भाई-बहनों की बनी मार्गदर्शक, मां का बंटाया हाथ, किसान की बेटी ने प्रदेश में संयुक्त तौर पर पाया 10वां स्थान
परिस्थितियां बेशक विपरीत हों, लेकिन जुनून के साथ मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। गांव मंगाली सुरतिया के एक किसान की बेटी ने यह साबित भी कर दिखाया है।
संदीप बिश्नोई, हिसार :
परिस्थितियां बेशक विपरीत हों, लेकिन जुनून के साथ मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। गांव मंगाली सुरतिया के एक किसान की बेटी ने यह साबित भी कर दिखाया है। गांव की बेटी शोभा ने दसवीं कक्षा में 487 अंक हासिल कर प्रदेशभर में संयुक्त रूप से 10वां स्थान हासिल किया है। 13 सदस्यों के संयुक्त परिवार में चाचा-चाची और दादा-दादी भी हैं। शोभा चार सगे सहित सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। 15 साल की शोभा सुबह 5 बजे उठकर सबसे पहले घर में झाडू-पौंछा करती है। इसके बाद छोटे बहन-भाईयों को उनके डाउट क्लियर करवाती हैं, खासकर गणित के, जो उसका फेवरेट सब्जेक्ट है। ताकि स्कूल में उन्हें कोई परेशानी न हो। फिर स्कूल जाती है। उधर, माता-पिता और परिवार के अन्य लोग खेतों में काम करते हैं।
गांव कालवास के गुरु जंभेश्वर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली शोभा ने बताया कि वह शाम को मां का खाना बनाने में हाथ बंटाती है। यह उसके लिए जरूरी नहीं, लेकिन इसे वह एक कला और अपने काम का हिस्सा मानती हैं, जिससे उसे आत्मसंतुष्टि मिलती है। इसके बाद शाम 7 बजे पढ़ने बैठती है और रात 12 बजे तक उसका अध्ययन चलता है। वो अध्ययन, जिसमें वो केवल पढ़ती ही नहीं, बल्कि समझती भी है। चुनौतियों को लिखती है और अगले दिन स्कूल में जाकर अपने अध्यापकों से उसका हल जानती है। ऐसी दिनचर्या के साथ शोभा ने अपने गांव और जिले की शोभा बढ़ाई है। उसने बताया कि उसके माता-पिता ही उसके आदर्श हैं और वह इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहती है।