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पानी भरने पर या तो समाधान का इंतजार किजिए या ऐसा कर दूसरों के लिए बन जाइए मिसाल

प्रो. हरीश जुनेजा ने बताया कि यह वर्षा जल संरक्षण प्रणाली अपनाने में उनका करीब 10 हजार रुपये खर्च आया। पाइप 20 फीट की गहराई तक गड़वाया हुआ है। ताकि बारिश का पानी जमीन में जा सके।

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 06:55 PM (IST)
पानी भरने पर या तो समाधान का इंतजार किजिए या ऐसा कर दूसरों के लिए बन जाइए मिसाल
पानी भरने पर या तो समाधान का इंतजार किजिए या ऐसा कर दूसरों के लिए बन जाइए मिसाल

हिसार, जेएनएन। बरसात से घर के सामने गली में पानी भर जाता है। सब लोग प्रशासन को कोसते हैं और ये कुछ हद तक सही भी है। मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्‍होंने इस समस्‍या का निदान ढूंढ लिया है। महज निदान ही नहीं ढूंढा बल्कि इसके कई फायदे भी हैं। अर्बन एस्टेट-टू निवासी हरीश जुनेजा ने एक ऐसा ही उपया सोचा और अब उनके घर में गिरने वाली बारिश की एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाती।

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डीएन कालेज से रिटायर्ड प्रोफेसर हरीश जुनेजा ने अपने घर के ठीक बाहर दीवार के साथ एक रेन वाटर कंजर्वेशन बॉक्स बनाया है। जो उनके घर में गिरने वाले बारिश के पानी को सीधे जमीन में भेज देता है। प्रो. जूनेजा कहते हैं कि मैंने यह शुरूआत की है और इसे बाहर इसलिए लगाया, ताकि दूसरे लोग इसे देखकर प्रेरणा ले सकें। लोग अपने अपने घरों में यह सिस्टम लगा लेंगे तो हम बहुत सारा पानी व्यर्थ बहने से बचा सकते हैं।

10 हजार रुपये आया खर्च

अर्बन एस्टेट टू के मकान नंबर 124 में रहने वाले प्रो. हरीश जुनेजा ने बताया कि यह वर्षा जल संरक्षण प्रणाली अपनाने में उनका करीब 10 हजार रुपये खर्च आया है। उनका घर पुराना है और उसका फर्श ठीक करवाया तो उन्होंने सभी पाइपों को एक चार इंची पाइप से जोड़कर बाहर खोदे एक गड्ढे तक ले गए। इस गड्ढे में एक पांच ईंच का पाइप 20 फीट की गहराई तक गड़वाया हुआ है। ताकि घर में गिरने वाला बारिश का पानी इक्कठा होकर सीधा जमीन में जा सके और भू-जल में सुधार आ सके। हालांकि नए बनने वाले घरों के लिए सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाना अनिवार्य किया हुआ है। नया घर बनवाते समय इस प्रणाली को लगवाने का खर्चा और भी कम आता है।

ये दो फायदें होंगे -

- बारिश का जमीन पर गिरने वाला कीमती स्वच्छ जल व्यर्थ बहने से बच जाएगा।

- बारिश के जल को जमीन में भेजने से भूमिगत जल स्तर ऊंचा उठेगा और पानी का खारापन कम होगा।

वानप्रस्थ संस्था से जुड़े हैं प्रो. हरिश

प्रो. हरीश वानप्रस्थ संस्था से जुड़े हैं, जो शहर के पार्कों में रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाने के काम पर जोर दे रही है और यह काम कर भी रही है। उन्होंने बताया कि एक बार वे एक इंजीनियर के साथ रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग के लिए खुदाई कर रहे थे। तो बात चली कि बारिश का पानी हम कैसे-कैसे व्यर्थ कर देते हैं और कैसे उसे बचा सकते हैं। तब इंजीनियर ने बताया कि हर घर में थोड़े से खर्च पर रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाया जा सकता है। फिर मैंने अपने घर से ही शुरुआत की।

अब मौका है, पानी बचाने में साथ दें

अब मानसून की बारिश का सैकड़ों लीटर स्वच्छ पानी बरस रहा है और हम इसे व्यर्थ बहा रहे हैं। ऐसे में क्यूं न हम भी अपने घर में एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लें। दो घर मिलकर भी ऐसा कर सकते हैं। हमारे द्वारा की गई एक छोटी शुरूआत हमारा और हमारे बच्चों का भविष्य बदल सकती है।

क्या कहते हैं जल संरक्षण विशेषज्ञ

जल संरक्षण विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल बारिश का सिर्फ 9 फीसदी जल का ही सही तरीके से इस्तेमाल और हार्वेङ्क्षस्टग किया जाता है। इस तरह से देखा जाए तो 90 फीसदी से ज्यादा बारिश का पानी बह जाता है, अगर बाकी बचे पानी का भी सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो भविष्य में आने वाली जल संबंधी समस्याओं का आसानी से सामना किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि जल संरक्षण पर तेजी से काम किया जाना चाहिए और वर्षा जल संरक्षण को 9 फीसदी से बढ़ाना जरूरी है। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है 2030 तक भारत की 40 फीसदी आबादी के पास पीने की पानी उपलब्धता नहीं होगी और उन्हें संघर्ष करना पड़ेगा।


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