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नौकरी को नहीं दी तवज्‍जो, स्ट्राबेरी की खेती कर प्रति एकड़ 12 लाख तक कमा रहा किसान

जिले सिंह ने अपने खेतों में 30 से अधिक मजदूरों को रोजगार भी दिया है। नए नजरिए से खेती कर अच्छी पैदावार करने को लेकर कृषि मंत्री ओपी धनखड़ भी उनको सम्मानित कर चुके हैं।

By manoj kumarEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 04:03 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 11:27 AM (IST)
नौकरी को नहीं दी तवज्‍जो, स्ट्राबेरी की खेती कर प्रति एकड़ 12 लाख तक कमा रहा किसान
नौकरी को नहीं दी तवज्‍जो, स्ट्राबेरी की खेती कर प्रति एकड़ 12 लाख तक कमा रहा किसान

रोहतक, जेएनएन। लोग नौकरी के पीछे भागते दौड़ते हैं ताे रोहतक के एक किसान ने नौकरी को तवज्‍जो नहीं दी और खेती को ही फायदे का सौदा बना लिया है। सौदा भी ऐसा कि वे अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं। यहां हम बात कर रहे हैं सुनारियां गांव निवासी जिले सिंह व उनके बेटे दीपक की। स्ट्राबेरी की खेती कर ये प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। नए नजरिए से खेती कर अच्छी पैदावार करने को लेकर कृषि मंत्री ओपी धनखड़ भी उनको सम्मानित कर चुके हैं।

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अब से करीब 21 साल पहले जिले सिंह ने आधुनिक खेती अपनाई थी। उन्होंने सरकारी लोन लेकर दो एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल लगाई। तब से लेकर आज तक उन्होंने फिर कभी पारंपरिक खेती नहीं की। उनका कहना है कि स्ट्राबेरी की फसल लगाना शुरू करने से पहले उनके परिवार में गरीबी थी और बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था। वहीं, इस फसल के बाद से ही यह फसल उनके लिए मुनाफे का सौदा बनी हुई है।

उस समय उनके पास 11 एकड़ जमीन थी। उनका परिवार गरीबी को मात देकर अब संपन्न भी हो चुका है। अब उनके बेटे दीपक भी स्ट्राबेरी की खेती को संभाल रहे हैं। आय बढऩे के साथ ही उन्होंने अपनी जमीन बढ़ाई। अब वे 30 एकड़ जमीन के मालिक हैं।

मजदूरों को मिल रहा रोजगार

जिले सिंह ने अपने खेतों में 30 से अधिक मजदूरों को रोजगार भी दिया है। किसान दीपक ने बताया कि उनके पिता जिले सिंह करीब 21 साल पहले पूना में अपने दोस्तों के साथ घूमने गए थे। जहां उनके एक दोस्त ने उनको स्ट्राबेरी की खेती करना सिखाया। बस वहीं से उनके मन में रोहतक में भी स्ट्राबेरी की खेती करने का विचार आया। वापस आकर उन्होंने जिला बागवानी विभाग से संपर्क किया और यहां पर स्ट्राबेरी की खेती शुरू कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने सरकार से लिए 10 लाख के लोन को महज तीन साल में ही उतार दिया।

खुले में उगाते हैं स्ट्राबेरी 

स्ट्राबेरी की फसल वे खुले में ही उगाते हैं। दीपक ने बताया कि वे सितंबर में स्ट्राबेरी के पौधे लगाते हैं। जिन पर नवंबर से फल लगने लगते हैं। मार्च तक फल आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि पौधे लगाने के एक महीन तक टपका सिंचाई करते हैं। बाद में मौसम फसल के अनुकूल हो जाता है और यह तेजी से वृद्धि करता है। इसका पौधा टमाटर से भी छोटा होता है। अमरीका के कैलीफोर्निया से यहां पौधे लाए जाते हैं। बागवानी विभाग का कहना है कि स्ट्राबेरी के उत्पादन में यह परिवार बेहतरीन कार्य कर रहा है।

आजादपुर मंडी में रहती है मांग

स्ट्राबेरी का प्रयोग जूस के अलावा, दवा और चाकलेट में भी बखूबी किया जाता है। किसान का कहना है कि यहां से वे अपनी फसल को दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में बिक्री के लिए भेजते हैं। जहां इसकी काफी मांग रहती है। दो साल पहले कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने उनके इस कार्य ही सराहना करते हुए सम्मानित भी कया था।

हरी खाद का करते हैं प्रयोग

स्ट्राबेरी की फसल से पहले खेत तैयार किया जाता है। इसके लिए खेती की अच्छी तरह जुताई करते हैं। खेत में अनेक मेढ़ बनाई जाती हैं। इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं। एक एकड़ में करीब 25 हजार पौधे लगाए जाते हैं। किसान के पास स्वीट सेशन, मेटाडोन व कामारोजा, एसए, वेंटर स्टार आदि किस्मों की स्ट्राबेरी है। उन्होंने बताया कि स्वीट चार्ली इनमें सबसे मीठी स्ट्राबेरी होती है।


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