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से घोषणा के तहत बन रहे डेयरी प्रोजेक्ट से लेकर शहर के कई अहम प्रोजेक्टों में इस इंजीनियर की अहम भूमिका रही। जबकि इस इंजीनियर का नगर निगम में कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। यह जानकारी निगम के जन सूचना अधिकारी की ओर से आरटीआइ में दी गई है। उनका कहना है कि इस इंजीनियर की नियुक्त व उससे जुड़ी जानकारी हमारे कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। यानी लंबे समय से एक इंजीनियर निगम में सरकारी दस्तावेज का प्रयोग कर रहा है। इसके अलावा यह बता दे कि पूर्व में बिहारी लाल राड़ा के समय में हुए निगम के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामले में यह इंजीनियर आरोपी था। इसके बाद शहर की वार्डबंदी मामले में भी शहरवासियों ने भ्रष्टाचार के आरोप जड़े थे। पूर्व में पार्षद कविता केडिया ने भी इंजीनियर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी लेकिन पार्षद के आरोप के बाद भी इंजीनियर पर कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं हुई। हो भी कैसे जब उसका रिकार्ड ही नहीं है।
नगर सुधार मंडल में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल
राजगुरु मार्केट में बूथों पर धड़ल्ले से बेसमेंट से लेकर मंजिला भवन बन रहे हैं, जो शहर में सभी को नजर आ रहे हैं लेकिन निगम के अफसरों को नहीं। जबकि उनका कहना है कि शहर में हम कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन उनकी कार्रवाई लाजवाब है। जो अवैध निर्माण टूटना चाहिए था, वह मंजिल में बदलकर सज रहे हंै।
------मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं है। इस संबंध में दस्तावेज देखकर ही कुछ बता सकता हूं।
- अशोक कुमार गर्ग, कमिश्नर, नगर निगम हिसार।