नए प्रयोग कर मिसाल बना किसान, फल-सब्जी व अनाज फसलों की एक साथ की जैविक खेती
जैविक कृषि पद्धति को देख गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी समेत कई नामी हस्तियां किसान को सम्मानित कर चुकी हैं
बाढड़ा, जेएनएन। पेड़ व फसलों की जितनी अधिक देखभाल होगी वह उतना ही ज्यादा विकसित होकर हमारे भविष्य में फायदा देगा। भूमि में जैविक खादों से फसलें उगा कर रोग मुक्त जीवन यापन किया जा सकता है। इसी सोच को धरातल पर उतार रहे हैं गांव धनासरी के किसान राममेहर श्योराण।
गांव धनासरी निवासी राममेहर श्योराण ने युवा अवस्था में ही नौकरी करने की बजाए अपनी पैतृक 12 एकड़ भूमि पर खेतीबाड़ी शुरु की थी। लेकिन आरंभ में ज्यादा मुनाफा नहीं होने से उसका हौंसला जवाब दे गया। इसी दौरान उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय का दौरा किया तो उनकी मानसिकता बदल गई।
उसको एक प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ ने खेती के साथ अलग अलग किस्मों के पेड़, पौधे लगाने के प्रति प्रेरित किया। राममेहर श्योराण ने अपने खेत में कृषि विशेषज्ञ द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार काम किया। पशुपालन से मिलने वाली गोबर खाद के सहारे परंपरागत फसलों के साथ ही सब्जियों की भी खेती शुरु की।
खेत में ढाई एकड़ भूमि में पपीता व अब डेढ़ एकड़ में बेल पत्र का उत्पादन कर रहा है। उन्होंने खेत में ही अमरुद, नींबू, माल्टा के पेड़ के अलावा देशी कीकर व शीशम के पौधे लगाए जो अब बड़े बड़े पेड़ों बन चुके हैं। किसान राममेहर सिंह ने बताया कि उन्होंने रासायनिक खादों की बजाए पशुओं के गोबर से बनी देशी व केंचुआ खाद का प्रयोग किया है। उनकी देशी कृषि पद्धति से खुश होकर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी समेत देशभर की कई नामी हस्तियां उनको सम्मानित कर चुकी हैं।