लॉकडाउन का डर, फैक्ट्रियां हो रहीं बंद, लौट रहे कामगार, किराये के मकानों पर लटके ताले
दिल्ली में लॉकडाउन के बाद कामगार डरे हुए हैं। बहादुरगढ़ के कामगारों के घर लौटने का सिलसिला जारी है। उन्हें डर है कि कहीं लॉकडाउन लंबा हुआ तो पिछले साल की तरह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा। किराये के मकानों पर ताले लटके हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। दिल्ली में लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। रॉ मैटीरियल की सप्लाई न होने से यह स्थिति बन रही है। ऐसे में कामगार भी घर लौट रहे हैं। कामगारों के घर लौटने का सिलसिला लगातार जारी है।
हर रोज बहादुरगढ़ के सांखोल, जाखौदा व आसपास के एरिया से कामगारों को लेकर दो-तीन बसें यूपी व बिहार की ओर रवाना हो रही हैं। ऐसे में एक तो जो फैक्ट्रियां चलाना भी चाह रहा है वहां कामगार न होने की वजह से काम प्रभावित हो रहा है। दूसरा किराये के मकान भी खाली हो रहे हैं। गणपति धाम में भी किराये के मकान खाली हुई हैं। जाखौदा, सांखोल व छोटूराम नगर में तो काफी संख्या में मकान ऐसे हैं जहां पर ये कामगार रहते थे और उनकी घर वापसी के कारण आज वहां पर ताले लटके हुए हैं। सबके मन में एक ही संशय है कि कहीं लॉकडाउन लंबा चला तो पिछली बार की तरह पैदल ही घर न जाना पड़े। अभी तो उनके पास इतने तो पैसे हैं कि वे बस का किराया देकर घर लौट सकते हैं। मगर लॉकडाउन पूरे देश में लग गया तो वाहन चलेंगे नहीं और फिर 200-300 से ज्यादा किलोमीटर उन्हें पैदल ही सफर करना पड़ेगा।
फैक्ट्रियां में काम प्रभावित, उत्पादन घटा
दिल्ली में लॉकडाउन का असर बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों पर साफ देखा जा रहा है। यहां की 90 फीसद फैक्ट्रियों में 50 फीसद से ज्यादा उत्पादन घट गया है। कुछ फैक्ट्रियां तो ऐसी हैं, जिनके मालिक दिल्ली से न आने की वजह से बंद ही हो गई हैं। गणपति धाम में रैग्जीन की फैक्ट्री भी बंद हो गई है। ऐसे में पास के ही एक मकान में काफी संख्या में कामगार रहते थे, जो फैक्ट्री बंद होने के बाद मकान को भी खाली करके ताला लगाकर घर लौट गए।
सांखोल में तीन घंटे किया बस का इंतजार
गांव जाखौदा से कामगारों के लौटने का सिलसिला कई दिन से जारी है। शुक्रवार को पहली बार गांव सांखोल से भी एक बस भरकर यूपी व बिहार के लिए रवाना हुई है। इस बस में काफी संख्या में कामगार गए हैं। ये सभी लॉकडाउन की संभावना को लेकर घर गए हैं। इन्होंने करीब तीन घंटे तक बस का इंतजार सांखोल के बस स्टैंड पर किया। जब बस आई तो उसमें सवार होकर घर लौट गए। गोरखपुर के राजन, मोनू, रामआसरे ने बताया कि कोरोना बीमारी बढ़ रही है। लॉकडाउन पता नहीं कब लग जाए। उनका काम धंधा भी बंद हो गया है। ऐसे में घर ही बेहतर है। यहां रहेंगे तो कुछ दिन बाद खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
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