जैविक तरीके से रसायन मुक्त सब्जियां उगाकर कम खर्चे में अच्छी आमदनी ले रहे किसान मनोहर
चरखी दादरी जिले के गांव गोपी निवासी किसान मनोहर लाल स्वामी नेट हाउस में जैविक तरीके से बेमौसमी सब्जियां उगाता है। बिना मौसम के सब्जियों का उत्पादन कम व डिमांड अधिक होने के कारण किसान को अच्छा भाव मिल जाता है।
चरखी दादरी [संदीप श्योराण] वर्तमान में किसानों द्वारा बागवानी की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। किसान परंपरागत खेती को छोड़कर फल, सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। इसी के चलते सीजन के समय उत्पादन की अपेक्षा डिमांड कम रहती है। जिससे सब्जी उत्पादक किसानों को उचित भाव नहीं मिल पाता है। लेकिन इसके विपरीत गांव गोपी निवासी किसान मनोहर लाल स्वामी नेट हाउस में जैविक तरीके से बेमौसमी सब्जियां उगाता है। बिना मौसम के सब्जियों का उत्पादन कम व डिमांड अधिक होने के कारण किसान को अच्छा भाव मिल जाता है। वहीं जैविक तरीके से सब्जी उगाने से लागत भी कम होने के कारण खेती पर खर्चा भी कम होने के कारण अच्छी आमदनी हो जाती है।
दादरी जिले के किसानों का रूझान तेजी से फल, सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए बागवानी विभाग द्वारा भी किसानों को लगातार प्रोत्साहन दिया जा रहा है। एक दशक पहले तक जिले में जहां कुछ स्थानों पर महज नींबू वर्गीय फलों के ही बाग लगाए जाते थे। लेकिन मौजूदा समय में इन सब से हटकर किसान अमरूद, अनार, बेर आदि के अलावा सब्जियों का भी अच्छा-खासा उत्पादन कर रहे हैं। वहीं काफी किसान जैविक खेती को अपना रहे हैं जिससे एक ओर जहां उपभोक्ताओं को हानिकारक रसायन मुक्त व पौष्टिक सब्जियां उपलब्ध होती हैं वहीं दूसरी ओर किसानों द्वारा भी जैविक उत्पादों को अपनाएं जाने से खेती पर कम खर्चा करना पड़ता है। जैविक खेती का सीधा प्रतिकूल असर उपभोक्ता की सेहत व किसान की जेब पर पड़ता है। इसी के चलते कई किसान नई तकनीक के साथ जैविक रुप से खेती कर लाभ कमा रहे हैं।
सात साल से जैविक खेती कर रहे हैं मनोहर
गांव गोपी निवासी किसान मनोहर लाल ने करीब सात साल पहले गेहूं, सरसों, कपास, बाजरा की परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की ओर कदम बढ़ाया था। शुरुआत में उन्होंने किन्नू का बाग लगाया था। लेकिन उसमें वांछित लाभ प्राप्त नहीं होने के कारण उन्होंने सब्जी उगाना शुरू कर दिया। सब्जी लगाने की शुरुआत एक एकड़ गाजर के साथ की थी लेकिन वर्तमान में वह करीब चार एकड़ में करेला, हरी मिर्च, हरी प्याज, गाजर लहसुन की खेती कर रहा है। इन सब्जियों को तैयार करने में किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद व जहरीले कीटनाशकों की बजाय जैविक खाद, कीटनाशक का प्रयोग करता है। इससे एक ओर जहां किसान का खर्चा घटता है वहीं दूसरी और सब्जियों का स्वाद भी बढ़ता है। किसान ने बताया कि डी कंपोजर, जीवा अमृत आदि का प्रयोग अपने खेत में करता है इसके अलावा नीम, ऑक, धतूरा आदि से कीटनाशक भी स्वयं खेती पर ही तैयार कर लेता है।
पौने दो एकड़ में लगाया नेट हाउस
किसान मनोहर लाल ने पौने दो एकड़ में नेट हाउस बना रखा है। जिसमें बिना सीजन वाली सब्जियों का उत्पादन कर अच्छा भाव प्राप्त किया जाता है। किसान मनोहर लाल द्वारा वर्तमान में नेट हाउस के अंदर करेला व हरी मिर्च लगाई गई है। इन सब्जियों की अब उत्पादन कम होने के कारण किसान को करेले का थोक भाव करीब 50 व हरी मिर्च का भाव 70 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। जबकि करेले के सीजन के समय किसान को करीब दस रुपये से भी कम में करेला बेचना पड़ा था।
बढ़ रही है जैविक सब्जियों की डिमांड
किसानों द्वारा अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में अपने खेतों में आवश्यकता से अधिक रासायनिक व जहरीले खाद, कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। जिनको पौधों द्वारा अवशोषित किए जाने के कारण इससे तैयार फल,सब्जी को खाने वाले उपभोक्ता की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। इसी प्रकार की सब्जियां अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। इसी के चलते अब किसान भी जागरुक हो रहे हैं और जैविक रुप से रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं। जैविक तरीके से तैयार सब्जी अधिक समय तक ताजी रहती है व इसके खाने का स्वाद भी अच्छा होता है। इसी के चलते धीरे-धीरे लोग जैविक सब्जियों के महत्व को समझ रहे हैं और धीरे-धीरे जैविक सब्जी की डिमांड बढ़ रही है।