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सूक्ष्म सिचाई से पानी बचा सकते हैं किसान

महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय (एमएचयू) करनाल में तीन दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन हो रहा है। जिसमें किसान उपोष्ण कटिबंधीय फलों में आधुनिक उत्पादन तकनीक के बारे में जान रहे हैं। इसका आयोजन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत एमएचयू के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा किया गया है। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं अनुसंधान निदेशक डा. अजय यादव व विस्तार शिक्षा निदेशक डा. विजय अरोड़ा ने संयुक्त रूप से की। प्रो. समर सिंह ने कहा कि यह वेबिनार किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि यहां से वह अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर अपने व्यवसाय को बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:19 AM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 07:19 AM (IST)
सूक्ष्म सिचाई से पानी बचा सकते हैं किसान
सूक्ष्म सिचाई से पानी बचा सकते हैं किसान

जागरण संवाददाता, हिसार : किसान बागवानी में सूक्ष्म सिचाई का प्रयोग कर 40 से 60 फीसद तक पानी की बचत कर सकते हैं। साथ ही खरपतवारों पर भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह बातें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने कही।

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उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय (एमएचयू) करनाल में तीन दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन हो रहा है। जिसमें किसान उपोष्ण कटिबंधीय फलों में आधुनिक उत्पादन तकनीक के बारे में जान रहे हैं। इसका आयोजन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत एमएचयू के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा किया गया है। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं अनुसंधान निदेशक डा. अजय यादव व विस्तार शिक्षा निदेशक डा. विजय अरोड़ा ने संयुक्त रूप से की। प्रो. समर सिंह ने कहा कि यह वेबिनार किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि यहां से वह अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर अपने व्यवसाय को बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।

किसान परंपरागत के स्थान पर आधुनिक खेती करें

प्रो. समर सिंह ने बताया कि किसान की आमदनी में बढ़ोतरी परंपरागत खेती की बजाय इसमें विविधिकरण व बागवानी के माध्यम से ही संभव हो सकती है। हमारा देश पूरी दुनिया में फल उत्पादन में अग्रणी देशों में स्थान रखता है, लेकिन फलों व सब्जियों की तुड़ाई के उपरांत सही रखरखाव न होने की वजह से 30-40 प्रतिशत तक नुकसान होता है। फलों एवं सब्जियों के उचित भंडारण हेतु कोल्ड स्टोर एवं इनकी प्रोसेसिग के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्थाओं ने लिया हिस्सा

इस वेबिनार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्थाएं केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश), राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार) एवं राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र, शोलापुर (महाराष्ट्र) के वैज्ञानिकों ने किसानों को उपोष्ण कटिबंधीय फलों की बागवानी संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। इसके अलावा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के विज्ञानी डा. गुरदेग सिंह, बागवानी विभाग के उपनिदेशक डा. आत्म प्रकाश एवं क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल के क्षेत्रीय निदेशक डा. पन्नू एवं प्रमुख विज्ञानी डा. विजय अरोड़ा ने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। इन्होंने आम, लीची, अमरूद, नींबू वर्गीय फलों जैसे किन्नू व अनार की उत्पादन तकनीक, पुराने सेनाइल बागों के लिए कार्यकलाप तकनीक एवं तुड़ाई उपरांत फलों का रखरखाव, ड्रिप सिचाई एवं एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में बताया। प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह चौहान गांव उचाना (करनाल) ने वेबिनार में शामिल प्रतिभागियों के साथ अपने बागवानी संबंधी विचार साझा किए।

इन फलों की दी गई जानकारी

वेबिनार में उपोष्ण कटिबंधीय फलों जैसे आम, लीची, अमरूद, अनार, किन्नू आदि की अग्रिम खेती, उचित प्रबंधन, फलों का तुड़ाई के बाद संरक्षण एवं रख-रखाव संबंधी आधुनिक तकनीकों की महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इस वेबिनार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के बागवानी विभाग के कृषि विज्ञानी भी शामिल हुए।


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