डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में खुली पोल, कई विद्यार्थियों को गलत वेटेज से मिला दाखिला
रूरल-अर्बन की वेटेज के नियम स्पष्ट नहीं थे इसलिए अयोग्य मेरिट में आए और योग्य हुए वंचित। उच्चतर शिक्षा विभाग नहीं कर पा रहा समस्याओं का समाधान।
जेएनएन, हिसार : अपनी मर्जी का मालिक बने बैठे उच्चतर शिक्षा विभाग और उसकी सेंटरलाइज्ड ऑनलाइन एडमिशन की गलत प्रक्रिया से विद्यार्थी और कालेज प्रशासन दोनों परेशान हैं। पहले तो शिक्षकों और कालेजों के एडमिशन नोडल ऑफिसर के बार-बार कहने के बाद भी उच्चतर शिक्षा विभाग रूरल और अर्बन विद्यार्थियों की वेटेज के नियम व्यवहारिक रूप से तय नहीं कर पाया। जिसके कारण किसी विद्यार्थी को सही वेटेज नहीं मिली तो किसी को गलत तरीके से वेटेज दे दी गई। अब वेटेज हासिल कर मेरिट में आने वाले विद्यार्थी फीस भरकर कालेजों में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए पहुंचे तो कालेज प्रशासन ने इन विद्यार्थियों के दाखिलों पर सवाल उठाते हुए उच्चतर शिक्षा विभाग को मेल भेज दी है। ये बात अलग है कि उच्चतर शिक्षा विभाग की चुप्पी इस मामले पर टूट नहीं रही है।
दूसरी तरफ, विद्यार्थी भी सवाल उठा रहे हैं कि बरवाला के गवर्नमेंट स्कूल में पढऩे आने वाले गांव के विद्यार्थियों को वेटेज नहीं दी गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बने बड़े प्राइवेट कालेजों में पढऩे वाले शहर के विद्यार्थियों को वेटेज दी है। रूरल के नाम पर मिलने वाली वेटेज की धज्जियां उड़ रही हैं। बड़ी बात यह है कि ऐसे विद्यार्थियों के मेरिट में आने से उन विद्यार्थियों का हक छिन रहा है, जो वास्तव में रूरल वेटेज के हकदार हैं।
यूं जानिए कैसे दी गई गलत वेटेज
बरवाला के सरकारी स्कूल से 12वीं करने वाले गांव जुगलान निवासी विद्यार्थी अमन को अर्बन का मानते हुए वेटेज नहीं दी गई। उसके 12वीं में 82 फीसद अंक थे। उसे ग्रामीण वेटेज के 5 फीसद मिलते तो उसके अंक 87 फीसद हो जाते। इससे वह 85 फीसद पर अटकी सामान्य श्रेणी की पहली मेरिट लिस्ट में आ सकता था, लेकिन नहीं आया। दूसरी तरफ, डीपीएस स्कूल के हिसार निवासी एक विद्यार्थी को यह मानते हुए वेटेज दी गई कि उसका स्कूल शहर से बाहर ग्रामीण क्षेत्र में है। उसे 5 फीसद की वेटेज मिली तो उसके अंक 83 फीसद से 88 फीसद हो गए और वह मेरिट में आ गया। इस तरह सैंकड़ों विद्यार्थी मेरिट में आ गए और सैंकड़ों विद्यार्थियों को उनका हक नहीं मिल पाया।
बीए में 80 फीसद विद्यार्थियों के कंबिनेशन सही नहीं
विद्यार्थी अपनी पसंद का कालेज नहीं छोडऩे के कारण फीस भरकर दाखिला तो ले रहे हैं, लेकिन उन्हें उनकी पसंद का विषय नहीं मिल रहा है। उन्हें उनकी फस्र्ट च्वाइस के विषय नहीं मिले हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जो विद्यार्थी पॉलिटिक्ल विषय पढऩा चाहता है उसे म्यूजिक विषय क्यूं पढ़ाया जा रहा है। कालेजों के अनुसार बीए में करीब 80 फीसद विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्हें उनकी पहली पसंद के विषय मिले ही नहीं।
ऐसे कई विद्यार्थी हमारे पास आ रहे हैं, जिनको गलत वेटेज मिली हुई है। हमने केवल शुक्रवार को ही ऐसे 15-20 विद्यार्थियों के गलत दाखिले की मेल उच्चतर शिक्षा विभाग को भेजी है।
- डा. यशवंत सिंह, एडमिशन नोडल ऑफिसर, गवर्नमेंट कालेज।