गिरने लगे 1991 में बने नगर निगम भवन के छज्जे
जागरण संवाददाता, हिसार : नगर निगम के भवन का शिलान्यास साल 1989 में हुआ था। 1991 में यह बनकर तैयार हो
जागरण संवाददाता, हिसार : नगर निगम के भवन का शिलान्यास साल 1989 में हुआ था। 1991 में यह बनकर तैयार हो गया और इसे अधिकारियों को सौंप दिया गया। सालों से पारिजात चौक पर चल रही नगर पालिका को नये भवन में शिफ्ट किया गया। मगर, भवन निर्माण की खामियां धीरे-धीरे सामने आने लगीं। 27 साल में ही भवन की दर और दीवारें जवाब देने लगी हैं। इसी का नमूना सोमवार को देखने को मिला। जब ज्वाइंट कमिश्नर कार्यालय की प्रथम मंजिल पर बना छज्जा गिरने की स्थिति में आ गया। भवन शाखा के अधिकारियों ने हादसे से बचने के लिए पूरे एरिया में पट्टी लगाकर उसे सील कर दिया। जिससे छज्जा गिरने पर कोई हादसा न हो।
हैरानी की बात यह है कि कुछ माह पहले ही भवन को खूबसूरत बनाने का काम किया गया। रंग-रोगन के दौरान किसी को यह कमी दिखाई नहीं दी। सही मायने में देखा जाए तो भवन के गिरने की असली वजह समय पर देखभाल नहीं किया जाना है। अधिकारियों ने अंदरूनी दीवारों और कमरों पर हर साल खर्च किया। स्पेशल टाइलें, मेयर से लेकर ज्वाइंट कमिश्नर के कार्यालयों में लगाई गई। ईओ कार्यालय में लगी कालीनों को बदला गया। मगर, किसी ने कंडम होती दीवारों और छज्जों को ठीक करने की जहमत नहीं हुई। जिसका परिणाम सोमवार को जनता और अधिकारियों के सामने थे।
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दस लाख रुपये का है सालाना बजट नगर निगम आयुक्त अशोक बंसल के आने के बाद पिछले साल हाउस की बैठक में कार्यालय के रखरखाव पर विशेष बजट पास करवाया गया था। दस लाख रुपये का सालाना बजट हाउस की बैठक में पास हुआ। उसके बाद कार्यालय में रंग-रोगन, कालीन और टाइलें बदलने का काम किया गया है। जेई सहित विभिन्न अधिकारियों के लिए विशेष केबिन बनाए गए। मगर, किसी ने कार्यालय की छत और छज्जों के हालातों पर गौर नहीं किया। अपने कार्यालय को चमकाने के अलावा इंजीनिय¨रग ¨वग ने छतों और भवन के बाहरी हिस्सों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके परिणाम स्वरूप सोमवार को छज्जा एक ओर झुक गया।