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जांच में थैलेसीमिया के पांच मरीज मिले, शादी से पहले होगी काउंसलिग

सिविल अस्पताल में लाई गई थैलेसीमिया की जांच करने वाली एचपीएलसी मशीन

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 07:21 PM (IST)
जांच में थैलेसीमिया के पांच मरीज मिले, शादी से पहले होगी काउंसलिग
जांच में थैलेसीमिया के पांच मरीज मिले, शादी से पहले होगी काउंसलिग

सुभाष चंद्र, हिसार

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सिविल अस्पताल में लाई गई थैलेसीमिया की जांच करने वाली एचपीएलसी मशीन से पहली बार छह लोगों की जांच की गई है। इनमें से पांच मरीजों में थैलेसीमिया के माइनर लक्षण मिले हैं। इनमें एक दंपती, एक किशोरी, किशोर और एक युवक शामिल हैं। अब इन मरीजों का डीएनए एनालिसिस करके इनमें थैलेसीमिया की पुष्टि की जाएगी। इन पांचों मरीजों को शादी से पहले काउसंलिग करवानी होगी। अगर इनकी शादी किसी माइनर लक्षणों वाले थैलेसीमिया के युवक या युवती से भी कर दी गई तो भी इनके बच्चों में थैलेसीमिया हो सकता है।

हीमोग्लोबिन जिसमें 10 ग्राम से कम हो उनकी होती है जांच

थैलेसीमिया की जांच के लिए जिन लोगों में हीमोग्लोबिन 10 ग्राम से कम हो उनमें सीबीसी यानि कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट करके जांच की जाएगी। इनमें मेजर या माइनर लक्षणों के बारे में जांच कर पता लगाया जाएगा कि थैलेसीमिया के लक्षण है या नहीं। अगर खून की मात्रा 10 ग्राम से कम मिलती है तो शुरुआत में आयरन की गोलियों से उपचार शुरु किया जाता है। अगर इससे भी खून की कमी पूरी नहीं होती है तो एचपीएलसी मशीन से जांच की जाती है, इसके बाद डीएन एनालिसिस करवाकर थैलेसीमिया को कंफर्म किया जाता है।

कंट्रोल आने पर शुरू की गई एपीएलसी मशीन

ब्लड बैंक इंचार्ज डा. इंदू ने बताया कि एचपीएलसी मशीन के कंट्रोल आने पर इससे जांच शुरु कर दी गई है। इस मशीन की जांच से पहले सीबीसी रिपोर्ट, क्लीनिकल जांच, स्क्रीनिग टेस्ट सहित करवाकर लोगों में खून की मात्रा की जांच की जाती है और खून की कमी के कारणों को जाना जाता है। इसके बाद एचपीएलसी मशीन से टेस्ट करके थैलेसीमिया को डाइग्नोस किया जाता है। इसके बाद डीएनए एनालिसिस से ही थैलेसीमिया कंफर्म किया जाता है। अल्फा थैलेसीमिया डीएनए एनालिसिस से ही थैलेसीमिया का पता लगाया जाता है। यह चंड़ीगढ़ से करवाया जाता है। वहीं जिन मरीजों को बार-बार खून चढ़ाने की जरुरत पड़ती है। उनके लिए सरकार की ओर से बौन मैरो ट्रांसप्लाट कार्यक्रम भी चलाया गया है जो पीजीआइ चंड़ीगढ़ में किया जाता है। इसके अलावा दिल्ली में राजीव गांधी इंस्टीटयूट, मुंबई में टाटा मैमोरियल सहित निजी अस्पताल में ट्रांसप्लाट किया जाता है। मेजर लक्षण होने पर खून की अधिक जरुरत पड़ती है। माइनर लक्षण है तो खून की अधिक जरुरत नहीं पड़ेगी।

वर्जन

अब सिविल अस्पताल में ही थैलेसीमिया की जांच सकेगी। अब जांच के लिए निजी अस्पतालों या रोहतक नहीं जाना पड़ेगा। सिविल अस्पताल में ही मशीन के जरिये एचपीएलसी मशीन से जांच की जा सकेगी।

-डा. राजेंद्र दुग्गेसर, बाल रोग विशेषज्ञ, हिसार।


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