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हरियाणा विधानसभा में दादा-पौत्र, चाचा-भतीजा, मां-बेटा और देवर-भाभी साथ-साथ

देश के उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के कुनबे से हैं चार विधायक। देवीलाल के पितामह के कुनबे से संबंध रखते हैं डबवाली विधायक अमित सिहाग

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 04:09 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:33 AM (IST)
हरियाणा विधानसभा में दादा-पौत्र, चाचा-भतीजा, मां-बेटा और देवर-भाभी साथ-साथ
हरियाणा विधानसभा में दादा-पौत्र, चाचा-भतीजा, मां-बेटा और देवर-भाभी साथ-साथ

हिसार [जगदीश त्रिपाठी] हरियाणा के सदन में एक ही परिवार के चार सदस्य रिश्तों की डोर में, कोई निर्दलीय होकर भी सत्तापक्ष के साथ तो किसी की पार्टी सत्तापक्ष में होता है। लेकिन कम ही होता है। अंग्रेजी में कहें तो रेयरेस्ट ऑफ रेयर। इस बार हरियाणा विधानसभा में देवर-भाभी हैं तो मां-बेटा भी और दो पीढिय़ों के चाचा-भतीजे भी। शायद ही रिश्तों की डोर में बंधे एक ही परिवार के इतने सदस्य पहले विधानसभा पहुंचे हों।

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ये परिवार है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व देश के उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल का। वैसे देवीलाल के पितामह के कुनबे को इसमें जोड़ लें तो यह संख्या पांच हो जाती है। डबवाली के विधायक अमित सिहाग भी इसी कुनबे के हैं।

चौधरी रणजीत सिंह चौटाला सिरसा जिले की रानियां सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन में 28 साल बाद पहुंचे हैं। वह चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं और सदन में इस परिवार के सदस्यों में सबसे उम्रदराज हैं तो दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हैं, जो सदन में इस परिवार के सबसे कम उम्र वाले सदस्य हैं। दुष्यंत जींद की उचाना विधानसभा सीट से जीतकर पहली बार विधायक बने है। हालांकि इसके पहले सन 2014 लोकसभा चुनाव में हिसार से सांसद चुने जा चुके हैं।

रणजीत रिश्ते में दुष्यंत के पितामह हैं। उनके सगे पितामह के सगे छोटे भाई। चौधरी रणजीत सिंह के भतीजे व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र अभय चौटाला अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के इकलौते विधायक हैं। वह सिरसा की ऐलनाबाद सीट से इस बार भी निर्वाचित हुए हैं। वह विपक्ष में हैं तो उनके भतीजे दुष्यंत और उनकी मां यानी अभय की भाभी नैना चौटाला सत्ता पक्ष की सीट पर विराज रहे हैं। नैना चौटाला भिवानी की बाढड़ा सीट से विधायक चुनी गई हैं। वैसे परिवार के बुजुर्ग चौधरी रणजीत जीते भले ही निर्दलीय हों, लेकिन समर्थन सत्ता पक्ष का ही कर रहे हैं।

वैस तो अन्य प्रदेशों के सदनों में एक ही परिवार के दो सदस्यों के होने के तो कई उदाहरण मिल जाएंगे, तीन के भी होंगे। लेकिन एक ही परिवार के पांच सदस्य होने का उदाहरण शायद ही मिले। उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे के रूप में शिवपाल यादव और अखिलेश हैं। यह भी दिलचस्प है कि दोनों के रिश्ते भी अभय और दुष्यंत की तरह तल्ख हैं।

पंजाब में प्रकाश सिंह बादल और उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल सदन में साथ-साथ रह चुके हैं। बड़े बादल मुख्यमंत्री रहे तो छोटे बादल उप मुख्यमंत्री, दोनों मुख्यमंत्री। बिहार में लालू के दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप हैं। हालांकि दोनों सगे भाई हैं, लेकिन दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। ये सब परिवार चौधरी देवीलाल परिवार की राजनीति में सक्रियता से बहुत पीछे हैं।

करुणानिधि का परिवार ही राजनीतिक सक्रियता में देवीलाल परिवार का मुकाबला

उत्तर भारत में तो नहीं लेकिन दक्षिण भारत में स्वर्गीय करुणानिधि का परिवार राजनीतिक सक्रियता में देवीलाल परिवार से कमतर नहीं है। हालांकि करुणानिधि ने तीन विवाह किए थे इसलिए उनका कुनबा भी बड़ा है। तीनों पत्नियों की संतानों में सत्ता संघर्ष भी अधिक रहता रहा। दूसरी तरफ चौधरी देवीलाल के परिवार में सगे भाइयों के बीच ही संघर्ष हुआ और आज उनके सगे पौत्रों के परिवार के बीच वही कहानी रिपीट हो रही है। वैसे करुणानिधि के ही नहीं, मुलायम, लालू, बाल ठाकरे आदि जितने भी राजनीति में रसूख रखने वाले परिवार हैं, उनमें एक समानता यह भी है कि परिवार के सदस्यों में राजनीतिक संघर्ष होता ही रहा है। शायद आगे भी हो।


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