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टिड्डी अटैक, पड़ौसी राज्यों से बढ़ रहा खतरा, हिसार व सिरसा में किसान अलर्ट

किसानों को सता रही टिड्डी दल की चिंता। पड़ोसी राज्‍य राजस्‍थान और पंजाब की सीमाओं से लगे होने की वजह से हिसार और सिरसा में किसान को अलर्ट रहने को कहा गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 02:00 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 02:00 PM (IST)
टिड्डी अटैक, पड़ौसी राज्यों से बढ़ रहा खतरा, हिसार व सिरसा में किसान अलर्ट
टिड्डी अटैक, पड़ौसी राज्यों से बढ़ रहा खतरा, हिसार व सिरसा में किसान अलर्ट

हिसार, जेएनएन। किसानों को टिड्डी दल के आने की चिंता सता रही है। मगर किसान कुछ उपायों के माध्यम से इस समस्या से निजात पा सकते हैं। राजस्थान व पंजाब की सीमाओं से लगे होने के कारण हिसार और सिरसा टिड्डी को लेकर अलर्ट पर हैं। यहां विभाग लगातार सूचना देने की बात कह रहे हैं। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ने किसानो को टिड्डी दल से सुरक्षा संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि टिड्डियां छोटे एंटिना वाली तथा प्रवासी आदत की होती हैं। टिड्डियां अकेले या झुंड में रहती हैं, बहुभक्षी होती हैं। व्यस्क मादा टिड्डियां नमी युक्त रेतीली मिट्टियों में 10-15 सेंटी मीटर की गहराई पर समूह में अण्डे देती हैं। ये दल या झुंड बनाकर उडऩे में सक्षम होती हैं इस अवस्था में सामान्यता 4 सप्ताह तक रहती हैं। 

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150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर लेती हैं टिड्डियां

झुंड में टिड्डियां हजारों से लेकर लाखों की संख्या तक हो सकती है। यह झुंड दिन के समय 12 से 16 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से 150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। ये झुंड रात के समय विभिन्न वनस्पतियों पर बैठ जाते हैं तथा अधिक से अधिक क्षति पहुंचाते हैं। इन टिड्डियों का रंग जब गहरा भूरा या पीला होने लगे तो यह परिपक्व व्यस्क बन जाती हैं जो अण्डे देने में सक्षम होती हैं। अण्डे देने की स्थिति आने पर ये टिड्डियां 2-3 दिनों तक उड़ नहीं पाती।

जिले को सतर्क रहने की आवश्यकता

फसलों में क्षति की से इन टिड्डियों की संख्या 10 हजार टिड्डियां प्रति हेक्टेयर या 5-6 टिड्डियां प्रति झाड़ी आंकी गई है। टिड्डियों की संख्या इससे अधिक होने पर कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव की जरूरत पड़ती है। 

टिड्डियां आने पर इन बातों का रखें ध्यान 

- हमारे राज्य में टिड्डियों के झुंड के प्रवेश करने की संभावना कम है परन्तु सचेत रहकर आपसी सहयोग करें ।

 - टिड्डियों के झुंड के दिखाई देने पर ढोल या ड्रम बजाकर इन्हें फसलों पर बैठने से रोका जा सकता है।

- टिड्डियों की फसल में उपस्थिति या आसपास के इलाकों में प्रवेश की जानकारी नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विभाग अधिकारी या कीट विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार को तुरन्त दी जाए ।

- रेतीले टिब्बों, इलाकों में अगर टिड्डियों के झुंड (पीले रंग की टिड्डियां) जमीन पर बैठी दिखाई दे तो उस स्थान को चिन्हित कर तुरन्त सूचित करें।

- टिड्डियां अगर झुंड में न होकर अलग-2 हैं तथा इनकी संख्या कम है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

- अनावश्यक कीटनाशकों का प्रयोग फसलों पर न करें।

- सोशल मीडिया पर टिड्डी दल के बारे में अनावश्यक खबरें न फलायें।

टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशक 

कीटनाशक- मात्रा प्रति हैक्टेयर

क्लोरपायरिफास- 20 फीसद ईसी 1.2 लीटर

क्लोरपायरिफास- 50 फीसद ई.सी. 480 मिली लीटर

मैलाथियान- 50 फीसद ई.सी. 1.85 लीटर

मैलाथियान- 25 फीसद डब्ल्यू पी. 3.7 किलो ग्राम

डैल्टामैथरिन- 2.8 फीसद ई.सी. 450 मिली लीटर

फिपरोनिल- 5 फीसद एस.सी. 125 मिली लीटर

फिपरोनिल- 2.8 फीसद ई.सी. 225 मिली लीटर

लैम्डा-साइहैलोथ्रीन- 5 फीसद ई.सी. 400 मिली लीटर

लैम्डा-साइहैलोथ्रीन- 10 फीसद डब्ल्यू पी. 200 ग्राम


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