Kisan Andolan: आंदोलन को पूरे हुए पांच माह, कोरोना संकट के बीच बातचीत के आसार नहीं
किसान आंदोलन को पांच महीने पूरे हो चुके हैं। सरकार और आंदोलनकारियों में सहमति नहीं बन पा रही है। इस बीच गहराते कोरोना संकट के बादल वार्ता पर भी मंडरा रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर दो जगह चल रही सभाओं में भी खतरा कम नहीं है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को पांच माह पूरे हो चुके हैं। कोरोना का जिस तरह से संकट चल रहा है उसको देखते हुए अभी तो सरकार और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत के आसार न के बराबर हैं। फिलहाल तो कोरोना को लेकर अफरा-तफरी और आक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है।
टीकरी बॉर्डर पर रोजाना दो जगह सभा चल रही है। इसमें आंदोलनकारी किसान जुट रहे हैं। अभी कोरोना वैक्सीनेशन और टेस्टिंग से दूरी बनाए हुए हैं। अधिकतर किसान तो अभी भी कोरोना संक्रमण कुछ न होने का राग अलाप रहे हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन की चिंता यह है कि किसान नेताओं का यह गैरजिम्मेदाराना रवैया कहीं बहादुरगढ़ और दिल्ली पर और ज्यादा भारी न पड़ जाए। पिछले दिनों आंदोनलकारियों द्वारा कोरोना से बचाव करने के उपाय अपनाने की बात तो कही गई, मगर ऐसा कुछ अभी तक नजर नहीं आ रहा है।
इंटरनेट मीडिया पर शुरू हुई अपील
इस बीच कोरोना संक्रमण को लेकर जो हालात बने हुए हैं, उनको देखते हुए सरकार की ओर से तो आंदोलनकारी किसानों से फिलहाल यह आंदोलन खत्म करने और कोरोना संकट जब दूर हो जाए, तब दोबारा से आंदोलन शुरू करने की अपील की ही जा रही है। साथ में अब इंटरनेट मीडिया पर आमजन की ओर से भी इस तरह की अपील की जा रही है कि किसानों को फिलहाल जिद छोड़कर जनहित में इस आंदोलन को वापस लेना चाहिए। दिल्ली भी वहीं रहेगी और बहादुरगढ़ भी। आंदोलन तो दोबारा से कभी भी शुरू किया जा सकता है।
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