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पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने ली चाय की चुस्‍की और चायवाला बन गया चेयरमैन

मुंढाल गांव में देवीलाल ने जिस मुख्त्यार के हाथ से पहली बार चाय पी उसे 1987 में मुख्यमंत्री रहते हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। आइए जानें कैसे मित्रता में बदली चाय की चुस्‍की

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 01:19 PM (IST)
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने ली चाय की चुस्‍की और चायवाला बन गया चेयरमैन
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने ली चाय की चुस्‍की और चायवाला बन गया चेयरमैन

बवानीखेड़ा/भिवानी [राजेश कादियान] पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल। उन जैसा जमीन से जुड़ाव बिरले ही लोगों में मिलता है। इस लगाव की वे जीवन पर्यंत जीती जागती मिसाल रहे। पहली बार वर्ष 1964 में मुख्त्यार के हाथ की बनी चाय की चुस्की चौ. देवीलाल ने ली थी। उसके बाद उनके साथ बढ़ा लगाव जीवन पर्यंत जारी रहा। मुंढाल गांव में चौधरी साहब ने जिस मुख्त्यार के हाथ से पहली बार चाय की चुस्की ली थी उसे 1987 में मुख्यमंत्री रहते हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। मुख्त्यार सिंह 73 साल के हो चुके हैं। हालांकि आज वह चाय नहीं बनाते पर उनकी चाय की दुकान आज भी मुंढाल चौक पर कायम है। वह वहीं पर बैठ कर हुक्का गुडग़ुड़ाते रहते हैं। देवीलाल के और भी ऐसे कई किस्‍से हैं जो दिल को छू जाते हैं।

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छोरा तूं किसका है, मैं चौधरी देवीलाल सूं, मैन्ने जाणै सै

चौ. देवीलाल के बारे में बात करने पर 73 वर्षीय मुख्त्यार सिंह अतीत में खो जाते हैं। फिर याद करते हुए वह बताते हैं कि वर्ष 1964 की बात है। मैं गांव मुंढाल के चौक पर चाय की दुकान पर कार्य कर रहा था। सफेद कुर्ता व धोती बांधे एक लम्बी कद-काठी वाला व्यक्ति एम्बेस्डर कार से नीचे उतरा अर पूछा छोरा तू किसका है। मैंने जवाब दिया कि मैं मुंढाल का नाइयों का छोरा सूं। यो दुकान तेरी सै के। मैने जवाब दिया हां मेरी सै। फेर बोले मै चौ. देवीलाल सूं मन्ने जाणै सै। मन्नै जवाब दिया नाम तो आपका ब्होत सुणा सै पर आज पहली बार देखा है। वे बोले तू सेव बी बणाया करै के। मैने कहा सेव साथ वाली रामकुमार की दुकान पर बणवा ल्यो। इतणै मैं आप खातर चाय ले कै आऊं सूं। चाय की चुस्की के साथ बना लगाव जीवन पर्यंत जारी रहा। उस समय चौधरी साहब मेरी दुकान पर आधे घंटे तक ठहरे। इसके बाद तो जीवन पर्यंत यह सिलसिला जारी रहा। वे जब भी इधर से गुजरे उनकी दुकान पर जरूर आते थे।

मुख्‍त्‍यार नाई के यहां चाय की चुस्‍की लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल

1987 में मुख्त्यार को चौ. देवीलाल ने बनाया चेयरमैन

1987 में चौ. देवीलाल ने मुख्त्यार को हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। मुख्त्यार ने चौधरी साहब से कहा कि साहब आप चाय वाले को चेयरमैन बना रहे तो उन्होंने कहा था कि तू पढ़ा लिखा है तो चेयरमैन बणाण में के दिक्कत सै। वह कहते हैं चौ. देवीलाल इंसानियत की जीती जागती मिसाल रहे। आम आदमी का दर्द उनके दिल में हमेशा रहा। आम लोगों के दिलों में उनकी छाप आज भी कायम है। उन जैसा नेता बिरला ही मिलता है।

चाय पीने के लिए मोड़ दिया था काफीला

अपने अनुभव एवं पुराने यादों को सांझा करते हुए मुख्तयार नाई ने बताया कि चौ. देवीलाल 1987 में मुख्यमंत्री बने तो वे दिल्ली से सिरसा के लिए गाड़ी में सवार होकर जा रहे थे। उनका काफिला उनकी दुकान के आगे से गुजरा और कुछ दूरी आगे बढ़ गया। वह खुद सोचने लगे कि इस बार तो चौधरी साहब चाय पीना भूल गए। अचानक देखा की काफिला वापस मुड़कर आ रहा है। वह हैरान थे काफिला उनकी दुकान के सामने आकर ठहर गया। चौ. देवीलाल गाड़ी से उतरे और बोले वह तो भूल गए थे बाद में याद आया कि मुख्त्यार की दुकान तो पीछे रह गई। ल्या चाय बणा कै ल्या। जैसे ही चाय बनानी शुरू की उसके साथ आए सिक्योरिटी के लोगों ने उनके बर्तनो और सामान की जांच शुरू कर दी। चौ. साहब बोले यो मेरा पुराना साथी सै इसकी जांच करण की जरूरत कोनी। इसके बाद उन्होंने चाय पी, हालचाल जाना और रवाना हो गए।

पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल को अखबार पढ़कर सुनाते हुए मुख्‍त्‍यार नाई

जहाज में बैठा ले गए थे साथ

एक अन्य किस्से के बारे में उन्होंने बताया कि 1987 में मुख्यमंत्री बने तो वे उनसे किसी कार्य के लिए मिलने के लिए दिल्ली गए थे। उसी दिन चौधरी देवीलाल को दिल्ली से सिरसा जाना था तो चौ. देवीलाल ने उन्हें भी साथ ही छोटे हवाई जहाज में बैठाया और अपने साथ ले गए। वहां से उन्होंने अपनी ही गाड़ी में उन्हें मुंढाल तक पहुंचाया। वह हमेशा उनसे राजनीतिक चर्चा भी करते थे।


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