नौकरी को दिखाया ठेंगा, एक एकड़ से ढाई लाख रुपये कमा रहे किसान शिव शंकर
केंद्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए 2022 का लक्ष्य लेकर चल रही है। मगर गांव प्रभुवाला के प्रगतिशील युवा किसान ने आमदनी को दोगुना नहीं बल्कि पांच गुना कर लिया। जानें कैसे
हिसार/ उकलाना [पासा राम धत्तरवाल] केंद्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए 2022 का लक्ष्य लेकर चल रही है। मगर गांव प्रभुवाला के प्रगतिशील युवा किसान ने आमदनी को दोगुना नहीं बल्कि पांच गुना करके अभी दिखा दिया है। शिव शंकर अब किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं। पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले शिव शंकर जो साधारण किसान होते थे वो आज प्रगतिशील किसान बन चुके हैं। पारंपरिक खेती छोड़ने के साथ ही नौकरी करने के ख्याल को भी बदल दिया और बागबानी को अपनी आय का साधन बना लिया।
प्रति एकड़ ढाई लाख कमाने वाले किसान शिव शंकर अब किसानों को बागवानी अपनाने और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित करने में लगे हुए हैं। दूर दराज के किसान भी अब उनके खेत में आकर उनके खेतीबाड़ी की जानकारी ले रहे हैं और अपनी आमदनी को कई गुणा बढ़ाने के गुर सीख हैं। पांरपरिक खेती से महत घर खर्च ही निकल पाता था और बागबानी से वो लाखों कमा रहे हैं।
शिव शंकर ऐसे बने प्रगतिशील किसान
गांव प्रभुवाला के युवा किसान शिव शंकर ने बताया कि उन्होंने 2005 में पारंपरिक तरीके से खेती करनी शुरू की थी। जिसमें गेहूं व नरमा की खेती की जाती थी। जिसमें उन्हें कोई खास आमदनी नहीं होती थी। वे किसान समूह से जुड़ गए। जहां पर उन्हें पता लगा कि पारंपरिक खेती की बजाए बागवानी से ज्यादा आमदनी हो सकती है। केंद्र सरकार की एनएच स्कीम से जुड़े और फिर बागवानी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी शुरू की। वह अपनी 25 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं।
पैसा और पानी बचा रहे
शिव शंकर ने बताया कि खेती में सिचाई के लिए ट्यूबवेल चलाकर उन्हें काफी पैसा खर्च करना पड़ता था। जिसे लेकर उन्हें चिंतन किया। उसके बाद उन्होंने सरकार की स्कीम के तहत खेत में 80 फीट का सामुदायिक टैंक बनाया। जिसमें अपनी बारी पर नहरी पानी डालना शुरू किया। उसके बाद पारंपरिक तरीके से सिचाई की बजाय टपका सिचाई शुरू की। जिससे कम पानी की जरूरत होने लगी और इसकी पूर्ति सामुदायिक टैंक में भरे पानी से होने लगी, जिससे पानी और पैसा दोनों की बचत हो गई।
बागवानी से प्रति एकड़ कमा रहे ढाई लाख वार्षिक
शिवशंकर ने बताया कि पारंपरिक खेतीबाड़ी से उन्हें मुश्किल से प्रति एकड़ 20-25 हजार की बचत हो पाती थी। मगर जब से उन्होंने बागवानी को अपनाया है वह प्रति एकड़ ढाई लाख रुपये वार्षिक कमा रहे हैं। वह अमरूद, किन्नू, मालटा, आडू, अनार, बेर, खजूर, खरबूजा की खेती करते हैं। जिसमें अमरूद से प्रति वर्ष प्रति एकड़ तीन लाख की आमदनी और किन्नू से पौने दो लाख की आमदनी हो रही है। उनका अमरूद तो खेत में ही बिक जाता है और किन्नू को हिसार व जींद की मंडियों में बेचते हैं। वह 25 एकड़ में खेती करते हैं।
बागवानी व वैज्ञानिक तरीके से करें खेती
शिव शंकर ने कहा कि केंद्र सरकार तो 2022 में किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात करती है लेकिन हमने तो अभी से पांच गुणा कर ली है। दूसरे किसान भी बागवानी को अपनाकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करके अपनी आमदनी 2019 में ही डबल कर सकते हैं। पारंपरिक खेती की बजाय किसान अब वैज्ञानिक खेती की ओर जाएं। कृषि विभाग के अधिकारियों से मिलकर समय-समय पर जानकारी लें। सरकार द्वारा भी किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं लागू की गई हैं। जिनका किसान फायदा उठा सकते हैं।