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हजारों मील का सफर तय कर झज्‍जर में पहुंच रहे विदेशी पक्षी, सदियों से चला आ रहा रिश्ता

विदेशी पक्षियों का रिश्ता झज्‍जर के साथ सदियों से चला रहा है। मार्च के माह तक यहां प्रवास करने वाले पक्षियों की वजह से पक्षी प्रेमियों का भी क्षेत्र के साथ विशेष नाता जुड़ गया है। पक्षी प्रेमी यहां पर आते हैं और यादों को कैमरों में कैद करते है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 05:27 PM (IST)
हजारों मील का सफर तय कर झज्‍जर में पहुंच रहे विदेशी पक्षी, सदियों से चला आ रहा रिश्ता
झज्‍जर में स्थित झील पर विदेशी पक्षी उड़ान भरते हुए

झज्जर, जेएनएन। हजारों मील की उड़ान भरने के बाद जिला की धरा पर अपने भोजन की आस में प्रवास करने वाले विदेशी पक्षियों का रिश्ता सदियों से चला रहा है। मार्च के माह तक यहां प्रवास करने वाले पक्षियों की वजह से पक्षी प्रेमियों का भी क्षेत्र के साथ विशेष नाता जुड़ गया है। दूर-दराज के क्षेत्रों से पक्षी प्रेमी यहां पर आते हैं और समय बिताकर यादों को कैमरों में कैद करते है। खास बात यह है कि ग्रामीण अंचल में भी बड़ी संख्या में पक्षियों की आवक पूरे क्षेत्र को विशेष पहचान दिलाने का काम कर रही है। दरअसल, हर साल यहां पर अलग-अलग पक्षियाो की प्रजातियां कई माह तक लगातार प्रवास करती है।

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----विशेषज्ञ सुंदर सांभरिया के मुताबिक हजारों मील की उड़ान भरकर पेसिफिक गोल्डन प्लोवर पहले भी भारत आता रहा है। कई सालों बाद इसको दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में देखा गया है। मांडोठी क्षेत्र में भी इस पक्षी को देखे जाने से पक्षी प्रेमी काफी उत्साहित है। कारण कि पानी में मौजूद छोटे कीट इस पक्षी का पसंदीदा भोजन हैं। उनके मुताबिक यह पक्षी यहां एक सप्ताह से ज्यादा नहीं ठहरेगा तथा आगे की उड़ान भरेगा। यह पक्षी गुजरात व अंडमान के आदि समुद्र तट पर अपना ज्यादा समय बिताता है। अहम बात यह है कि एक बार उड़ान भरने के बाद यह पक्षी 2 हजार मील तक का सफर तय करता है।

----वापिस अपनी अपनी जमीन पर करेगा प्रजनन : मौसम के मुताबिक अलास्का में इस समय भीषण ठंड है। अधिक सर्दी होने पर यह पलायन करता है और मार्च तक भारत में ही रहेगा। अप्रैल से पेसिफिक गोल्डन प्लोवर वापसी के लिए उड़ान भर लेता है। इस पक्षी की खास बात है कि भारत में महीनों रहने के बाद भी यह पक्षी यहां पर प्रजनन नहीं करता। मई-जून में अपने मूल स्थान अलास्का में ही पहुंचकर प्रजनन करता है। इधर, भिंडावास पक्षी विहार में भी हजारों प्रवासी मेहमान पहुंच चुके है। करीब 1077 एकड़ में फैली इस झील में विश्व के ठंडे देशों से आकर विदेशी मेहमानों की उड़ान यहां अक्टूबर माह में दिखने लग जाते है। हालांकि, अब की दफा नवंबर के बाद से पक्षियों की चहल-पहल भिंडावास में खूब देखी जा रही है।

----एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है भिंडावास : भिंडावास गांव में मौजूद पक्षी विहार एशिया की मानव निर्मित उन झीलों में शुमार है, जो पक्षियों के प्रवास के लिए सबसे बड़े क्षेत्रफल में है। गांव की झील के अलावा विदेशी पक्षी जब यूरोप के देशों और हिमालय की तलहटी से हजारों किलोमीटर की उड़ान भरते हैं तो इस भिंडावास झील के अलावा चीन व पाकिस्तान में निर्मित मानव निर्मित झीलों में भी प्रवास के लिए आते हैं। इस झील की वजह से झज्जर को विश्व स्तर पर पहचान मिली है। मौजूदा समय में यहां पर नार्दन पिनटेल, सॉल्वर,मलार्ड, कॉमन पोचार्ड, ग्रे लेग गुज, ब्लैक नेक स्टार्क, कॉमन डक, स्पॉट बिल डक आदि प्रजातियां प्रवास कर रही है।


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