यहां इस वजह से जलघर की टंकी पर चढ़ शोले के वीरू बने किसान, बोले- हर टंकी पर जमाएंगे डेरा
बीमा क्लेम की मांग को लेकर प्रदर्शन है जारी, 43वें दिन किसानों ने उग्र किया आंदोलन
जेएनएन, सिरसा:
अब तक अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसान जहां धरना प्रदर्शन ही करते आ रहे थे, वहीं सिरसा में किसानों ने विरोध करने का एक नया ही तरीका निकाला है। सोमवार की सुबह शुरू हुआ ये प्रकरण अभी भी जारी है और किसान बीमा क्लेम की मांग को लेकर जलघर की टंकी पर चढ़े हुए हैं। इस सीन को देख हर किसी को शोले फिल्म के वीरू की याद आ गई, हर तरफ चर्चा है कि धमेंद्र स्टाइल का प्रयोग कर किसान अपनी मांग को मनवाने पर अड़े हुए हैं। किसान मनाने पर भी नहीं मान रहे हैं और वो टंकी पर चढ़ फोटो खींचने और वीडियो बनाने में भी मशगूल दिखाई दिए। 24 घंटें से ज्यादा समय बीतने के बाद भी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
बता दें कि वर्ष 2017 की खरीफ फसल का बीमा क्लेम देने की मांग को लेकर 42 दिनों तक लघु सचिवालय के समक्ष धरना देने, सरकार, विपक्षी दलों और बीमा कंपनियों के खिलाफ रोजाना विरोध प्रदर्शन करने के बाद सोमवार को 43वें दिन अपने अल्टीमेटम के अनुसार किसानों ने आंदोलन को उग्र रूप दे दिया।
अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष समिति के अध्यक्ष विकल पचार के नेतृत्व में पांच किसान चौपटा क्षेत्र के गांव रूपावास स्थित जलघर की टंकी पर चढ़ गए। किसानों के समर्थन में दर्जनों किसान जलघर में धरना दे रहे हैं। वहीं किसानों के टंकी पर चढ़ने की सूचना मिलने पर चौपटा के नायब तहसीलदार छैलूराम सहित भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और टंकी पर चढ़े किसानों को मनाने का प्रयास किया परंतु किसानों का कहना था कि जब तक उनके खातों में बीमा क्लेम की राशि नहीं आ जाती तब तक वे टंकी पर चढ़े रहेंगे। सुबह करीब सात बजे ही किसान गांव रूपावास के जलघर की टंकी पर चढ़ गए और धरने का ऐलान कर दिया। सोशल मीडिया पर जब उनकी फोटो व वीडियो आया तो प्रशासन भी हरकत में आ गया। आंदोलनकारी किसान हाथों में तिरंगा थामे हुए है और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
समिति के अध्यक्ष विकल पचार का कहना है कि उन्होंने 42 दिनों तक आंदोलन किया लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगों पर गौर नहीं की। मुख्यमंत्री ने बीमा क्लेम दिलवाने का आश्वासन दिया इसके बावजूद भी क्लेम नहीं मिला। जिस कारण मजबूरन उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जारी रहेगा और रोजाना जिला के गांवों की पानी की टंकियों पर किसान चढ़ेंगे।
किसान बोले सिरसा की सभी टंकियों पर देंगे धरना
किसान शीशपाल ने बताया कि 6 अगस्त से किसान बीमा क्लेम की मांग को लेकर धरना शुरू किया था। 42 दिनों से धरना दे रहे हैं। प्रशासन को 12 मांगपत्र दे चुके हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीती 25 अक्तूबर को किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर 10 दिनों के भीतर बीमा क्लेम दिलवाने का आश्वासन दिया था परंतु आज 22-23 दिन हो गए, बीमा क्लेम संबंधी कोई समाचार नहीं है। जिला के किसानों का 172 करोड़ रुपये किसानों का बीमा क्लेम बकाया है। अब किसानों ने आखिर में मरणासन्न आंदोलन चलाया है, जिसमें या तो बीमा क्लेम के पैसे उनके खातों में आए नहीं तो जो भी होगा, उसकी जिम्मेवार सरकार होगी। उन्होंने कहा कि सिरसा जिला की सभी टंकियों पर किसानों द्वारा धरना दिया जाएगा।
किसानों के आंदोलन की जानकारी प्रशासन को दी: छैलूराम
चौपटा के नायब तहसीलदार छैलूराम ने बताया कि किसानों के आंदोलन की जानकारी मिलने पर वे मौके पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की। किसानों के टंकी पर चढ़ने, उनके आंदोलन व मांगों के बारे में प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है। किसानों से टंकी से उतरने का आग्रह किया गया है परंतु वे अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। जिला प्रशासन की ओर से मुआवजे की मांग को लेकर टंकी पर चढ़े किसानों से बातचीत के लिए जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी प्रीतपाल सोमवार देर शाम को गांव रूपावास पहुंचे। टंकी के समीप पहरा दे रहे ग्रामीणों व किसानों से उनकी बातचीत हुई और किसानों ने मुआवजा दिलाए जाने की मांग रखी। स्पष्ट कहा कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक टंकी पर चढ़े किसान नहीं उतरेंगे। उन्होंने बताया कि मामला बीमा कंपनी से जुड़ा हुआ है और प्रशासन हर हालात में जल्द से जल्द मुआवजा दिलवाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन वार्तासिरे नहीं चढ़ी, देर रात तक डीडीपीओ मौके पर उपस्थित रहे। रस्सी से बाल्टी को बांधकर पहुंचाया गया भोजन
टंकी पर बैठे किसान माइक लगाए हुए हैं और वहीं से बीच-बीच में संबोधन भी दे रहे हैं। आवश्यक वस्तु टंकी पर भेजने के लिए रस्सी से बाल्टी बांधी हुई है और ऊपर से बाल्टी नीचे आती है, फिर ऊपर खींच ली जाती है। इसी तरीके से भोजन भी भेजा गया है। सभी किसानों ने भोजन किया है। डिबेट में भी कृषि मंत्री के साथ विकल पचार ने लिया हिस्सा
टंकी पर बैठे किसानों का नेतृत्व कर रहे विकल पचार ने माइक से बताया कि एक टीवी चैनल पर कृषि मंत्री के साथ उन्होंने डिबेट में हिस्सा लिया है। कृषि मंत्री इसे तकनीकी मामला बता रहे हैं और वे कोई भी आश्वासन नहीं दे रहे हैं। इसलिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।