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जब ताऊ देवीलाल को अंदर तक झकझाेर गई थी एक घटना, शुरू की बुढ़ापा पेंशन

पूर्व उपप्रधानमंत्री को अंतिम सांस तक थी किसानों की चिंता कहा था- बेटे ओम को कहना किसान-मजदूर के लिए कंजूसी न करे। पूर्व सांसद कैप्टन इंद्र सिंह ने बताए ताऊ देवीलाल के कई किस्से

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 03:02 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 01:53 PM (IST)
जब ताऊ देवीलाल को अंदर तक झकझाेर गई थी एक घटना, शुरू की बुढ़ापा पेंशन
जब ताऊ देवीलाल को अंदर तक झकझाेर गई थी एक घटना, शुरू की बुढ़ापा पेंशन

रोहतक [ओपी वशिष्ठ] कैप्टन सुना है कि ओले पडऩे से किसानों की काफी फसल बर्बाद हो गई। हां ताऊ, बर्बाद फसलों का जायजा लिया जा रहा है। तुम जायजा ही करोगे या किसानों को मुआवजा भी दोगे। मेरी तरफ से ओम (ओमप्रकाश चौटाला) को  कह देना किसान व मजदूरों के लिए कंजूसी मत करना।

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पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के यह अंतिम शब्द थे, जो उन्होंने मुझसे (पूर्व सांसद कैप्टन इंद्र सिंह) अपोलो अस्पताल में कहे थे। ताऊ भाषणबाजी में विश्वास कम करते थे। वे लोगों के बीच जाकर उनके दुख-दर्द को गहराई से जानने के लिए बातचीत करते थे। यही कारण है कि वे देश के इतने बड़े नेता बन गए, वर्तमान में उन जैसे नेता नहीं हैं।

पूर्व सांसद कैप्टन इंद्र सिंह के पास देवीलाल से जुड़े तमाम किस्से हैैं। 1987-88 की बात है। इंद्र सिंह जिला सैनिक बोर्ड के सचिव थे। छोटूराम धर्मशाला में पूर्व सैनिकों का री-यूनियन कार्यक्रम था, जिसमें उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल को बतौर मुख्यातिथि आमंत्रित किया गया। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने पूर्व सैनिक व उनके परिवार के सदस्यों से जो वार्तालाप किया, उनका मिलने का तरीका, लोगों की समस्या को गहराई से सुनना और समाधान करना, यह सब विरला ही था। बस यहीं से मैं उनका कायल हो गया।

नोट छापने की मशीन का मुंह गांव में कर दूंगा

ताऊ अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं और दूरदर्शी सोच के नेता के रूप में भी विख्यात हुए। एक बार चुनाव प्रचार के दौरान ग्रामीणों ने कहा कि खेतों में नुकसान बहुत ज्यादा हो गया। ताऊ बोले, कोई दिक्कत नहीं है, सत्ता हाथ में आ गई तो नोट छापने की मशीन का मुंह गांवों की तरफ कर दूंगा, फिर रुपये-पैसे की कमी नहीं होगी। मतलब यह कि देहात में विकास करवा देंगे।

जब अनुसूचित जाति के परिवार में खाया खाना

कैप्टन इंद्र सिंह ने बताया कि एक बार ताऊ का काफिला जा रहा था। गांव मातनहेल में सड़क पर कुछ लोग अच्छे कपड़ों में खड़े थे। ताऊ ने गाड़ी रोकी और पूछा कि यहां क्यों खड़े हैं। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति की बरात है, उनकी कोई चौपाल नहीं है, इंतजाम किया जा रहा है, इसके बाद जाएंगे। ताऊ ने उसी वक्त गांवों में हरिजन चौपाल बनाने का निर्णय लिया। बाद में झज्जर जिले के गांव मदाना कलां में हरिजन चौपाल का उद्घाटन किया। वहां कार्यकर्ताओं ने कहा कि खाने का इंतजाम अन्य स्थान पर किया गया है। इस पर ताऊ ने कहा कि हरिजन चौपाल का उद्घाटन किया है तो खाना भी हरिजन शेर सिंह के घर ही खाऊंगा।

बुढ़ापा पेंशन शुरू करने का यह बताया कारण

इंद्र सिंह बताते हैैं कि झज्जर जिले के एक गांव में ताऊ देवीलाल अपने पुराने साथी स्वतंत्रता सेनानी के घर चले गए। उनकी पोती ससुराल में जाने के लिए आशीर्वाद लेने पहुंची। उन्होंने पोती को शगुन देने के लिए बच्चों से रुपये मांगे और कुछ लोगों के लिए चाय बनवाने की बात कही। लेकिन काफी देर तक न तो बच्चों ने रुपये दिए और न ही चाय आई। यह ताऊ देवीलाल देख रहे थे, वे वादा करके गए, जिस दिन कलम में ताकत आएगी तो बुढ़ापा पेंशन लागू करेंगे। सत्ता आने के बाद उन्होंने वादा पूरा भी किया।

जब ताऊ को ढूंढते रह गए सुरक्षा कर्मी

कैप्टन इंद्र ङ्क्षसह बताते हैैं कि रोहतक में ताऊ देवीलाल का रात्रि ठहराव था। सुबह वे बिना किसी को बताए पुराना बस स्टैंड के समीप स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा के घर चले गए। पंडितजी का बेटा काफी बीमार था। सुरक्षा कर्मियों ने जब ताऊ को नहीं देखा तो वे तुरंत हरकत में आए और उनको ढूंढने लग गए। फिर उन्हें पता चला कि ताऊ शर्मा जी के यहां गए हैं। इस दौरान ताऊ ने पंडित जी के घर पर ही उनके बेटे को किसी बोर्ड का चेयरमैन बनाने का आदेश दिया।

ताऊ की तीन हार का लिया बदला तो मिला सुकून

कैप्टन इंद्र सिंह ने बताया कि 1996 के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने उनको पूर्व सैनिकों के साथ प्रचार के लिए बुलाया। उन्होंने भी प्रचार शुरू कर दिया। कई बार  ताऊ के साथ प्रचार किया तो कई बार अलग से। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे की बात कही। चुनाव लड़ा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया। यह जीत उनके लिए सुकून भरी इसलिए थी क्योंकि उन्होंने ताऊ की तीन हार का बदला ले लिया था।

ताऊ कार्यकर्ताओं की जेब में डाल देते थे रुपये

1965 से देवीलाल की सेवा में लगे झज्जर के बागपुर निवासी रणधीर सिंह बताते हैैं कि वह लंबे समय तक वह ताऊ के साथ रहे। उनकी बीड़ी पीने की आदत थी और रुपये-पैसे होते नहीं थे।  इसका पता ताऊ को भी था। जब वे रात को सो जाते और सुबह उठते तो कमीज की जेब में कुछ रुपये मिलते थे। रुपये मिलने से हैरान हो जाते थे। एक बार उन्होंने ताऊ से पूछा कि कमीज में रुपये क्यों डाल देते हो तो उन्होंने कहा कि मैं नहीं डालता और क्यों चिंता करता है। तेरी जेब में है तो खर्च भी तू ही कर लिया कर।

रणधीर सिंह बताते हैैं कि ताऊ एक दिन झज्जर जिला के गांव दादनपुर से गुजर रहे थे। सड़क पर बनी चौपाल में कुछ लोग ताश खेल रहे थे। ताऊ ने गाड़ी रुकवाई और उनके बीच पहुंच गए। वहां देखा तो बैठने के लिए मुड्ढ़े नहीं थे। ताऊ ने तुरंत 10 हजार रुपये निकाले और चौपाल में मुड्ढ़े खरीदने को दे दिए। उन्होंने अन्य चौपालों में भी मुड्ढ़े और हुक्के रखवाने का काम किया।


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