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कृषि कानूनों की जिस व्यवस्था का विरोध कर रहे थे किसान, अब उसी सिस्टम में बेची 40 प्रतिशत फसल

पिछले साल बहादुरगढ़ क्षेत्र में कुल डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। मगर इस बार तो 20 क्विंटल ही गेहूं खरीदा गया। इस लिहाज से देखें तो इस बार 15 फीसद गेहूं भी सरकारी एजेंसियों के पास नहीं आया। उत्पादन इस बार कम हुआ।

By Naveen DalalEdited By: Published: Wed, 27 Apr 2022 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2022 04:29 PM (IST)
कृषि कानूनों की जिस व्यवस्था का विरोध कर रहे थे किसान, अब उसी सिस्टम में बेची 40 प्रतिशत फसल
जिनके पास फसल खरीद का लाइसेंस नहीं, उनको किसानों ने मंडियों से बाहर सीधे बेचा गेहूं।

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। कृषि कानूनों में जिस व्यवस्था का किसान विरोध कर रहे थे, अब उसी व्यवस्था में किसानों ने बहादुरगढ़ क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत तक अपनी फसल बेची है। जिनको किसानों से सीधे फसल खरीदने का अधिकार नहीं, उनके पास फसल लेकर पहुंच किसानों ने जरा से ऊंचे भाव के चलते मंडियों में सरकारी खरीद को भुला दिया। यही वजह रही कि इस बार सरकारी एजेंसियों को न के बराबर गेहूं मिला। किसानों से सीधी गेहूं की खरीद का खुलासा अब मार्केट कमेटी के छापों में हो रहा है। जहां-जहां किसानों से चोरी से सीधी फसल खरीद की गई, वहां पर मार्केट कमेटी द्वारा फीस के साथ जुर्माना भी वसूला जा रहा है।

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यह है खरीद व्यवस्था, मार्केट कमेटी के छापों में हो रहा है खुलासा

फिलहाल फसल खरीद की जाे व्यवस्था है, उसमें वही व्यापारी किसानों से फसल ले सकता है, जिसको मार्केट कमेटी द्वारा लाइसेंस दिया गया है। अगर प्लोर मिल (आटा मिल) को गेहूं चाहिए तो मंडियों से ही लेना पड़ेगा। ऐसी व्यवस्था इसलिए है ताकि मार्केट फीस के रूप में टैक्स मिले। इस व्यवस्था में किसानों को दाम सुरक्षा देने और गेहूं की कालाबाजारी व जमाखोरी रोकने का भी हवाला है। मगर इस बार उत्पादन कम था, इसलिए निजी खरीददारों ने मंडियों के बाहर ही किसानों को एमएसपी से कुछ ज्यादा दाम देकर काफी मात्रा में फसल खरीद ली। ऐसे किसान भी मंडियों का रास्ता भूल गए।

किसानों के लिहाज से देखे तो उन्होंने अपने फायदे के लिए ही ऐसा किया। उनको कहीं पर भी फसल बेचने की आजादी है और जहां पर दाम ज्यादा मिलेंगे वहां पर तो किसान अपनी फसल लेकर जाएगा ही। मगर जिनके पास किसानों से सीधी खरीद का अधिकार नहीं था, उन पर अब मार्केट कमेटी की सख्ती दिख रही है। जबकि रद किए गए कृषि कानूनों में एक में यह प्रावधान था कि कोई भी मंडी से बाहर किसानों से गेहूं खरीदे, उस पर न तो कोई कानूनी बाध्यता थी और न ही कोई टैक्स। मगर तब किसान यह हवाला दे रहे थे कि मंडियों से बाहर खरीदने वाले पहले थोड़ा लालच देंगे और फिर उनका शोषण करेंगे। किसानों ने अपने ही इस तर्क को भूलकर 40 प्रतिशत हिस्सा मंडियों से बाहर बेच दिया।

अब यह हुई कार्रवाई

मंडियों में जो प्राइवेट खरीद होती है, उसका रिकार्ड व्यापारियों को दुरुस्त रखना होता है। उन्होंने कितना गेहूं खरीदा इसका रिकार्ड और स्टाक दोनों मेल खाने चाहिए। यदि रिकार्ड में कम खरीद है और स्टाक ज्यादा है तो जितना अंतर होगा, उतनी मात्रा को चोरी की खरीद माना जाता है। हाल ही में मार्केट कमेटी से जोनल प्रशासक की टीम ने जब बहादुरगढ़ में छापेमारी की तो कई व्यापारियों के पास गेहूं, चने और सरसों का रिकार्ड से ज्यादा स्टाक मिला। साथ ही ऐसे फ्लोर मिल जिन्होंने किसानों से सीधे गेहूं खरीदा, उन पर भी जुर्माना किया गया।

सरसों का स्टाक रिकार्ड से ज्यादा मिला

बहादुरगढ़ में पहलवान फ्लोर मिल पर 400 क्विंटल गेहूं, मैसर्ज मेघराज चंद्रभान पर 73 क्विंटल चना, मैसर्ज न्यू गर्ग ट्रेडिंग कंपनी पर 210 क्विंटल गेहूं, मैसर्ज श्रीदेव रवींद्र कुमार पर 106 क्विंटल गेहूं, मैसर्ज राधेश्याम अशोक कुमार पर 70 क्विंटल गेहूं और 31 क्विंटल सरसों का स्टाक रिकार्ड से ज्यादा मिला। इन सभी पर कुल 94 हजार 149 रुपये जुर्माना किया गया। इससे पहले आरती फूड फैक्ट्री, प्रधान फ्लोर मिल व हनुमान फ्लोर मिल से कुल मिलाकर पांच लाख से ज्यादा मार्केट फीस और एचआरडीएफ (ह्यूमन रिसोर्सेज डेवलेपमेंट फंड) तथा सवा लाख से ज्यादा जुर्माना वसूला जा चुका है। अकेले आरती मिल पर ही साढ़े पांच हजार से ज्यादा क्विंटल गेहूं मिला था।

सरकारी एजेंसियों को 15 प्रतिशत गेहू भी नहीं मिला

पिछले साल बहादुरगढ़ क्षेत्र में कुल डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। मगर इस बार तो 20 क्विंटल ही गेहूं खरीदा गया। इस लिहाज से देखें तो इस बार 15 फीसद गेहूं भी सरकारी एजेंसियों के पास नहीं आया। उत्पादन इस बार कम हुआ, लेकिन जितना भी उत्पादन हुआ, उसमें से लगभग 40 प्रतिशत गेहूं तो मंडियों से बाहर ही बिक गया। सरकारी खरीद काफी कम होने के कारण ही मार्केट कमेटी को फीस की चिंता ज्यादा सता रही है।

मार्केच कमेटी सचिव के अनुसार

मार्केट कमेटी की ओर से मंडियों के अंदर ही फसल खरीद का लाइसेंस दिया जाता है। फ्लोर मिल की ओर भी मंडियों से ही गेहूं खरीद करने का नियम है। इसके साथ ही जो भी प्राइवेट खरीद होती है, उसका पूरा रिकार्ड रखना होता है। खरीद रिकार्ड से जितना भी अधिक स्टाक मिलता है तो उस पर कुल राशि का 25 प्रतिशत जुर्माना वसूला जाता है।

-----रामनिवास, सचिव मार्केट कमेटी, बहादुरगढ़।


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