जहां सामान्य फसलें होना भी मुश्किल, वहां उगाया एक लाख रुपये प्रतिकिलो भाव वाला केसर
किसान राजमल रेतीली भूमि पर पिछले दो साल से केसर की खेती कर रहे हैं। एक एकड़ से भी कम भूमि में 20 किलोग्राम केसर उत्पादन कर वो लाखों रुपये कमा चुके हैं। दूसरे किसान पक्तिं में हैं
चरखी दादरी [संदीप श्योराण] जिस रेतीली भूमि पर किसानों को सरसों व कपास जैसी फसलें उगाने में जद्दोजहद करनी पड़ती हो यदि उसी भूमि पर केसर की खेती करने की बात की जाए तो ये महज कोरी कल्पना करना लगता है। लेकिन चरखी दादरी जिले के गांव द्वारका निवासी राजमल ने असंभव सी लगने वाली इस कल्पना को हकीकत में तब्दील कर एक मिसाल पेश की है। राजमल की कड़ी मेहनत व कुछ अलग करने की सोच के चलते किसान ने दो साल से केसर की खेती शुरू की है। करीब एक लाख रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिकने वाला केसर इनके खेतों में लहलहाता दिखाई दे रहा है।
हालांकि यहां की गर्म जलवायु व विषम परिस्थितियों के कारण दशकों से परंपरागत खेती होती रही है। लेकिन कुछ सालों से गैर परंपरागत, व्यापारिक दृष्टि से लाभ की फसलों के प्रति किसानों का रूझान बढ़ा है। किसान राजमल ने गत वर्ष दो किलोग्राम खुद बीज तैयार कर गांव ही नहीं जिले के दूसरे गांवों के भी कुछ लोगों को निशुल्क तौर पर दे रहे हैं। उससे करीब 15 किलोग्राम बीज का उत्पादन होने की संभावना है और इस तैयार बीज को वे किसानों को नि:शुल्क देंगे ताकि दूसरे किसान भी केसर की खेती कर लाभ कमा सके।
केसर से किसान कमा सकते है लाखों रुपये
राजमल ने बताया कि केसर की खेती से किसान छोटे स्तर पर खेती कर भी लाखों रुपये कमा सकते है। उनके अनुसार एक एकड़ में 25 से 30 किलोग्राम केसर का उत्पाद हो सकता है। बाजार भाव के अनुसार जिसकी कीमत लाखों रुपये में है। अच्छी किस्म के केसर को दो लाख रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भी मिलते हैं।
मकान के साथ लगती छोटी सी भूमि पर लाखों का केसर, किसान उत्साहित
राजमल ने केसर की फसल सितंबर माह में लगाई थी व वर्तमान में केसर के फूल खिल चुके है और फसल अंतिम पड़ाव पर है। किसान ने बताया कि उसने मकान के साथ लगते भूमि के छोटे से भाग पर करीब 600 पौधे लगा रखे है। इन पौधों से चार किलोग्राम केसर और 15 किलोग्राम बीज के उत्पादन का अनुमान है। किसान उत्साहित हैं।
केसर की खेती करना है बेहद आसान, गोबर की खाद से बनती बात
राजमल ने बताया कि यह कश्मीरी केसर नहीं है बल्कि एक अमेरिकन हाइब्रिड किस्म है। इसकी खेती करना बेहद आसान है व इसके लिए अलग से कोई विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। आप केसर की खेती करने वाले किसान से एक बार बातचीत कर इसे आसानी से अपने खेत में लगा सकते है। उन्होंने बताया कि उसने फसल में कोई रासायनिक उर्वरक नहीं डाला बल्कि केसर के बीज लगाने से पहले गोबर की खाद डाली थी और बाद में दो बार कीटनाशक का छिड़काव किया है और हर 10-12 दिन बाद सिचाई की है।
एक एकड़ के बीज पर खर्च होते है दो लाख रुपये
राजमल ने बताया कि केसर की खेती पर जो कुल खर्च होता है उसका करीब 80 फीसद हिस्सा अकेले बीज पर खर्च हो जाता है। इसलिए वे स्वयं व दूसरे किसानों से पहले छोटे स्तर पर केसर उगाकर खुद का बीज तैयार करवा रहे है ताकि बीज पर लगने वाले मोटे खर्चे से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में केसर की खेती करने के लिए बीज पर करीब दो लाख रुपये खर्च करने पड़ते है।
नकीपुर पहाड़ी के किसान के यहां फसल को देख चौंक गए थे राजमल
करीब दो वर्ष पहले उन्हे समाचार पत्र के माध्यम से जानकारी मिली कि नकीपुर पहाड़ी निवासी एक किसान ने रेतीली भूमि पर केसरी उगाई है। रेतीली भूमि पर केसर की खेती की बात उन्हें हजम नहीं हुई और वे इसे अपनी आंखों से देखने के अपने साथियों सहित गांव नकीपुर पहुंचे व किसान रतन के खेत में रेतीली भूमि पर लहलहा रही केसर की फसल देखकर आश्चर्यचकित रह गए। बाद में नकीपुर निवासी किसान से खेती के तौर तरीके के बारे में बातचीत कर अपने खेत में केसर उगाने का फैसला किया। गत वर्ष जिले के पंचगांव निवासी कुलदीप ने करीब 6 कनाल भूमि पर केसर उगाई थी। जिसमें 15 किलोग्राम केसर का उत्पाद हुआ था। 9 किलोग्राम केसर 6 लाख 50 हजार रुपये में जयपुर के एक व्यापारी को बेच दी।
इन जटिल बीमारियों में केसर के फायदे और उपयोग
- रूसी या डैंड्रफ को हटाने के लिए मरिच, और केशर को समान मात्रा में मिलाकर, तेल में पका लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें।
- केशर, अगरु, कस्तूरी, इलायची, देवदारु आदि को अलग-अलग, या एक साथ बारीक पीस लें। इसका लेप करने से ठंड कम होती है।
- बच्चों को सर्दी की शिकायत होती रहती है। ऐसे में केशर को गर्म दूध के साथ पीसकर छाती पर लेप करें।
- सर्दी-जुकाम होने पर 65 मिग्रा केशर को पान में रखकर खाना है। इससे सर्दी-जुकाम में फायदा होता है।
- पेट के दर्द से परेशान व्यक्ति 500 मिग्रा दालचीनी चूर्ण में 65 मिग्रा केशर मिला लें। इसका 65 मिग्रा की गोली बना लें। इस गोली को 1-1 की मात्रा में सुबह और शाम खाएं। इससे पेट दर्द से आराम मिलता है।
- घाव हो गया है तो केशर के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है।
- आंतों के रोग में 10-15 मिली केशर का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे आंतों से संबंधित परेशानी से राहत मिलती है।
- सिर दर्द से परेशान रहते हैं, वे घी में केशर के चूर्ण, और चीनी को डालकर पकाएं। इस घी को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे अधकपाड़ी, और अन्य प्रकार के सिर दर्द में आराम मिलता है। इससे वात और खून से संबंधित विकार, और आंखों की बीमारी में भी लाभ मिलता है।
- केसर का सेवन करने से मासिक धर्म संबंधी परेशानियों से आराम मिलता है। इसके लिए केशर, तथा अकरकरा को पीस लें। इसकी 125 मिग्रा की गोली बना लें। इसे खाने से मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है।
- पेशाब के रुक-रुक कर आने, और पेशाब संबंधित अन्य रोग में केसर के प्रयोग से लाभ होता है। इसके लिए 10-15 मिली केशर के काढ़ा में थोड़ी मात्रा में नमक मिला लें। इसे पानी के साथ सेवन करने से पेशाब संबंधित विकार में लाभ होता है।
- मूत्र से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए केशर को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह उसका चूर्ण बना लें, और इस चूर्ण को शहद के साथ पानी में मिलाकर पीने से मूत्र विकार में फायदा होता है।
- ब्राह्मी के 15-30 मिली काढ़ा में केशर डालकर, पीने से मानसिक रोगों में लाभ होता है।
- रक्तस्राव (नाक-कान आदि से खूून बहने की परेशानी) जैसी परेशानी हो जाती है। इसी तरह मुंह, गुदा, योनि आदि इंद्रियों से भी रक्तस्राव होने लेती हैं। ऐसे में केसर का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। केशर को बकरी के दूध में मिलाकर पिलाने से रक्तस्राव में लाभ होता है।
- जोड़ों के दर्द में केशर के पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं। इससे जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
- हैजा जैसी गंभीर बीमारी में 5 मिली नींबू रस में थोड़ी-सी केशर मिलाकर चांटें। इससे हैजा में लाभ होता है।
- केशर के चूर्ण में 10 मिली करेले का रस मिला लें। इसे पिलाने से लिवर से संबंधित विकार ठीक हो सकते हैं।
- हृदय को स्वस्थ बनाने वाली दूसरी औषधियों के साथ केशर को मिलाकर दें। इससे हृदय रोग में लाभ होता है।